Rajasthanराजस्थान: दुनिया भर में पक्षियों के स्वर्ग के रूप में पहचाने जाने वाले केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान पिछले कई दशकों से जल संकट Water crisisसे जूझ रहा है। जो पानी यहां ले जा रहा है, वो शैली है. पानी में पहुंच रहे वातावरण की वजह से धीरे-धीरे घना की आदतें खराब हो रही है। साथ ही गोवर्धन के पानी में पक्षियों के लिए भोजन भी नहीं पहुंच रहा। जबकि घना के लिए जरूरी पांचना बांध का पानी करीब दो दशक से मिल नहीं रहा है। यही वजह है कि घना से कई पाठकों ने मुंह मोड़ लिया है। वहीं कई प्रजातियों के पक्षियों की संख्या में भारी कमी आई है। ये वे लोग हैं जो किसी समय में लाखों की संख्या में पक्षी रखते थे, लेकिन अब ये संख्या लाखों से सिमटकर हजारों में रह गई है। पर्यावरणविद् भोलू अबरार खान ने बताया कि जिस समय गंभीर नदी (पांचना बांध), रूपारेल और बाणगंगा नदी से प्राकृतिक जल मिलता था, तब तक घने में लाखों की संख्या में पक्षी आते थे, लेकिन जब से प्राकृतिक जल स्रोत से पानी मिला है, पक्षियों की यह संख्या लाखों से हजारों में रहती है।
पक्षी गणना के आंकड़ों के अनुसार घाना में अब औसतनAverage 55 से 57 हजार तक पक्षी ही आते हैं। पर्यावर्णविद भोलू अबरार ने बताया कि घाना में साइबेरियन सारस तो दो दशक पहले ही बंद कर दिया था। इसके अलावा कॉमन क्रेन की संख्या भी ना के बराबर रहती है। पहले ये बड़ी संख्या में घना आते थे। लार्ज कॉर्वेंट पहले अच्छी संख्या में आते थे लेकिन अब नहीं आ रहा। काले गले वाले स्टॉर्क पहले अच्छी संख्या में आते थे लेकिन अब मुश्किल से एक दो जोड़ी नजर आते हैं। पेंटेड स्टार्क की संख्या में भी काफी कमी आई है। पर्यावरणविद डॉ. के पी सिंह ने बताया कि पहले नेशनल पार्क में फ्लेमिंगो यानी राजहंस अच्छी संख्या में किताबें थीं,
लेकिन अब पार्क में फ्लेमिंगो के लिए पर्याप्त हैबिटेट मिल नहीं रहा है और न ही उपयुक्त पानी है। फ्लेमिंगो को नमकीन और स्वच्छ पानी की जरूरत होती है, लेकिन यहां गोवर्धन के बगल में पानी की वजह से फ्लेमिंगो की आदत खराब हो रही है। यही कारण है कि अब उद्यान में ना के बराबर फ्लेमिंगो पहुंच रहा है, जबकि घाना से 35 किमी दूर उत्तर प्रदेश के जोधपुर में झाल बर्ड्स सदियों में प्राकृतिक जल और अच्छी हैबिटेट उपलब्ध होने की वजह से सैकड़ों की संख्या में फ्लेमिंगो उपलब्ध हैं। खान और डॉ. के पी सिंह का कहना है कि यदि घना को खरीदना है और पक्षी को फिर से आकर्षित करना है तो पांचना बांध का पानी बहुत जरूरी है। यदि पांचना बांध का पानी नहीं मिला तो घना का पूरा वास खराब हो जाएगा और इसकी पहचान पर बहुत बड़ा संकट खड़ा हो जाएगा।