Kota: अभेड़ा बायोलॉजिकल पार्क का द्वितीय फेस का निर्माण कार्य बजट के अभाव में अटका
कोटा: रियासतकाली चिड़ियाघर में बंद 45 से ज्यादा वन्यजीवों की तीन साल बाद भी अभेड़ा बायोलॉजिकल पार्क में शिफ्टिंग नहीं हो सकी। जबकि, चिड़ियाघर में मगरमच्छ से लेकर घड़ियाल तक का जोड़ा है। चंबल क्षेत्र से लुप्त हो चुके घड़ियाल शहर में होने के बावजूद शहरवासी देख नहीं पा रहे। हालात यह हैं, बायोलॉजिकल पार्क का निर्माण जनवरी 2021 में पूरा हो गया था। इसके द्वितीय फेस का निर्माण के लिए 25 करोड़ का बजट स्वीकृत हुआ था लेकिन तीन साल से वन्यजीव विभाग को नहीं मिला। जिसकी वजह से 31 से ज्यादा एनक्लोजर का निर्माण नहीं हो सका। नतीजन, रियासतकालीन चिड़ियाघर में बंद पक्षियों व एनिमल्स के एनक्लोजर तैयार नहीं हो सके और शिफ्टिंग अटक गई।
चिड़ियाघर में दें एंट्री: आकाशवाणी निवासी शुभम मेहता, योगेंद्र कुमार, हरमेंद्र नागर ने बताया कि वन्यजीव विभाग या तो चिड़ियाघर के जानवरों को बायोलॉजिकल पार्क में शिफ्ट करें या फिर चिड़िया घर पर्यटकों के लिए फिर से खोला जाए। ताकि, जो अभेड़ा न जा सके वह जू में आकर वन्यजीवों को देख सके। यहां 45 से ज्यादा वन्यजीवों को नजर बंद कर रखा है।
31 एनक्लोजर बनना शेष: बायोलॉजिकल पार्क के निर्माण के दौरान 44 एनक्लोजर बनने थे लेकिन प्रथम चरण में मात्र 13 ही बन पाए। जबकि, 31 एनक्लोजर अभी बनने बाकी हैं। जायका प्रोजेक्ट के तहत 20 करोड़ का बजट अटका हुआ है। जिसकी वजह से द्वितीय चरण के तहत होने वाला निर्माण कार्य शुरू नहीं हो पाया। जबकि, वन्यजीव विभाग की ओर से कई बार सरकार को प्रस्ताव भेजे जा चुके हैं। इतना ही नहीं रिमाइंडर भी भेजा गया। इसके बावजूद बजट स्वीकृत नहीं हुआ। ऐसे में जब तक यह एनक्लोजर नहीं बनेंगे तब तक पुराने चिड़ियाघर में मौजूद अजगर, घड़ियाल, मगरमच्छ, बोनट (बंदर), कछुए सहित कई पक्षी बायलॉजिकल पार्क में शिफ्ट नहीं हो पाएंगे।
80 लाख का बजट हुआ लेप्स, नहीं बना पक्षीघर: अभेड़ा बायोलॉजिकल पार्क में 80 लाख की लागत से पक्षी घर बनना था, लेकिन अधिकारियों की लेट लतीफी के कारण बजट लेप्स हो गया। लेकिन पक्षी घर नहीं बना सका। इधर, केशवपुरा निवासी शशांक मित्तल ने बताया कि पिछले साल से अब तक 5 बार अभेड़ा आ चुका हूं, लेकिन यहां नए एनीमल्स अब तक नहीं आए। जबकि, चिड़ियाघर में मगरमच्छ, घड़ियाल, अजगर सहित अन्य प्रजाति के कई वन्यजीव हैं। साथ ही देशी विदेशी पक्षी भी हैं, जिन्हें अब तक यहां शिफ्ट नहीं किया गया। टिकट का पूरा पैसा देने के बावजूद एनिमल देखने को मिल रहे।
द्वितीय फेस में यह होने हैं कार्य: अभेड़ा बायोलॉजिकल पार्क में द्वितीय चरण के तहत 20 करोड़ की लागत से 31 एनक्लोजर, स्टाफ क्वार्टर, कैफेटेरिया, वेटनरी हॉस्पिटल, पर्यटकों के लिए आॅडिटोरियम हॉल, छांव के लिए शेड, वाटर कूलर सहित कुछ जगहों पर पथ-वे सहित अन्य कार्य शामिल हैं।
सरकार को भेजे प्रस्ताव, नहीं हुई कार्रवाई: वन्यजीव अधिकारियों के अनुसार वर्ष 2020-21 में जाइका प्रोजेक्ट के तहत बायलोजिकल पार्क में अधूरे निर्माण कार्यों को पूरा करवाने के लिए सरकार को प्रस्ताव भेजा था। जिस पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। इसके बाद फिर से रिव्यू प्रस्ताव भेजे गए, वह भी स्वीकृत नहीं हुए। एनक्लोजर नहीं होने के कारण चिड़ियाघर से पक्षी व एनिमल मिलाकर करीब 48 तरह के वन्यजीवों की शिफ्टिंग नहीं हो पा रही।
चिड़ियाघर में यह हैं वन्यजीव: कोटा चिड़ियाघर में वर्तमान में बंदरों की विशेष प्रजाति के 2 बोनट, 18 पहाड़ी कछुए, पानी के 5 कुछए, तीन फीट ऊंचे पेलिकन हवासिल, 8 से 10 फीट लंबे 4 अजगर जोड़े में, 2 घड़ियाल, 2 मगरमच्छ तथा पक्षियों में इग्रेट, स्पॉट बिल्ड डक, विसलिंग टिल, कोम्ब डक, नाइट हेरोन, पोण्ड हेरोन, बारहेडेड गूज, राजहंस बतख, तोता, लवबर्ड्स सहित कुल 48 तरह के वन्यजीव हैं, जिन्हें शिफ्टिंग का इंतजार है।
बजट मांगा है: अभेड़ा बायोलॉजिकल पार्क में द्वितीय चरण के तहत 31 एनक्लोजर, वेटनरी हॉस्पिटल, कैफेटेरिया, स्टाफ क्वाटर के अलावा अन्य कार्य होने हैं। इसके लिए फिर से 25 करोड़ के बजट के लिए उच्चाधिकारियों को लिखा है। पिछले तीन साल से यह बजट नहीं मिलने की वजह से कई कार्य अधूरे पड़े हैं।
- अनुराग भटनागर, डीएफओ वन्यजीव विभाग