राजस्थान

नए कोटा के चौराहों को भी है सौन्दर्यीकरण की दरकार

Admin Delhi 1
23 Jan 2023 1:47 PM GMT
नए कोटा के चौराहों को भी है सौन्दर्यीकरण की दरकार
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कोटा: पहले जहां सिर्फ कोटा शहर ही था। वहीं अब कोटा दो भागों में बट गया है। एक पुराना कोटा व दूसरा नया कोटा। विधानसभा व नगर निगम भी उसी के अनुरूप दो बन गई हैं। लेकिन शहर में हुए विकास व सौर्न्दीकरण को देखने से नया कोटा तो पुराना लगने लगा है और पुराना कोटा नया दिखने लगा है। नगर विकास न्यास व स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत शहर में विकास व सौन्दर्यीकरण के काम करवाए जा रहे हैं। विशेष रूप से चौराहों का विकास व सौन्दर्यीकरण जिस तरह से कराया गया है। उन्हें देखकर नए कोटा शहर के चौराहों को भी विकास व सौन्दर्यीकरण की दरकार है। नए कोटा के लोगों का कहना है कि उनके यहां के चौराहों का भी विकास किया जाना चाहिए।

पुराने कोटा के चौराहे सजे; नगर विकास न्यास व स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत शहर में करीब 4 हजार करोड़ रुपए से अधिक के विकास कार्य करवाए जा रहे हैं। जिनमें अधिकतर बड़े प्रोजेक्ट भी शामिल हैं। लेकिन उनके साथ ही पुराने शहर के चौराहों को भी इस तरह से सजाया गया है कि पुराना शहर नया दिखने लगा है। शहर के प्रवेश विवेकानंद चौराहे पर जिस तरह से पैडस्टल पर स्वमी विवेकानंद की विशाल मूर्ति लगाई गई है। उसके साथ ही नीचे की तरफ चारों दिशाओं में अलग-अलग मुद्राओं में विवेकानंद की मूर्ति आकर्षण का केन्द्र है। उसके साथ ही चौराहे के आस-पास के भवनों का सौन्दर्यीकरण व लाइटिंग की गई है। वह बाहर से आने वालों के लिए नयापन है। उसी तरह से अदालत चौराहे पर विनतनाम के सफेद मार्बल से बनाए गए हाथी व चौराहे का विकास व सौन्दर्यीकरण आकर्षण का केन्द्र है।

एलईडी चौराहा बना कुन्हाडी का नाका चुंगी: नदी पार कुन्हाड़ी में नाका चुंगी चौराहे का विकास कर उसे एलईडी चौराहा बनाया गया है। घोड़े वाले बाबा चौराहे पर हाथी घोड़े लगाकर व लाइटिंग से की गई सजावट से यह रात के समय भव्यता दिखा रहा है। उसी तरह से जेल के सामने सैनिक सर्किल में ग्लोब पर सैनिक व उन्हें फूल देती बालिका आकर्षण से कम नहीं है। हालांकि सीएडी चौराहे का भी विकास व सौन्दर्यीकरण कर वहां कीर्ति स्तम्भ बनाया जा रहा है।

नए कोटा के चौराहे बरसों से विकास को तरह रहे: कहने को भले ही एरोड्राम के आगे का शहर नया कोटा कहलाता है। लेकिन उस क्षेत्र के अधिकतर चौराहों को देखने से वह पुराने कोटा जैसा लगता है। यहां के अधिकतर चौराहे बरसों से विकास की राह तांक रहे हैं। महावीर नगर तृतीय चौराहा हो या दादाबाड़ी का मेन चौराहा। दादाबाड़ी का छोटा चौराहा हो या बसत विहार का तीन बत्ती चौराहा। महावीर नगर विस्तार योजना का संतोषी नगर चौराहा हो या महावीर नगर विस्तार का श्रीराम सर्किल। विश्कर्मा नगर का चौराहा हो या आर.के. पुरम् श्रीनाथपुम् का चौराहा। मेडिकल कॉलेज के आगे का चौराहा हो या रंगबाड़ी का चौराहा। इसी तरह से डीसीएम चौराहा हो या रायपुरा चौराहा। यहां पिछले कई सालों से एक रुपए का भी विकास कार्य नहीं हुआ है।

यहां अंडरपास व फ्लाई ओवर बनाए: शहर में एक ओर जहां चौराहों का विकास व सौनदर्यीकरण किया गया है। वहीं कई चौराहों पर अंडरपास व फ्लाई ओवर बनाकर उन्हें भी विकसित गया है। करोड़ों रुपए की लागत से गुमानपुरा स्थित इंदिरा गांधी सर्किल पर फ्लाई ओवर, अंटाघर चौराहे पर अंडरपास, एरोड्राम चौराहे पर अंडरपास, गोबरिया बावड़ी चौराहे पर अंडरपास और अनंतपुरा चौराहे पर फ्लाई ओवर बनाए गए हैं। नदी पार कुन्हाड़ी में महाराणा प्रताप चौराहे पर फ्लाई ओवर बनाया है। गुमानपुरा तिराहे पर इंदिरा गांधी की मूर्ति लगाकर गार्डन व माउंट बनाए जा रहे हैं।

ट्रैफिक का दवाव, छोटे बने चौराहे:

नए कोटा के चौराहों के विकास व सौन्दर्यीकरण की आवश्यकता के बारे में लोगों का कहना है कि जिस तरह से पुराने शहर के चौराहों का विकास किया गया है। उसी तरह से नए कोटा के चौराहों का भी विकास होना चाहिए। कोटा दक्षिण से भाजपा पार्षद गोपाल राम मंडा का कहना है कि महावीर नगर तृतीय चौराहे पर ट्रैलिक का दबाव अधिक रहता है। यहां भी विकास किया जाना चाहिए। नए कोटा के चौराहों का सौन्दर्यीकरण हो लेकिन चौराहों को छोटा बनाया जाए। जिससे ट्रैफिक में सुविधा हो।

पार्षद गिर्राज महावर का कहना है कि डीसीएम व रायपुरा चौराहे से भारी वाहन निकलते हैं। फ्ैक्ड्रियों के श्रमिक एक साथ निकलने से ट्रैफिक का दबाव अधिक रहता है। रायपुरा, कैथून व बोरखेड़ा तक का ट्रेफिक यहां से निकल रहा है। लेकिन डीसीएम चौराहे पर ट्रफिक लाइटें होने के बाद भी नहीं चलती हैं। ऐसे में इन चौराहों के साथ ही कंसुआ तिराहे का भी विकास किया जाना चाहिए। किशोरपुरा निवासी अनीस मोहम्मद का कहना है कि दादाबाड़ी में चौराहे तो बने हुए हैं लेकिन वे चराहे जैसे नजर नहीं आते हैं। छोटा चौराहा व दादाबाड़ी तिराहे के चौराहों का भी विकास व सौन्दर्यीकरण किया जाए। लेकिन उन्हें इस तरह से बनाया जाए जिससे वे छोटे भी हों और ट्रैफिक में बाधा भी नहीं हो। पुराने शहर के बड़े-बड़े चौराहों की तरह नहीं हों। इस संबंध में नगर विकास न्यास के अधिकारियों का कहना है कि सभी चौराहों का विकास किया जाएगा। कुछ का काम पूरा हो गया है और कुछ का चल रहा है। अगले चरण में शेष रहे चौराहों को भी विकास में शामिल किया जाएगा।

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