दीगोद: क्षेत्र का एकमात्र राजकीय वरिष्ठ उपाध्याय संस्कृत विद्यालय डूंगरज्या जिसके लगभग 100 पूर्व विद्यार्थी विगत 25 वर्षों में सरकारी सेवाओं में चयनित हो चुके हैं, इन दिनों शिक्षकों व भौतिक सुविधाओं की कमी से जूझ रहा है। जानकारी के अनुसार इस विद्यालय में पूर्व में 400 से 500 विद्यार्थी देववाणी संस्कृत भाषा का अध्ययन किया करते थे। डूंगरज्या को कोटा संभाग में संस्कृत नगरी के नाम से जाना जाता था। लेकिन शिक्षकों की कमी एवं भौतिक सुविधाओं की कमी के चलते यह विद्यालय वीरान होने की कगार पर है। हालत यह है कि आज मात्र 85 का नामांकन रह गया है। जिनमें 90% मजदूर व किसान वर्ग के बच्चे अध्ययनरत हैं। विद्यालय में 17 स्वीकृत पदों में से मात्र 4 शिक्षक एवं 1 चतुर्थ श्रेणी कार्मिक कार्यरत है। जिनमें से भी 1 व्याख्याता के पास प्रधानाचार्य, संकुलाध्यक्ष संकुलाधीन 5 विद्यालय का दायित्व है। साथ ही शिक्षामत्री द्वारा डेपुटेशन निरस्त के चलते संकुलाधीन संस्थाओं से भी शिक्षण व्यवस्थार्थ किसी शिक्षक का लाभ प्राप्त नहीं हो रहा है।
ऐसे में अग्रेजी, गणित विषय के लिए तो एक निजी शिक्षक द्वारा शिक्षण कार्य करवाया जा रहा है। डूंगरज्या ग्राम के बाहर तालाब के दूसरे छोर पर स्थित राजकीय वरिष्ठ उपाध्याय संस्कृत विद्यालय कक्षा 1 से 12 तक संचालित है जिसमें कुल 16 कमरे हैं। लेकिन अत्यधिक बरसात एवं तालाब नजदीक होने के कारण 11 कमरे पूर्णत: क्षतिग्रस्त हो चुके हैं। केवल 5 कमरे ही ठीक अवस्था में हैं। जिनमें से 2 कमरे कार्यालय एवं पोषाहार इत्यादि में काम आ रहे हैं। स्थानीय विद्यालय में चोरी की वारदातें भी आए दिन होती रहती हैं। चारदीवारी भी कई जगह से क्षतिग्रस्त है। रसोईघर नहीं है। खेल मैदान विकसित करना, शौचालय मूत्रालय नवनिर्माण एवं मरम्मत कार्य अपेक्षित हैं।
5 कमरों की अभी तक नहीं मिली स्वीकृति
हाल ही में समग्र शिक्षा अभियान 2023-24 के अन्तर्गत मात्र एक कमरा तैयार हुआ है। समग्र शिक्षा प्लान 2024-25 के अन्तर्गत 64.17 लाख के पांच कमरों की स्वीकृति स्थानीय विद्यालय को आज तक प्राप्त नहीं हुई है। लोकसभाध्यक्ष ओम बिरला के कोष से 18 लाख के 2 कमरों का आज तक काम शुरू नहीं हुआ है।
29 साल से चल रहा है अखंड रामायण पाठ
कमल सरोवर धाम डूंगरज्या नाम से प्रसिद्ध डूंगरज्या नगरी में ग्राम वासियों के सहयोग से विगत 29 वर्षों सें अखण्ड रामायण पाठ चल रहा है। ऐसे गांव में देववाणी संस्कृत भाषा की यह दशा चिंताजनक है।
विद्यालय में शिक्षकों की कमी से बच्चों की पढ़ाई में नुकसान हो रहा है। विद्यालय के कमरों के हालात भी ठीक नहीं।
- रामस्वरूप शर्मा, विधायक प्रतिनिधि --0153
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पीड़ादायक समस्या है। इसका हल होना चाहिए। अधिकारियों को इस पर ध्यान देना चाहिए।
- विशाल गोचर, पंचायत समिति
संस्कृत विद्यालय के हालात ठीक नहीं हैं। विद्यालय में शिक्षक नहीं है। पूरा स्कूल खंडहर हो रहा है।
- नंदकिशोर नागर, ग्रामवासी
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अधिकारियों को इस पर ध्यान देना चाहिए। ताकि विद्यालय सुचारू रूप से चल सके।
- रिंकू वैष्णव, एसएमसी अध्यक्ष
सरकार से मांग है कि विद्यालय सही तरीके से कार्य करवाएं शिक्षा विभाग को इस मामले में संज्ञान लेना चाहिए।
- विजय मेघवाल, कांग्रेस इकाई अध्यक्ष -
विद्यालय में कभी भी किसी भी प्रकार से अधिकारियों जनप्रतिनिधियों को लापरवाही नहीं करनी चाहिए।
- महावीर नागर, ग्रामवासी
शिक्षकों की कमी से बच्चों की पढ़ाई में नुकसान हो रहा है। विद्यालय की बिल्डिंग भी पूरी तरह टूटी हुई है। कभी भी हादसा हो सकता है।
- प्रदीप वर्मा, कार्यवाहक प्रधानाचार्य
विद्यालय कार्य के लिए प्रस्ताव भेज दिए गए हैं।
- अंजना जागीरवाल, ब्लॉक शिक्षा अधिकारी