मामले में लोक अभियोजक सुरेशचंद्र शर्मा ने बताया कि प्रार्थी अजमेर निवासी दुलीचंद पुत्र करणसिंह जैन ने उदयपुर के सुखेर थाने में 1 दिसंबर 2016 को रिपोर्ट दी थी. इसमें बताया कि प्रार्थी की पुत्री रुचिता का विवाह उदयपुर निवासी कृष्णवल्लभ गुप्ता से 13 साल पहले हुआ था. विवाह के बाद दोनों ही उदयपुर में रह रहे थे और उनके एक पुत्र और पुत्री थी. प्रार्थी ने रिपोर्ट में आरोप लगाया कि उसका दामाद रुचिता को परेशान कर मारपीट करता था. प्रार्थी की पुत्री के प्रेम विवाह करने और समाज में बदनामी के डर से वह चुप रहती थी. इसका तलाक का केस भी चला था. उसके रिश्तेदार मुकेश जैन की पत्नी मोनिका से पता चला कि प्रार्थी की पुत्री रुचिता कीहत्या (Murder) हो गई है. इस पर प्रार्थी उदयपुर पुत्री रुचिता के ससुराल पहुंचा. यहां फ्लैट में रुचिता का खून से सना हुआ शव पड़ा हुआ था. घर में जगह-जगह खून के धब्बे लगे हुए थे. प्रार्थी की पुत्री ने खुद को बचाने के लिए काफी संघर्ष किया था.
इस रिपोर्ट के बाद प्रार्थी दुलीचंद जैन ने पुलिस (Police) थाने पर एक और रिपोर्ट दी. इसमें बताया कि प्रार्थी की पुत्री रुचिता कीहत्या (Murder) उसके दामाद ने नहीं की है, किसी अन्य नेहत्या (Murder) की है. प्रार्थी ने रिपोर्ट में दिव्य कोठारी परहत्या (Murder) का आरोप लगाया था, जो कि पास में ही सामने स्थित फ्लैट संख्या 802 में रहता था. घटना के बाद से दिव्य कोठारी फ्लैट पर नहीं था. इसी दौरान दिव्य कोठारी के पिता अरविंद ने एक सुसाइड नोट थाने पर पेश किया था.
लोक अभियोजक शर्मा ने बताया कि आरोपित दिव्य कोठारी ने अंबामाता पुलिस (Police) थाने की फतेहपुरा पुलिस (Police) चौकी पर आत्मसमर्पण किया. इस पर सुखेर थाना पुलिस (Police) नेहत्या (Murder) का मामला दर्ज करते हुए आगे जांच शुरू की. आरोपित की निशानदेही पर पुलिस (Police) ने घटना में प्रयुक्त चाकू बरामद कर अन्य साक्ष्य जुटाए. सुखेर थाना पुलिस (Police) ने प्रकरण का अनुसंधान करने के बाद न्यायालय में चालान पेश किया.
यह मामला बाद में चित्तौड़गढ़ कोर्ट में सुनवाई के लिए आया. इस मामले की सुनवाई करते हुए जिला एवं सेशन न्यायाधीश (judge) ओमी पुरोहित ने गुरुवार (Thursday) को फैसला सुनाया.हत्या (Murder) के मामले में दोषी दिव्य कोठारी को धारा 302 के तहत आजीवन कारावास और 50 हजार रुपये अर्थदंड, धारा 450 में 5 वर्ष का कारावास तथा 4/ 25 आर्म्स एक्ट में 1 वर्ष का कारावास सुनाया. न्यायालय में सुनवाई के दौरान दुष्कर्म साबित नहीं होने के कारण अभियुक्त को इस आरोप से दोषमुक्त किया गया. प्रकरण की सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष की ओर से न्यायालय में 35 गवाह और 149 दस्तावेज पेश किए गए.
लोक अभियोजक सुरेश चंद्र शर्मा ने बताया कि आरोपित दिव्य कोठारी ने पुलिस (Police) पूछताछ में स्वीकार किया था कि उसका और मृतका का फ्लैट आसपास में ही था. पड़ोसी होने के कारण उसका घर आना-जाना था. वारदात के दौरान रुचिता फ्लैट पर अकेली थी. इस पर वह फ्लैट में जाकर छेड़खानी करने लगा. पीड़िता ने छेड़खानी की शिकायत परिजनों से करने की बात कही तो अभियुक्त दिव्य कोठारी ने रुचिता कीहत्या (Murder) कर दी और फरार हो गया.
लोक अभियोजक सुरेशचंद्र शर्मा ने बताया कि यह प्रकरण इसलिए महत्वपूर्ण है कि मृतका रुचिता अधिवक्ता थी. वारदात के बाद उदयपुर (Udaipur) में किसी भी अधिवक्ता ने कोर्ट में इस मामले में न्यायालय में पैरवी नहीं की. इस पर उच्च न्यायालय ने प्रकरण को जिला एवं सत्र न्यायालय चित्तौड़गढ़ को स्थानांतरित किया था.