कोटा यूनिवर्सिटी हर साल बेरोजगारों की फौज खड़ी कर रही, डिग्रियां बांट रहा विश्वविद्यालय
कोटा: संभाग की सबसे बड़ी कोटा यूनिवर्सिटी हर साल बेरोजगारों की फौज खड़ी कर रही है। यहां से पास आउट स्टूडेंट्स जॉब के लिए भटक रहे हैं। प्रोफेशनल डिग्री के बावजूद सैंकड़ों विद्यार्थी बेरोजगार हैं। यहां न तो विद्यार्थियों की काउंसलिंग की जाती है और न ही स्किल डवलपमेंट पर ध्यान दिया जा रहा। हालांकि, फीस लेकर डिग्री जरूर दी जा रही है। लेकिन, डिग्री के साथ उन्हें रोजगार के लायक नहीं बनाया जा रहा। दरअसल, कोटा विश्वविद्यालय यूजीसी की गाइड लाइन की धज्जियां उड़ा रहा है। यहां पिछले 5 साल से प्लेसमेंट कैम्प नहीं लगाया गया। जबकि,विश्वविद्यालय में प्लेसमेंट एंड काउंसलिंग सेल बनी हुई, लेकिन इसके उद्देश्य सार्थक नहीं हो रहे।
5 साल से कैम्पस में नहीं लगा प्लेसमेंट कैम्प
नाम न छापने की शर्त पर प्रोफेसर ने बताया कि वर्ष 2018 से कोटा यूनिवर्सिटी कैम्पस में प्लेसमेंट कैम्प नहीं लगाया गया और न ही किसी कम्पनी से समन्वय स्थापित किया। यहां हजारों बच्चे हर साल एकेडमिक से लेकर प्रोफेशनल डिग्री के साथ पासआउट हो रहे हैं लेकिन उन्हें रोजगार दिलाने की दिशा में कोई सकारात्मक कदम नहीं उठाया गया। जबकि, विश्वविद्यालय में प्लेसमेंट एंड काउंसलिंग बनी है। स्किल डवलपमेंट को लेकर भी कोई आयोजन नहीं करवाए गए। हालांकि, साइंस व कॉमर्स से कुछ बच्चों को निजी कोचिंग में इंटरव्यू के लिए भेजा गया था। लेकिन वहां मूल विषय से हटकर कम्प्यूटर आॅपरेटर की जॉब थी। ऐसेमें विद्यार्थियों को मजबूरन जॉब छोड़नी पड़ी।
रिसर्च आधारित एनवायरमेंट हो विकसित
इंडस्ट्री की मांग के अनुरूप छात्रों को तैयार करने के लिए पढ़ाई के समय ही उन्हें इंडस्ट्री की आवश्यकताओं से अवगत कराना बेहद आवश्यक है। जिसके लिए विश्वविद्यालय को अपने क्षेत्रों में संचालित विभिन्न कम्पनियों से समन्व्य स्थापित करने चाहिए। साथ ही क्वालिटी एजुकेशन पर फोकस कर बच्चों को रोजगार से जोड़ा जा सकता है। स्थानीय, राष्ट्रीय व वैश्विक मुद्दों के लिए यूनिवर्सिटी को रिसर्च आधारित एनवायरमेंट निर्मित करना चाहिए ताकि बच्चों को पढ़ाई के साथ रोजगार से जोड़ा जा सके।
जेडीबी में मिला 95 छात्राओं को मिला रोजगार
जेडीबी साइंस कॉलेज में गत 30 जनवरी को प्लेसमेंट कैम्प लगाया गया था। जिसमें प्रथम से तृतीय वर्ष की 607 छात्राओं ने पंजीयन करवाया था। जिसमें से 95 छात्राओं को जॉब के लिए कम्पनियों द्वारा आॅफर लेटर दिया गया। कॉलेज की प्लेसमेंट सेल के प्रयासों से बालिकाओं को पढ़ाई के साथ रोजगार मिल सका। वहीं, गवर्नमेंट कॉलेज कोटा में हाल ही में 3 फरवरी को रोजगार शिविर लगा, जिसमें 2 छात्रों को 3 से 4 लाख का पैकेज मिला। सवाल यह है, जब कॉलेज बच्चों को रोजगार दिला सकते हैं तो विश्वविद्यालय क्यों दिला सकता।
