राजस्थान
हादसे में मां बेटे की गई जान, डॉक्टरों ने जिंदा पोते को बताया मृत
Gulabi Jagat
4 Aug 2022 10:05 AM GMT
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अलवर. अलवर में स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही का बड़ा मामला गुरुवार सुबह सामने आया. अलवर के किशनगढ़बास थाना अंतर्गत मोटूका चौराहे के पास एक कार चालक ने रफ्तार के जुनून में बाइक सवारों को टक्कर मार दी. इस हादसे में मां और बेटे की मौत हो गई जबकि पोते का इलाज चल रहा है. शुरुआत में हादसे के बाद जब घायल किशनगढ़ अस्पताल पहुंचे तो वहां के डॉक्टरों ने तीनों लोगों को मृत घोषित कर शवों को मोर्चरी में रखवा दिया. लेकिन इस दौरान परिजनों ने बच्चे के हाथ लगाया तो उसकी सांसे चल रही थीं. जिसके बाद आनन फानन में बच्चे को अलवर रेफर किया गया. वहां भी सुधार नहीं हुआ तो उसे जयपुर रेफर कर दिया गया (Alwar Government Hospital Negligence).
अलवर के जटीयाना गांव निवासी कृष्णा देवी पत्नी रघुवीर प्रजापत अपने बेटे भजनी राम और पोते अंकुश के साथ नंगली गांव में डॉक्टर को दिखाने के लिए गई थी. वहां डॉक्टर को दिखाने के बाद तीनों बाइक से वापस घर लौट रहे थे. रास्ते में किशनगढ़बास क्षेत्र में मोटूका चौराहे के पास एक तेज रफ्तार बोलेरो गाड़ी चालक ने तीनों को टक्कर मार दी (Mother Son Duo Died In Alwar Road Accident). इस दौरान रघुवीर प्रजापत की मौके पर ही मौत हो गई. प्रत्यक्षदर्शियों ने मामले की सूचना पुलिस और स्वास्थ्य विभाग को दी. करीब आधे से एक घंटे बाद एंबुलेंस मौके पर पहुंची. तीनों घायलों को लेकर किशनगढ़बास अस्पताल पहुंची. जहां डॉक्टरों ने तीनों को मृत घोषित कर दिया.
सड़क हादसे में मां बेटे की गई जान
मौत की सूचना परिजनों को दी गई. कुछ देर में परिजन अस्पताल पहुंचे. इस दौरान बच्चे अंकुश की सांसें चल रही थीं. रोते बिलखते परिजनों को अस्पताल प्रशासन की लापरवाही पर गुस्सा आया और उन्होंने हंगामा मचा जिया. बात बढ़ते देख अंकुश को इलाज के लिए राजीव गांधी सामान्य अस्पताल के लिए रेफर किया गया. हालत गंभीर होने पर अलवर से अंकुश को जयपुर के लिए रेफर कर दिया गया है.
मृत मां कृष्णा देवी और बेटे भजनी राम के शव को मोर्चरी में रखवाया गया. दोनों के शव को पोस्टमार्टम के बाद परिजनों के हवाले कर दिया गया. परिजनों ने इस मामले में अस्पताल प्रशासन पर बड़ी लापरवाही का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि अस्पताल के डॉक्टरों ने तीनों को ही मृत घोषित कर दिया था जबकि बच्चे की सांसें चल रही थीं. उनका मानना है कि समय रहते अगर इलाज मिलता तो अन्य लोगों की भी जान बचाई जा सकती थी. घटनास्थल पर करीब एक घंटे बाद एंबुलेंस पहुंची. एंबुलेंस भी पूरी क्षतिग्रस्त थी उसमें इलाज के कोई उपकरण नहीं थे.
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Gulabi Jagat
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