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सीकर । उप वन संरक्षक रामावतार दूधवाल ने बताया कि राष्ट्रीय उद्यान, वन्य जीव अभ्यारण्यों में अथवा बाहर वन्य जीवों द्वारा जनहानि अथवा घायल किये जाने पर तथा वन क्षेत्रों के बाहर पालतू मवेशियों को मारे जाने पर मुआवजा, एक्सग्रेशिया निम्न लिखित शर्तों के अनुसार देय होगा। उन्होंने बताया कि घटना की सूचना निकटतम पुलिस अथवा वन अधिकारी को देनी होंगी। जिसका निरीक्षण उनके द्वारा ही किया जावेगा। घटना के बारे में शासकीय चिकित्सक का प्रमाण-पत्र आवश्यक होगा। प्राण हानि में मृत्यु प्रमाण पत्र आवश्यक होगा, मृतक के परिवार के सदस्यों में से विधि मान्य उत्तराधिकारी को ही क्षतिपूर्ति राशि प्रदान की जावेगी। यदि व्यक्ति घायल हो जाता है तो उसका उपचार सक्षम चिकित्सा अधिकारी करेंगें तथा प्रमाण पत्र के आधार पर क्षतिपूर्ति राशि देय होगी। घायल व्यक्ति स्वयं क्षतिपूर्ति राशि प्राप्त करने का अधिकारी होगा।
उन्होंने बताया कि यह मुआवजा राशि ऐसे व्यक्ति को देय नहीं होगी जो हमले के समय वन्य जीव (सुरक्षा) अधिनियम 1972 के अन्तर्गत किसी अपराध करने के लिए राष्ट्रीय उद्यान, वन्य जीव अभ्यारण्य में प्रविष्ट हुआ था अथवा किसी स्थल पर वन्य प्राणी सम्बन्धी किसी नियस विरुद्ध कार्य में लिप्त या सहायक था । मुआवजा, एक्सग्रेशिया राशि का पुनर्भरण केन्द्र सरकार द्वारा शत—प्रतिशत केन्द्रीय परिवर्तित योजना के अन्तर्गत किया जावेगा । मुआवजा, एक्सग्रेशिया राशि के भुगतान के लिए मण्डल वन अधिकारी, उप वन सरंक्षक, उप. मुख्य वन्य जीव प्रतिपालक, उप निदेशक सक्षम होगें तथा सम्बन्धित क्षेत्रीय वन अधिकारी की अभिशंषा पर ही मुआवजा, एक्सग्रेशिया राशि देय होगी।
उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय उद्यान, वन्य जीव अभ्यारण्य में वैद्य रूप से निवास कर रहे तथा इनके आस-पास व बाहर रह रहे किसी ग्रामवासी को शेर, बघेरे या अन्य हिंसक वन्य जीव द्वारा मृत्यु व स्थायी, अस्थाई रूप से असमर्थ (Incapacitate) करने पर इस आदेश में दर्शायी गयी राशि देय होगी। मृत्यु, अयोग्य (स्थाई,अस्थाई) होने का सक्षम शासकीय चिकित्सक से प्रमाण पत्र आवश्यक होगा
पशु हानि मामले में :—
उपवन संरक्षक दूधवाल ने बताया कि घटना के 48 घंटे के अंदर सूचना निकटतम वन अधिकारी जो कि वनपाल या सहायक वनपाल से कम स्तर का नहीं हों उनकों मवेशी के मालिक द्वारा सूचना दिया जाना आवश्यक होगा। मारे गए मवेशी के शव को घटना स्थल से तब तक नहीं हटाया जावे जब तक घटना की जांच स्थानीय वन अधिकारी द्वारा नहीं कर ली जाती है तथा उसके मांस में किसी प्रकार का विष अथवा घातक पदार्थ नहीं मिलाया गया हो । अभ्यारण्य, राष्ट्रीय उद्यान के वन क्षेत्र के बाहर मारे गये पशुओं को ही मुआवजा देय होगा। इस के लिए सक्षम पशु चिकित्सक का मृत्यु प्रमाण-पत्र आवश्यक होगा। मुआवजा राशि का पुनर्भरण बाद में केन्द्र सरकार द्वारा यथा संभव शत—प्रतिशत केन्द्रीय प्रवर्तित योजना के अन्तर्गत किया जायेगा।
मुआवजा के भुगतान के लिए मण्डल वन अधिकारी, उप वन सरंक्षक, उप मुख्य वन्य जीव प्रतिपालक, उप निदेशक सक्षम' होगें तथा सम्बन्धित क्षेत्रीय वन अधिकारी की अभिशंषा पर ही मुआवजा, एक्सग्रेशिया राशि देय होगी ।
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Tara Tandi
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