90 बच्चे हुए थे जॉब इंटरव्यू में फेल
केमेस्ट्री से एमएससी कर रहीं ऊर्षा शर्मा ने बताया कि विश्वविद्यालय में प्लेसमेंट कैम्प लगाना तो दूर, जॉब के लिए इंटरव्यू कैसे दिए जाएं, रिज्यूम कैसे तैयार किए जाते हैं, इंडस्ट्री की डिमांड क्या है इसकी जानकारी देने के लिए यहां कौशल विकास प्रशिक्षण केंद्र तो बना है लेकिन ट्रैनिंग नहीं दी जा रही। वर्ष 2021 में एक निजी कोचिंग संस्थान में इंटरव्यू केलिए साइंस के 96 बच्चों को भेजा गया था, जिसमें से 90 बच्चे इंटरव्यू में फेल हो गए। हालांकि, 6 बच्चों का सलेक्शन हुआ लेकिन वह जॉब कम्प्यूटर आॅपरेटर की थी । जिसके चलते उनमें से कई विद्यार्थियों को नौकरी छोड़नी पड़ी।
दो प्रोफेशनल डिग्री फिर भी बेरोजगार
रेखा माहेश्वरी (परिवर्तित नाम) ने बताया कि वर्ष 2017 में कोटा यूनिवर्सिटी में बीएससी में एडमिशन लिया था। यूजी के बाद यहीं से हास्पिटल एडमिनेस्ट्रेशन में एमबीए किया। अब बिजनेस एंड एडमिनेस्ट्रेशन में एमबीए कर रही हूं। लगातार छह साल से यूनिवर्सिटी में रेगुलर स्टूडेंट हूं लेकिन विश्वविद्यालय प्रशासन ने इस दरमियान एक बार भी प्लेसमेंट कैम्प नहीं लगवाया। वहीं, इंडस्ट्री विजिट भी नहीं करवाया। हमें खुद ही अपने स्तर पर रोजगार की तलाश करनी पड़ रही है। इधर, एमबीए स्टूडेंट पूर्वी खन्ना का कहना है, प्रोफेशनल डिग्री के बाद भी बेरोजगार घूम रहे हैं। विश्वविद्यालय प्रशासन भले ही कैम्प न लगाए लेकिन किन इंडस्ट्री में वैकेंसी है, इसकी तो सूचना देनी चाहिए।
यूजीसी की गाइड लाइन की उड़ा रहे धज्जियां
विश्वविद्यालय की स्थापना विद्यार्थियों के सर्वार्गिंण विकास के उद्देशय से की जाती है। स्कूल के बाद उच्च शिक्षण संस्थान ही वह स्थान है, जहां कॅरियर की दिशा तय होती है। क्वालिटी एजुकेशन देने के साथ छात्रों को रोजगार के लिए तैयार करना भी विश्वविद्यालय का किरदार है। इसीलिए, विश्वविद्यालयों में छात्र कल्याण प्रकोष्ठ व प्लेसमेंट सेल गठित की जाती है। लेकिन, कोटा विश्वविद्यालय यूजीसी के नियमों का खुला उल्लंघन कर रहा है। यहां प्लेसमेंट सेल तो बनी है लेकिन लंबे समय से सक्रिय नहीं है। जबकि यूजीसी नियमों के अनुसार प्लेसमेंट सेल को सक्रिय रखना अनिवार्य है। पढ़ाई के साथ स्किल डवलपमेंट के लिए गेस्ट लेक्चचर करवाना होता है ताकि विद्यार्थी इंडस्ट्री की डिमांड के अनुरूप तैयार हो सके। लेकिन, विश्वविद्यालय में इस तरह के कोई प्रयास नहीं किए गए।
