दौसा। देश को आजाद हुए 75 वर्ष से अधिक हो चुके हैं। लेकिन आज भी बड़ी संख्या में मासूम बालिकाओं का कच्ची उम्र में ही विवाह कर दिया जाता है। चौंकाने वाला आंकड़ा दौसा का है। जहां एक सर्वे के आधार पर राजस्थान के टोंक, भीलवाड़ा और दौसा जिले में 25 प्रतिशत से अधिक बाल विवाह होते हैं। अकेले दौसा जिले की बात करें तो यहां बाल विवाह की दर करीब 34 प्रतिशत है, जो बेहद चिंताजनक है। यह आंकड़ा यूनिसेफ ने साझा अभियान के तहत एकत्रित किया था और जब यह आंकड़ा सामने आया तो इन जिलों में बाल विवाह की रोकथाम के लिए प्रयास शुरू किए गए हैं।
दौसा में कैलाश सत्यार्थी फाउंडेशन की ओर से एक सेमिनार का आयोजन किया गया। इस सेमिनार में बाल विवाह मुक्त भारत संकल्प के तहत बाल विवाह की रोकथाम के लिए विस्तृत चर्चा की गई। वैसे तो बाल विवाह की रोकथाम के लिए कड़े कानून बनाए गए हैं। जागरूकता के लिए भी केंद्र और राज्य की सरकार द्वारा लाखों रुपए खर्च किए जाते हैं, लेकिन आजादी के 75 वर्ष बाद भी हमें बाल विवाह से मुक्ति नहीं मिल सकी है। दौसा में आयोजित हुए इस कार्यक्रम में दौसा जिले की 25 ग्राम पंचायतों से विभिन्न विभागों से जुड़े सक्रिय कार्यकर्ताओं को बुलाया गया, ताकि वह ग्रामीणों को जागरूक कर सके और बाल विवाह की सूचना मिलने पर प्रशासन को दे सकें।
इन 16 जिलों में होते है सर्वाधिक बाल विवाह
दौसा, जोधपुर, भीलवाड़ा, चुरू, झालावाड़, टोंक, उदयपुर, करौली, अजमेर, बूंदी, चितौडगढ़, मेड़ता नागौर, पाली, सवाईमाधोपुर, अलवर और बारां जिले में सर्वाधिक बाल विवाह होते है।
ये है यूनिसेफ के चौंकाने वाले आंकड़े
यूनिसेफ के आंकड़ों के मुताबिक राजस्थान में 82 प्रतिशत विवाह 18 साल से पहले ही हो जाते है। वहीं 22 फीसदी बच्चियां 18 वर्ष की उम्र से पहले ही मां बन जाती है।
बाल विवाह कराने पर सजा का यह प्रावधान
बाल विवाह कराने पर दो साल तक का कारावास और एक लाख रुपए तक का जुर्माना हो सकता है। बाल विवाह में हिस्सा लेने वाला प्रत्येक व्यक्ति को भी दोषी माना जाता है।
देवउठनी पर होते हैं सबसे ज्यादा विवाह
आगामी दिनों में देवउठनी एकादशी सहित अनेक अबूझ सावे हैं। इन सावो में बड़ी संख्या में बाल विवाह होते हैं, ऐसे में बाल विवाह की रोकथाम के लिए सूचना तंत्र को मजबूत करना और लोगों की मानसिकता में परिवर्तन करने का प्रयास किया जा रहा है। बाल विवाह मुक्त भारत अभियान के तहत आयोजित कार्यशाला में समेकित बाल विकास सेवाओं के उपनिदेशक डॉ धर्मवीर मीणा ने बताया कि कार्यशाला का उद्देश्य बाल विवाह जैसी कुरीतियों को रोकना तथा लोगों में बाल विवाह को लेकर कानूनी जानकारी देकर लोगों जागरूकता लाना है। ताकि दौसा जिले में होने वाले बाल विवाहों पर अंकुश लगाया जा सके। उन्होंने कहा कि प्रदेश के जिलों में दौसा में 34 फीसदी बाल विवाह होते हैं।
कार्यशाला में ये रहे मौजूद
कार्यशाला में महिला एवं बाल विकास विभाग की समेकित बाल विकास सेवाएं के उप निदेशक डॉक्टर धर्मवीर मीना, नेहरू युवा केंद के खेल अधिकारी राकेश कुमार आलोरिया, भगवान वर्मा अतिथि के रूप में मौजूद रहे। इस अवसर पर जन कला साहित्य मंच के कॉर्डिनेटर वीरेंद्र कुमार, सत्यार्थी फाउंडेशन की प्रतिनिधि रेखा कुमारी, सीडब्ल्यूसी की सदस्य अर्चना गर्ग आदि मौजूद रहे।