राजस्थान

कुशलगढ़ तालवृक्ष ने सड़क किनारे रखे किलोमीटर माप के पत्थरों का स्वरूप बिगाड़ दिया

Shantanu Roy
24 July 2023 2:14 PM GMT
कुशलगढ़ तालवृक्ष ने सड़क किनारे रखे किलोमीटर माप के पत्थरों का स्वरूप बिगाड़ दिया
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अलवर। अलवर सड़क मार्ग पर किलोमीटर अंकित पत्थर यानी मील के पत्थर पथ प्रदर्शक के रूप में काम करते हैं। किसी भी गंतव्य तक पहुंचने के लिए उचित दूरी व जगह की जानकारी प्रदान करने के लिए ही इन्हें सड़क के किनारे लगाया जाता है, लेकिन कुशालगढ से तालवृक्ष तक जो किलोमीटर पत्थर लगे हुए है, इन दिनों उनका स्वरूप बिगड़ा हुआ नजर आता है। कुशालगढ से तालवृक्ष तक की कुल दूरी 11 किलोमीटर तक है, जहां रास्ते में आपको दिशा सूचक के रूप में लगे हुए मील के पत्थरों की दशा बिगड़ी हुई साफ देखने को मिल जाएगी। कुछ समाजकंटक इन पर लिखे अलवर शब्त से कुछ जगह अ हटा रखा है तो कहीं पर अल हटा हुआ है।
मील के पत्थरों से छेड़छाड़ कर नाम बिगाड़ दिया गया है। अलवर शहर को ग्रामीण क्षेत्रों से जोड़ने वाली अन्य कई सड़कों पर लगे किलोमीटर स्टोन की भी हालत इसी प्रकार की हो चुकी है। तालवृक्ष की पहचान ऐतिहासिक और पौराणिक स्थल के रूप में है। जहां पर गंगा माता का मंदिर, भूतेश्वर महादेव मंदिर, गुणीवाला हनुमानजी का मंदिर है। बड़ी संख्या में प्रतिवर्ष यहां पर्यटक आते हैं, लेकिन पर्यटन विभाग इस दिशा में किसी भी प्रकार सुधार और एक्शन नहीं लिया गया। पहले यह सड़क पीडब्ल्यूडी के अधीन आता था, लेकिन वर्तमान में यह नेशनल हाईवे के अधीन आ चुका है।
गोविन्दगढ. करीब 125 करोड़ से बनी सड़क अब गड्ढों में तब्दील होने लगी है। जिससे आए दिन हादसों होने का भय बना रहता है। आरोप है कि एनसीआर पीबी विभाग के अभियंताओं का इस ओर कोई ध्यान नही है, जबकि ग्रामीण दुर्घटनाओं का शिकार भी हो चुके है। दरअसल गोविंदगढ़ से सीकरी के लिए जाने वाली सड़क इन दिनों गड्ढे में तब्दील हो रही है। ग्रामीणों ने बताया कि यहां पर कुछ दिन पूर्व एक ट्रैक्टर-ट्रॉली और एक टेंपो भी पलट गया था। सड़क में गहरे गड्ढे हो रखे है। ग्रामीणों ने बताया कि बारिश आने के साथ ही यह सड़क टूटने लगी है और जगह-जगह से उखड़ गई है। बरसात के दिनों में गड्ढों में पानी भर जाता है। वाहन चालकों को पता नहीं चलता और अचानक गड्ढों में वाहन जाने से वह असंतुलित होकर बैठ जाते हैं। इस रोड से स्कूल वाहिनी भी गुजरती है। संबंधित विभाग की ओर से शिकायत के बाद एक बार भी गड्ढों को ठीक नहीं कराया गया। न ही सड़क की रिपेयरिंग करवाई गई, जबकि सड़क निर्माण के दौरान सड़क बनाने वाले ठेकेदार की ओर से 5 वर्ष तक के लिए सड़क की गारंटी दी जाती है।
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