यूनिवर्सिटी में संचालित हो रहे 30 कोर्स
कोटा यूनिवर्सिटी में करीब 30 कोर्सज संचालित हो रहे हैं। इनमें 25 एकेडमिक, 3 डिप्लोमा तथा 1 सर्टिफिकेट कोर्स शामिल हैं। हाड़ौती से हर साल बड़ी संख्या में एडमिशन लेते हैं। जिन्हें सिर्फ डिग्रीधारी बना रहे, नौकरी लायक बनाने पर विश्वविद्यालय प्रशासन का कोई ध्यान नहीं है। यूनिवर्सिटी द्वारा स्टूडेंट्स के बेहतर भविष्य के लिए कोई प्रयास नहीं किए जा रहे।
कुलपति ने न फोन अटैंड किया और न ही मैसेज का जवाब दिया
खबर के सिलसिले में दैनिक नवज्योति ने कोटा विश्वविद्यालय की कुलपति निलिमा सिंह से उनके कार्यालय में मिलने की कोशिश की थी लेकिन उन्होंने समय नहीं दिया। इसके बाद उन्हें फोन किया जो अटैंड नहीं किया। इसके बाद उन्हें मैसेज भी किया। उन्होंने मैसेज पड़ा लेकिन जवाब नहीं दिया।
इंडस्ट्री की मांग के अनुरूप हो कोर्सेज का संचालन
एक तरफ जहां युवा आगे बढ़ने के सपने देख रहे हैं तो वहीं दूसरी तरफ अकेडमिक में दी जा रही शिक्षा और इंडस्ट्री की आवश्यकताओं के बीच भारी अंतर के कारण उन्हें समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। सही दिशा में उठाया गया एक कदम युवाओं के जीवन में कई परिवर्तन ला सकता है । इसी को ध्यान में रखकर विश्वविद्यालय को डंडस्ट्री की मांग के अनुरूप एकेडामक मॉडल बनाकर कोर्सेज का संचालन करना चाहिए। यह प्रयास इंडस्ट्री की आवश्यकताओं व अकेडमिक शिक्षा के बीच अंतर कम कर सकता है। यूजीसी का प्रावधान है कि विश्वविद्यालय अपने क्षेत्रों में संचालित इंडस्ट्रीज से समनव्य स्थापित कर विद्यार्थियों को रोजगार से जोड़े।
इनका कहना है
अक्टूबर 2019 में मैंने प्लेसमेंट एंड काउंसलिंग सेल के चेयरमैन का कार्यभार ग्रहण किया था। मार्च 2020 में कोरोना महामारी के कारण लोकडाउन लग गया था। इन दो सालों में कोई काम नहीं हुआ लेकिन वर्ष 2022 में हमने साइंस के 96 बच्चों को जॉब इंटरव्यू के लिए कुछ निजी कोचिंग संस्थाओं में भेजा था। जिसमें से 6 बच्चों का सलेक्शन हुआ था। हालांकि आर्ट्स के लिए कहीं से भी कोई रिक्वायरमेंट नहंी मिली, जिसकी वजह से उन्हें इंटरव्यू के लिए कहीं नहीं भेज पाए। वहीं, अक्टूबर 2022 में कार्यभार डॉ. नीलू चौहान को सौंप दिया।
- सौरभ दलेला, पूर्व प्लेसमेंट एंड काउंसलिंग सेल चेयरमैन, कोटा यूनिवर्सिटी
