कोटा: नगर निगम दक्षिण का वार्ड नम्बर 48 भी उन वार्डों में शामिल है जिनमें बजट के अभाव में पूर्ण विकास कार्य नहीं हो पाएं हैं। यहां के लोग बताते हैं कि पार्षद भाजपा का और निगम में बोर्ड कांग्रेस का होने का कारण आज भी कई स्थान समस्याग्रस्त हैं। और तो और खुद पार्षद भी ये स्वीकार करती है कि निगम में उनकी कोई नहीं सुनता हैं, बस ठेकेदारों की चलती है। वार्ड में सीसी सड़कें जरूर बनी है और इंटरलाकिंग का काम चल रहा है लेकिन अभी भी कई कार्यों की आवश्यकता है। दक्षिण निगम के इस वार्ड में दादाबाड़ी सेक्टर-3 तथा सेक्टर-4 आते हैं। इलाकों के कुछ लोग कहते है कि चाहे कोई भी हो उसे चुनाव होने तक ही क्षेत्र के लोग याद रहते हैं, उसके बाद सिर्फ खुद के काम। वार्ड की कई गलियां तो ऐसी हैं जहां नियमित रूप से सफाई ही नहीं होती। दिनभर कचरा सड़कों पर उड़ा-उड़ा फिरता है। रोड की नालियां भरी रहती है। कुछ गलियों में सीसी सड़कें बन चुकी है तो कुछ सड़कों पर गड्ढेंÞ बने हुए हैं। ये बात सही है कि निगम में कांग्रेस का राज हैं लेकिन काम करवाने वाला हो तो हर काम होते हैं।वार्ड के कुछ लोग बताते हैं कि वार्ड की कई गलियों में सड़कों की हालात सुधर गई हैं। सीवरेज की समस्या से भी मुक्ति मिली है। पार्षद को समस्या बताने पर पर वो उसे समाप्त करने का हर संभव प्रयास करती है। फिलहाल वार्ड की सबसे बड़ी समस्या श्वानों की है जो रातभर गलियों में घूमते रहते हैं और भोंकते रहते हैं। वहीं कुछ आवारा मवेशी भी हैं जो वार्डवासियों की घर के बाहर खड़ी गाड़ियों की सीटों को खा जाते हैं। ये आवारा मवेशी कई बार दुर्घटना का कारण भी बन चुके हैं।
वार्डवासी बताते है कि सड़कों तक की सफाई उनको करनी पड़ती है। क्षेत्र के पार्कों की दशा की ओर किसी का ध्यान नहीं जाता है। उनकी दीवारें टूटी हुई हैं। बागों में सफाई होती ही नहीं। लोग कुछ देर जाकर बैठना भी चाहे तो वहां के हालात देखकर उल्टे पांव लौटना पड़ता है। संभवतया निगम की ओर से पार्षद को बजट ही नहीं दिया जा रहा हो लेकिन परेशान तो हम लोगों को होना पड़ रहा हैं। लोगों को कम से कम मूलभूत सुविधाएं तो निगम की ओर से दी जाए। कोर्ट के आदेशों के कारण श्वानों को वापस छोड़ना पड़ता है लेकिन इस समस्या का कोई तो हल निकले। वार्ड पार्षद बताती है कि निगम की ओर से लेबर पयापर््त उपलब्ध्र नहीं करवाई जा रही है। लेबर के अभाव में पार्कों में अव्यवस्था बनी हुई है। जहां तक हो सकता है वार्डवासियों की समस्याआें को सुलझाने का पूरा प्रयास करती हूं लेकिन अगर निगम में ही कोई ना सुने तो मैं क्या कर सकती हूं। लोग समझते है कि मैं काम नहीं करवाना चाहती लेकिन उनको आगे की स्थिति मालूम नहीं होती है। वार्ड में कई काम होने अभी बाकी है।
वार्ड में विकास कार्यों के लिए एक करोड़ रूपए का बजट स्वीकृत हुआ था। उससे तो सीसी और डामर की सड़कें ही बन पाई है या कुछ छोटे-मोटे काम हुए हैं। बजट का इंतजार है ताकि वार्ड के शेष रहे विकास कार्य हो सके। साफ-सफाई समय पर हो रही है।
- प्रतिभा गौतम, वार्ड पार्षद।
वार्ड के रोड ठीक हो गए हैं। फिलहाल वार्ड में श्वानों की समस्या के अलावा कोई बड़ी समस्या नहीं है। बस जल्द से जल्द समाप्त होनी चाहिए। रातभर परेशान करते हैं। सीवरेज की समस्या भी खत्म हो गई है। पार्षद ने ठीक काम करवाएं हैं।
-हैरत शर्मा, वार्डवासी।
हमारी गली में कोई सीसी सड़क नहीं बनी है। पार्क की सुध लेने वाला कोई है। सीवरेज की लाइन नहीं डाली गई है। समय पर साफ-सफाई नहीं होती। या तो सफाईकर्मी आते नहीं और आते हैं तो औपचारिकता पूरी करके चले जाते हैं।
-नरेन्द्र सिंह राठौड़, वार्डवासी।
वार्ड में साफ-सफाई और श्वानों की समस्या बनी हुई है। जिसका समाधान किया जाना जरूरी है। कुछ गलियों में सड़कें नई बनी हैं तो कुछ में भी वहीं हालात हंै। पार्काें पर भी थोड़ा ध्यान दिया चाहिए।
-दक्षिता शर्मा, वार्डवासी।
हमारी गली में झाड़ू लगाने वाला कभी-कभार ही आता है। खुद सफाई करनी पड़ती है। लोगों ने सड़कों को पीकदान बना रखा है। कुछ समय पहले तक जानवरों की समस्या थी लेकिन फिलहाल ऐसा नहीं है।
-सुशीला देवी, वार्डवासी।