राजस्थान

एविल ड्रग के दुरूपयोग मामले में NCB ने भेजा जेल, 15 मेडिकल स्टोर के लाइसेंस निरस्त

Admin4
22 Dec 2022 5:46 PM GMT
एविल ड्रग के दुरूपयोग मामले में NCB ने भेजा जेल, 15 मेडिकल स्टोर के लाइसेंस निरस्त
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जयपुर। जाने-माने मनोचिकित्सक डॉ. अनिल तांबी को आज जयपुर में नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) की टीम ने गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तारी के बाद तांबी को एनडीपीएस कोर्ट के लिंक कोर्ट में पेश किया गया, जहां से कोर्ट के आदेश के बाद उसे 14 दिन के लिए जेल भेज दिया गया। 29 नवंबर की रात एनसीबी और ड्रग कंट्रोल की टीम ने डॉ. तांबी के घर पर संयुक्त छापेमारी की थी, जहां से बड़ी संख्या में एनडीपीएस श्रेणी की दवाओं की खेप जब्त की गई थी. इधर, ड्रग कंट्रोल टीम ने इस मामले में जयपुर की 15 फुटकर मेडिकल दुकानों के लाइसेंस भी रद्द कर दिए हैं।टीम को 29 नवंबर को ही इन दुकानों पर छापेमारी के बाद यहां से एविल दवाओं की खरीद-बिक्री में बड़ी गड़बड़ी मिली थी।
आपको बता दें कि 29 नवंबर को जयपुर के इनपुट के आधार पर टीम ने चांदपोल स्थित राजस्थान मेडिकल एंड प्रोविजन स्टोर पर छापा मारा था, जिसमें मेडिकल स्टोर के एक गोदाम से भारी मात्रा में दवाइयां जब्त की गई थीं। यह गोदाम बिना लाइसेंस के संचालित किया जा रहा था। इसके चलते टीम ने यहां से एक व्यक्ति को गिरफ्तार भी किया है और उसी दिन उस दुकान का लाइसेंस रद्द कर दिया गया था। इसी दुकान से टीम को कुछ इनपुट मिला, जिसके बाद टीम मालवीय नगर स्थित डॉ. अनिल तांबी के घर पहुंची। ड्रग कंट्रोल टीम को डॉ. तांबी के घर से साक्ष्य मिले कि एक मेडिकल स्टोर से 360 एमआरपी की दवाएं 500 रुपये में बिक रही हैं। इसके साथ ही यहां से बड़ी संख्या में एनडीपीएस श्रेणी की दवाएं (एविल इंजेक्शन की खेप) रखी हुई मिली। इसके बाद इस पूरे मामले में NCB ने केस किया था और आज डॉ. तांबी को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया गया।
औषधि नियंत्रक अजय पाठक ने बताया कि 29 नवंबर को जिन 15 दुकानों पर छापेमारी की गयी थी उनकी जांच में पाया गया कि इन मेडिकल स्टोर संचालकों की ओर से राज्य में सीएंडएफ होने के बावजूद एविल इंजेक्शन की खेप राज्य के बाहर की अन्य फर्मों से खरीदी गयी। और उन्हें बेच दिया। पिछले 8 महीने के दौरान इस तरह से 2 लाख इंजेक्शन बेचे गए। और यह पाया गया कि लगभग 14,000 इंजेक्शन बिना डॉक्टर के पर्चे और बिना बिल के बेचे गए। ये इंजेक्शन नशे की हालत में लगाए गए थे। इसके चलते आज 15 मेडिकल दुकानों के लाइसेंस रद्द कर दिए गए हैं।
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