यूजीसी गाइड लाइन के मुताबिक कॉलेज हो या विश्वविद्यालय, प्लेसमेंट सेल सभी जगह गठित की जाती है। जिसका उद्देश्य विद्यार्थियों को रोजगार के लिए तैयार करना है। विश्वविद्यालय प्रशासन को स्थानीय कम्पनियों से समन्वय स्थापित कर उन्हें कैम्पस में स्टूडेंट्स के बीच आमंत्रित करना चाहिए। ताकि, कम्पनियों की एम्लोई से क्या अपेक्षाएं रहती हैं, इससे रुबरू हो सके। साथ ही कैम्पस में पर्सनलटी डवलपमेंट के प्रोग्राम आयोजित किए जाने चाहिए। जिससे विद्यार्थियों में आत्मविश्वास मजबूत होगा तो वह स्वयं के स्तर पर रोजगार के लिए एप्रोच कर सकेगा।
- डॉ. रघुराज सिंह परिहार, सहायक निदेशक कॉलेज आयुक्तालय
वर्ष 2018 से कोटा यूनिवर्सिटी में प्लेसमेंट कैम्प नहीं लगाया गया। विवि प्रशासन डिग्रियां तो बांट रहा है लेकिन छात्रों को रोजगार से नहीं जोड़ रहा। विद्यार्थियों को किताबी ज्ञान के साथ प्रैक्टिकल ट्रैनिंग भी दी जानी चाहिए। इंडस्ट्रीज की मांग के अनुरूप अपने व्यवसायी शिक्षा में बदलाव कर कम्पनियों से समन्वय स्थापित कर कैम्पस में प्लेसमेंट कैम्प लगाने चाहिए। हर साल हजारों छात्र डिग्री लेकर बेरोजगार घूमने को मजबूर हैं। जबकि, एमबीए, एमटेक, एमएसएसी, आर्ट्स के विद्यार्थी विवि प्रशासन से रोजगार दिलवाने की आस में एडमिशन लेते हैं लेकिन उन्हें रोजगार तो दूर उनकी स्किल ग्रूमिंग तक नहीं की जाती।
-अजय पारेता, छात्रसंघ अध्यक्ष कोटा विश्वविद्यालय
हर कॉलेज व यूनिवर्सिटी में प्लेसमेंट सेल अनिवार्य है। छात्रों को रोजगार के अवसर उपलब्ध करवाने में इस सेल की महत्वपूर्ण भूमिका रहती है। जॉब इंटरव्यू, बात करने का तरीका, रिज्यूम तैयार करना, बॉडी लेंग्वेज, ड्रेस कोर्ड व इंटरव्यू के दौरान बरती जाने वाली सावधानियों के बारे में बताया जाता है। जिससे स्टूडेंट्स में आत्मविश्वास का लेवल बढ़ता है। हाल ही 3 फरवरी को हमने कॉलेज में कैम्प लगाया था। जिसमें 2 बच्चों को 3 से 4 लाख का पैकेज के साथ कम्पनी में चयन हुआ है।
-डॉ. सुमन शर्मा, प्लेसमेंट सेल संयोजक, गवर्नमेंट कॉलेज कोटा
विश्वविद्यालय में प्लेसमेंट कैम्प का आयोजन करवाना प्लेसमेंट एवं काउंसलिंग सेल का काम है। यदि, यूनिवर्सिटी कैम्पस में प्लेसमेंट कैम्प नहीं लग रहे तो दिखवाया जाएगा। संबंधित डिपार्टमेंट से बात करेंगे।
- राजकुमार उपाध्याय, रजिस्ट्रार कोटा यूनिवर्सिटी
किसी भी उच्च शिक्षण संस्थान में बच्चों को रोजगार के अवसर उपलब्ध करवाने के लिए प्लेसमेंट सेल होना अनिवार्य है। यूजीसी की स्पष्ट गाइड लाइन है कि कॉलेजों व विश्वविद्यालयों में प्लेसमेंट सेल होना और उसे सक्रिय रखना जरूरी है। वहीं, नेक की मान्यता के लिए भी संस्थान में प्लेसमेंट सेल के अलग से नम्बर काउंट होते हैं। कितने बच्चों को प्लेसमेंट के माध्यम से रोजगार उपलब्ध कराए, इसका भी रिकॉर्ड रखा जाता है।
- डॉ. संजय भार्गव, प्राचार्य जेडीबी साइंस कॉलेज