राजस्थान
मुनि अपने व्रत की रक्षा के लिए अनासक्त रहकर अपने चरित्र पर दृढ़ रहते हैं: मुनि आदित्य सागर
Admin Delhi 1
19 July 2023 5:45 AM GMT
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भीलवाड़ा न्यूज़: कार्य तो सभी करते हैं लेकिन उसमंे विशेषता क्या है। व्रत तो श्रावक व मुनि दोनों धारण करते हैं, मुनि के व्रत धारण करने में क्या विशेषता है। दिगंबर मुनि आदित्य सागर महाराज अणगार भावना की गाथा नंबर 17 की विवेचना करते हुए समझाया कि साधु अपने व्रतों की रक्षा के लिए अपरिग्रहित रहकर अपने चारित्र में स्थिर रहता है। साधु को व्रतों की रक्षा के लिए स्वआश्रित होना चाहिए।
अगर आहार नहीं मिला तो जिनवाणी का आहार ही भोजन मानकर उसी में संतुष्ट रहता है, जो प्राप्त है वह पर्याप्त है। धर्म मार्ग में आगे बढ़ने का पुरुषार्थ करता रहता है, लेकिन किसी तरह की लालसा नहीं रखता है। मुनि सहज सागर ने कहा कि ज्ञान के अभाव में हम जिसे हकीकत मानते हैं, वो स्वप्न है। उन इच्छाओं को मन में ही नहीं लाओ, जो संभव नहीं है।
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