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कोशिकाओं से जुड़ी बीमारी
जयपुर. जयपुर के सवाई मानसिंह अस्पताल की डिपार्टमेंट ऑफ इम्यूनोहेमेटोलॉजी एंड ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन के प्रोफेसर डॉक्टर अमित शर्मा का कहना है कि सिकल सेल एनीमिया (World sickle Cell Awareness Day) रक्त से जुड़ी बीमारी है. जब व्यक्ति रक्त में आरबीसी यानी रेड ब्लड सेल्स के अंदर हिमोग्लोबिन नाम के एक पिगमेंट की कमी से जूझता है और लाल रक्त कोशिकाओं (RBC) का आकार बिगड़ जाता है (जिसका आकार हंसिए की तरह हो जाता है) तो माना जाता है कि वो सिकल सेल एनीमिया से ग्रसित हो गया है. इस बीमारी से जूझ रहे शख्स को शरीर में काफी दर्द होता है डॉक्टर शर्मा का कहना है कि आमतौर पर यह बीमारी प्रदेश के ट्राइबल एरिया में सबसे अधिक देखने को मिलती है.
जेनेटिक होती है बीमारी: सिकल सेल एनीमिया बच्चों में अनुवांशिक और जन्मजात होती (World sickle Cell Awareness Day) है. इस बीमारी से पीड़ित बच्चों को हाथ पैरों में सूजन और खून की कमी हो जाती (Sickle Cell Disease Symptoms) है. यह काफी तकलीफदेय होती है. सही समय पर इलाज न हो तो गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैें. बीमार थकान महसूस करता है. बच्चों का पूर्ण विकास प्रभावित होता है और आंखों संबंधी दिक्कतों में भी इजाफा होता है.
इलाज कैसे?: जीन थेरेपी से इस बीमारी को खत्म किया जा सकता है लेकिन देश में अभी जीन थेरेपी को शुरू नहीं किया गया है. इस बीमारी में लाल रुधिर कोशिका यानी रेड ब्लड सेल के आकार में परिवर्तन हो जाता है और यह कोशिकाएं सिकुड़ जाती हैं. जिसके चलते खून के जरिए पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन अन्य अंगों तक नहीं पहुंच पाता. ऐसे में कई बार पीड़ित मरीज की जान भी चली जाती है. हालांकि नवजात शिशु जब पैदा होता है तो 4 से 5 महीने तक इस बीमारी के लक्षण दिखाई नहीं देते. ऐसे में न्यू बॉर्न स्क्रीनिंग के माध्यम से ही इस बीमारी का पता लगाया जा सकता है.
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