राजस्थान

मलमास को भगवान विष्णु ने दिया अपना नाम पुरूषोत्तम

Shantanu Roy
18 July 2023 11:55 AM GMT
मलमास को भगवान विष्णु ने दिया अपना नाम पुरूषोत्तम
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प्रतापगढ़। प्रतापगढ़ इस माह में शुभ कार्य नहीं किये जाते हैं। यह महीना पूजा और भक्ति की दृष्टि से बहुत पवित्र माना जाता है। इसे मलमास और पुरूषोत्तम मास भी कहा जाता है। ज्योतिषाचार्य पं. के अनुसार मनीष शर्मा के अनुसार अधिक मास में विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश, जनेऊ संस्कार जैसे मांगलिक कार्यों के लिए कोई शुभ मुहूर्त नहीं होते हैं। इस संबंध में यह माना जाता है कि अधिक मास शुभ नहीं होता है। यह हिन्दी कैलेंडर का एक अतिरिक्त महीना है। दरअसल, इस माह में सूर्य संक्रांति नहीं है यानी सूर्य की राशि में कोई परिवर्तन नहीं होता है. संक्रांति को एक त्यौहार भी माना जाता है और यह हर महीने आती है। सूर्य हर महीने राशि बदलता है, लेकिन अधिक मास में सूर्य राशि नहीं बदलता है, इस वजह से यह महीना शुभ नहीं माना जाता है। अधिक मास को ऐसे मिला भगवान विष्णु का नाम: हिंदी पंचांग में अधिक मास को मलिन मास माना जाता है, इसी कारण इसका नाम मलमास पड़ गया। सभी 12 महीनों के अलग-अलग स्वामी देवता होते हैं, लेकिन यह अतिरिक्त महीना गंदा होने के कारण कोई भी देवता इसका स्वामी नहीं बनना चाहता था। उस समय मलमास ने विष्णु जी से प्रार्थना की थी। मलमास की आराधना से प्रसन्न होकर विष्णु जी इस माह के स्वामी बने और इस माह को अपना सर्वश्रेष्ठ नाम पुरूषोत्तम भी दिया। इस कारण अधिक मास को पुरूषोत्तम मास भी कहा जाता है। अधिक मास में करने चाहिए ये काम: अधिक मास में पूजा-पाठ संबंधी सभी धार्मिक अनुष्ठान किए जा सकते हैं। जैसे अपने इष्टदेव की पूजा करें, शिवलिंग, विष्णु, श्रीकृष्ण और गणेश जी का अभिषेक करें। मंत्र जाप करें, ध्यान करें। पाठ पढ़ें या सुनें. व्याख्यान में भाग ले सकते हैं। साधु-महात्माओं के दर्शन करें। धन, अनाज, जूते-चप्पल, कपड़े का दान करें। गायों की देखभाल के लिए धन दान करें।
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