नीमराना रिसॉर्ट फ्रॉड मामले की अब जैसे-जैसे परतें खुल रही हैं। वैसे-वैसे कोलकाता बेस्ड मुल्जिम संजय पसारी, राजीव पसारी, राजकिशोर मोदी, सुजाता मोदी और सिद्धार्थ जयपुरिया के बड़े फ्रॉड खुल रहे हैं। इसलिए ये लोग चोरों की तरह पुलिस से भाग रहे हैं। पुलिस इन्हें शाहजहांपुर थाने में दर्ज धोखाधड़ी की एफआईआर में जांच के लिए बुलाने को नोटिस दिए जा रही है। लेकिन, ये मुल्जिम इतने शातिर हैं कि निवेशक तो क्या पुलिस, कोर्ट-कचहरी और कोर्ट तक को भी धोखा देने से नहीं चूक रहे हैं।
फ्रॉड करने के आदतन इन मुल्जिमों का अब एक और कारनामा सामने आया है। इन्होंने नीमराना रिसॉर्ट प्रोजेक्ट से जुड़ी शाहजहांपुर-नीमराना की करीब 157 एकड़ जमीन की अपनी ही सहायक कंपनियों में ट्रांसफर करके हेराफेरी की। इस पर देय करीब 24 करोड़ रुपए की स्टांप ड्यूटी भी नहीं चुकाई। अब पंजीयन एवं मुद्रांक विभाग के अफसर इन कंपनियों से बकाया स्टांप ड्यूटी राशि वसूल करने की तैयारी कर रहे हैं।
राजस्थान के निवेशकों का कहना है कि नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT kolkata) में पसारी ग्रुप की पिटीशन (याचिका) दायर करने वाली अताश सप्लायर, अलोसा मार्केटिंग और साहल बिजनेस पर इक्विटी, करंट व नॉन करंट लोन की करोड़ों रुपए की राशि बकाया है। इन पर 400 करोड़ रुपए से भी ज्यादा राशि के ओपन चार्जेज लगे हैं।
इन कंपनियों को एनबीएफसी (NBFC) वित्त मंत्रालय ने हाई रिस्क फाइनांसियल इंस्टीट्यूशन की सूची में डाल रखा है। निवेशकों के मुताबिक इन कंपनियों ने NCLT kolkata में सीधे याचिका दायर कर दी है। जबकि ये ऐसी याचिका दायर करने के लिए योग्य (पात्र) ही नहीं हैं। क्योंकि शेयर प्लेज एग्रीमेंट की शर्त संख्या 23.1 में सभी पक्ष (जो NCLT के दावे में हैं) अपने विवाद सुलझाने के लिए आर्बिटेशन में जाने के योग्य थे। लेकिन, वे आर्बिटेशन में नहीं गए। कई प्रकरणों में NCLT इस तरह की याचिकाएं खारिज कर चुका है।
निवेशकों का कहना है कि मैकले भारत इंजीनियरिंग कंपनी पहले से ही दिवालिया घोषित होने के लिए NCLT kolkata में जा चुकी है। इस तरह ली गई राशि या बेचे गए शेयर, डिबेंचर, एग्रीमेंट में आर्बिटेशन क्लॉज का उपयोग किए बिना ही कंपनी एक्ट की धारा 241, 242, 244 के तहत ऑपरेशन एंड मिस मैनेजमेंट का केस उन कंपनियों के खिलाफ कर दिया जिनमें पिटीशनर कंपनी के ही निदेशक हैं। कहने का तात्पर्य यह है कि पसारी ग्रुप का एक निदेशक आर्बिटेशन में खुद के साथ ही न्याय नहीं कर सकता। इसलिए इन शातिर मुल्जिमों ने NCLT का उपयोग तो निवेशकों के पैसे खाने, शेयर होल्डरों को बर्बाद करने औऱ खुद को दिवालिया घोषित करवाने के लिए किया है। क्योंकि निवेशकों की जमीन गिरवी रखकर बैंकों से करोड़ों रुपए का लोन उठाकर ये लोग पैसा डकार गए हैं।
राजस्थान सरकार को लगाया 24 करोड़ की स्टांप ड्यूटी का चूनाः
निवेशकों का दावा है कि कोलकाता बेस्ड इन फ्रॉड कंपनियों के मुल्जिमों ने जमीन ट्रांसफर पर लगने वाली स्टांप ड्यूटी की चोरी करके राजस्थान सरकार को करीब 24 करोड़ रुपए का चूना लगाया है। क्योंकि इन्होंने वर्ष 2009 से ही अपनी अन्य कंपनियों को वेदिका संजीवनी प्रोजेक्ट्स प्रा. लि. में अमलगेमेशन (मर्ज) करवा लिया। जिसकी सूचना पंजीयन एवं मुद्रांक विभाग को देनी थी। लेकिन, यह तथ्य छिपाकर मर्ज कंपनियों के हस्ताक्षर करके निवेशकों को भी धोखा दिया है।
निवेशकों के मुताबिक पसारी ग्रुप ने बैंकों से लोन लेने के लिए वर्ष 2017 में एक कंपनी से शाहजहांपुर-नीमराना में स्थित जमीन 156.16 एकड़ की वैल्युएशन कराई थी। उसके हिसाब से 12 करोड़ रुपए की स्टांप ड्यूटी बनती थी। जो ब्याज लगकर अब करीब 24 करोड़ रुपए बनती है। पंजीयन एवं मुद्रांक विभाग के अफसर इस राशि को वसूल करने की तैयारी कर रहे हैं।