राजस्थान

कोटा: कोर्ट ने दहेज हत्या के आरोपित पति को 10 साल की कारावास की सजा सुनाई

Admin Delhi 1
28 March 2022 3:06 PM GMT
कोटा: कोर्ट ने दहेज हत्या के आरोपित पति को 10 साल की कारावास की सजा सुनाई
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सिटी क्राइम न्यूज़: न्यायालय ने दहेज हत्या के मामले में निर्णय देते हुए आरोपित को दोषी करार दिया और 10 साल का कारावास व 10 हजार रुपये जुर्माने की सजा से दंडित किया है। प्रकरण के अनुसार परिवादी ओमप्रकाश पुत्र दीनदयाल नगर निवासी नलका वार्ड नंबर 1 कोटा रोड बारां, स्वामी विवेकानंद नगर थाना आरकेपुरम कोटा शहर ने 14 नवंबर 2016 आरके पुरम थाने में उपस्थित होकर एक लिखित रिपोर्ट इस आशय की पेश की कि मेरी बहन सुनीता का विवाह मधुसूदन के साथ हुआ था। शादी के समय परिवादी ने अपनी हैसियत से बढ़कर दहेज दिया था,जिसमें अन्य सामानों के अलावा सोने चांदी के जेवर आदि थे। शादी के समय ही मेरी बहन को आती-जाती कर दी थी। परिवादी की बहन सुनीता, आरोपी के यहां शादी के समय 7-8 दिन रही, उसी समय से ही मेरी बहन सुनीता को समस्त आरोपीगण शारीरिक व मानसिक रूप से परेशान करके ताने मारने लगे व दहेज के लिए परेशान करने लगे।

लगातार शारीरिक व मानसिक रूप से प्रताड़ित सुनीता ने भाभी दीपिका को 9 अक्टूबर 2016 को बताया कि मुझे मेरे ससुराल वाले दहेज की मांग को लेकर ज्यादा ही परेशान कर रहे हैं। 10 अक्टूबर 2016 को सुनीता के पति ने मोबाइल पर फोन करके 3 पीएम पर सुनीता की भाभी दीपिका को कहा कि सुनीता को समझाओ। इस पर मेरी पत्नी ने सुनीता से कहा कि मैं एक दो दिन में तेरे भैया को भेज दूंगी और उसके बाद 10 अक्टूबर 16 को वापस करीब शाम 6 बजे परिवादी के मोबाइल पर फोन आया कि सुनीता कमरे में बंद है और कमरे का दरवाजा नहीं खोल रही है। इस पर परिवादी की पत्नी दीपिका ने सुनीता के मोबाइल पर फोन किया। पर मोबाइल का एक फोन नंबर बंद है व एक नंबर पर घंटी जा रही थी,लेकिन फोन किसी ने अटेंड नहीं किया। इसके बाद परिवादी ने अपने रिश्तेदार फूलचंद नागर को फोन करके सूचित किया, जिस पर वे परिवादी की बहन के ससुराल पहुंचे, जहां पर सुनीता कमरे में बंद थी। ससुराल वालों के सहयोग से किवाड़ तोड़ कर देखा तो अंदर सुनीता फंदे पर लटकी हुई मिली।

पुलिस ने वादी की रिपोर्ट पर धारा 304 बी के तहत मुकदमा दर्ज कर अनुसंधान प्रारंभ किया। आरोपी मधुसूदन नागर पुत्र राधेश्याम नागर जाति धाकड़ निवासी बीएचएल 347 विवेकानंद नगर थाना आरके पुरम कोटा के विरुद्ध धारा 304 बी में अपराध प्रमाणित नहीं पाए जाने पर धारा 498ए,306 आईपीसी के तहत गिरफ्तार किया। अनुसंधान के पश्चात आरोपी के विरुद्ध न्यायालय में आरोप पत्र पेश किया था।

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