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कोटा। कोटा भ्रष्टाचारियों के मानवाधिकारों को लेकर चिंतित एसीबी की एक बड़ी हरकत सामने आई है। इसके चलते दो मासूमों को दो महीने तक सलाखों के पीछे रहना पड़ा। झालावाड़ एसीबी ने सेंट्रल नारकोटिक्स ब्यूरो के सब इंस्पेक्टर (गिरदावर) व एक अफीम किसान को बिना साक्ष्य के गिरफ्तार किया है. अब जांच में दोनों के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिला और न ही आरोप साबित हुए. अब दोनों की रिहाई के लिए कोर्ट में 169 CrPC के तहत अर्जी दाखिल की गई है. वहीं, विवेचना में महुवाखेड़ा निवासी नारायणलाल मीणा के विरुद्ध भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 (संशोधित 2018) की धारा 7ए के तहत अभियोग प्रमाणित चालान पेश किया गया. पड़ताल में खुलासा हुआ कि झालावाड़ एसीबी की इस कार्रवाई की जांच केटा एसीबी के एएसपी विजय स्वर्णकार को सौंपी गई थी। उन्होंने शोध में पाया कि 'फाइल पर अभियोजन साक्ष्य उपलब्ध नहीं होने के कारण दोनों के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण (संशोधन) 2018 का अपराध साबित नहीं हो पाया है.
यह कार्रवाई एसीबी झालावाड़ के एएसपी भवानीशंकर मीणा ने छह नवंबर को की थी. इसमें अफीम की खेती के प्रधान नियुक्त नारायणलाल, सेंट्रल नारकोटिक्स ब्यूरो के अकलेरा-पछपहाड़ रेंज के गिरदावर उपनिरीक्षक पंकज मिश्रा व एक अन्य व्यक्ति सत्यनारायण को अफीम उत्पादक किसान को पट्टा दिलाने के एवज में 60 हजार रुपये रिश्वत लेते गिरफ्तार किया गया. . शिकायतकर्ता भैरूलाल ने रिश्वत की राशि नारायणलाल को दी थी, एसीबी ने ट्रैप के दौरान आरोप लगाया था कि उक्त राशि उपनिरीक्षक पंकज मिश्रा के लिए ली गई थी, जबकि नारायणलाल के साथ सत्यनारायण भी शामिल था. तीनों को गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश किया गया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया।
6 नवंबर को ट्रैप के समय भी शिकायतकर्ता भैरूलाल को पंकज द्वारा अफीम की खेती का पट्टा जारी करने के एवज में रिश्वत राशि के लेन-देन की कोई चर्चा या लेनदेन नहीं हुआ था. शिकायतकर्ता भैरूलाल से पंकज द्वारा रिश्वत की राशि नहीं ली गई, इस कारण ट्रैपर अधिकारी द्वारा हाथ धोने की कार्रवाई नहीं की गई है. बातचीत में सत्यनारायण की कोई भूमिका नहीं मिली है। सत्यनारायण ने पिता बाबूलाल के नाम से बनी अफीम की खेती का पट्टा दिलाने के लिए नारायण लाल मुखिया को 60000 रुपए दिए थे। मुखिया नारायण लाल को मोटरसाइकिल पर ला रहे सत्यनारायण मीणा ने नारायण लाल से परिचित होने के कारण शिकायतकर्ता भैरूलाल द्वारा नारायण लाल के कहने पर नारायण लाल को दी गई राशि की गिनती कर ली.
शिकायतकर्ता भैरूलाल द्वारा दी गई 60 हजार रुपये की रिश्वत के अलावा एसीबी ने मौके पर मुखिया नारायणलाल से 60 हजार रुपये और बरामद कर लिए। जांच में पता चला कि आरोपी नारायणलाल अफीम की खेती का मुखिया नहीं है। बल्कि उनकी सास कंचन बाई मुखिया हैं। अफीम की खेती से संबंधित मुखिया की हरकतों को नारायण लाल अच्छी तरह से जानता है, इसलिए उसने जानबूझकर रुपये लिए। उसके पास से 1 लाख 20 हजार रुपए मौके पर ही बरामद कर लिए गए। इसमें से 60 हजार रुपये रिश्वत की राशि परिवादी भैरूलाल ने दी थी।सबूत ही नहीं होता तो एसीबी मुख्यालय एफआईआर क्यों दर्ज करता, कोर्ट जमानत क्यों खारिज करती? जांच और चालान में क्या हुआ, इस पर मैं कोई टिप्पणी नहीं करूंगा।
Admin4
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