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राजस्थान : भरतपुर के कुम्हेर क्षेत्र में 31 साल पहले दो समाजों के बीच में विवाद हुआ था, जिसमें 16 लोगों की मौत और 44 लोग घायल हुए थे। इस मामले में पुलिस की जांच के बाद सीबीआई ने जांच की और जांच के बाद 283 लोगों के बयान लेकर 83 लोगों के खिलाफ कोर्ट में चालान पेश किया था। इसमें एससी-एसटी कोर्ट द्वारा फैसला सुनाते हुए 50 लोगों में से नौ लोगों को आजीवन कारावास और 41 लोगों को न्यायालय ने बरी कर दिया है।
एडवोकेट राजेंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि छह जून 1992 में जिले के कुम्हेर कस्बे में दो समाजों के बीच आपसी कहासुनी को लेकर विवाद हो गया था। यह विवाद इतना बढ़ गया कि इसमें 16 लोगों की मौत और 44 लोग घायल हो गए थे। 16 मृतकों में से 11 की पहचान हो पाई थी, बल्कि पांच लोगों की पहचान नहीं हो सकी थी। इस मामले में दो एफआईआर दर्ज हुई थी।
पहली एफआईआर एसआई किशन सिंह और दूसरी एफआईआर एसआई रामकरण ने दर्ज कराई थी। मामले की जांच सीबीआई द्वारा की गई, जिसमें सीबीआई ने 283 लोगों के बयान लिए थे। धारा-302 व एससी- एसटी के साथ विभिन्न धाराओं में 83 लोगों के खिलाफ चालान पेश किया गया। यह मामला एससी-एसटी कोर्ट में लंबा चलने की वजह से जिनमें से अब तक 32 लोगों की मौत और एक अब तक फरार है। इस मामले में 31 साल बाद कोर्ट ने न्याय करते हुए कुल बचे 50 में से नौ को आजीवन कारावास और 41 को बरी कर दिया है।
बरी हुए लोगों का कहना है कि कानून पर उनका पूरा भरोसा था। उनका इस मामले में कोई लेना-देना नहीं था। इस केस में बरी हुए मोतीलाल ने बताया कि जब यह घटना हुई वह मौके पर नहीं थे। लेकिन जान-पहचान अच्छी होने के चलते लोगों ने जबरदस्ती नाम लिखवा दिया। इस मामले में शनिवार को फैसला आया है, जिसमें मैं बरी हुआ हूं। इस फैसले से मैं और मेरा परिवार खुश है। इस मामले में लख्खो, प्रेम सिंह, मान सिंह, राजवीर, प्रीतम, पारस जैन, चेतन, शिव सिंह और गोपाल को आजीवन कारावास की सजा हुई है।
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