जनता से रिश्ता वेबडेस्क | राज्यसभा सांसद किरोड़ीलाल मीणा ने सोमवार को बीजेपी प्रदेश कार्यालय में प्रेसवार्ता को संबोधित किया। प्रेसवार्ता के दौरान किरोड़ीलाल मीणा ने राजस्थान में जल जीवन मिशन के तहत पीएचईडी के अतिरिक्त मुख्य सचिव सुबोध अग्रवाल और पीएचईडी मंत्री महेश जोशी के खिलाफ बीस हजार करोड़ रुपये के घोटालों का गंभीर आरोप लगाया। मीणा ने कहा, पीएचईडी विभाग द्वारा प्रदेश में जल जीवन मिशन के अंतर्गत अपनी चहेती दो फर्मों गणपति ट्यूबवेल कंपनी शाहपुरा और श्री श्याम ट्यूबवेल कंपनी शाहपुरा को विगत दो साल में फर्जी अनुभव प्रमाण पत्रों के आधार पर एक हजार करोड़ से अधिक के टेंडर जारी किए हैं।
सांसद मीणा ने कहा कि इन दोनों फर्मों ने भारत सरकार के उपक्रम इरकॉन इंटरनेशनल लिमिटेड के फॉरमेट की नकल करके उसी पर फर्जी अनुभव प्रमाण पत्र तैयार करवाए। इसी के आधार पर पीएचईडी विभाग से कार्य आदेश प्राप्त कर लिए। इसमें अकेले गणपति ट्यूबवेल कंपनी ने दो साल में 900 करोड़ रुपये के कार्य आदेश पीएचईडी अधिकारियों से मिलीभगत के आधार पर फर्जी दस्तावेजों के आधार पर प्राप्त किए हैं। इस संदर्भ में इरकॉन इंटरनेशनल लिमिटेड ने 22 मार्च 2023 और छह अप्रैल 2023 को पीएचईडी विभाग के अधिकारियों को ई-मेल के द्वारा इस फर्जीवाड़े के बारे में सूचित किया। लेकिन अधिकारियों की मिलीभगत के चलते कोई कार्रवाई नहीं हुई।
वहीं, इरकॉन इंटरनेशनल लिमिटेड ने विगत सात जून 2023 को अतिरिक्त मुख्य सचिव सुबोध अग्रवाल को भी पत्र लिखकर इस मामले की जानकारी दी। लेकिन अधिकारियों की मिलीभगत के चलते इस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। इस मामले के पूर्व के तथ्यों पर नजर डालने पर पता चला कि छह अक्टूबर 2021 से 24 नवंबर 2022 के मध्य 11 विभिन्न कार्यों के लिए 48 निविदाएं आमंत्रित की गई थी, जिनका कुल मूल्य लगभग दस हजार करोड़ रुपये था। इस दौरान नियमों की अवहेलना करते हुए निविदा प्रीमियम और राज्य के हिस्से की राशी को कम करने के उद्देश्य से प्रमुख परियोजना के 27 जलजीवन मिशन कार्यों की पेशकश री-बिड पर बातचीत करने का स्पष्ट रूप से निर्देश दिया गया है। इसमें निविदा प्रीमियम नियमानुसार 10 फीसदी से अधिक पाए गए। इसके अलावा इन सभी संविदाओं में किसी तरह का कोई मोलभाव नहीं किया गया।
सभी निविदाओं में बिड से पहले साइट विजिट का प्रावधान रखा गया था, जिससे कि बिड करने वाली फर्मों को पूलिंग का मौका मिल गया। इन दोनों फर्मों को पूलिंग के चलते लागत तीस से चालीस प्रतिशत तक बढ़ाने का मौका मिल गया। इस तथ्य को पीएचईडी विभाग की फाईनेंस कमेटी ने स्वीकृत भी कर दिया। भारत सरकार के पैसे से जल जीवन मिशन चल रहा है, मगर नियमों में भारत सरकार की इजाजत के बिना भारत सरकार का पैसा बिना इजाजत नहीं खर्च कर सकती है। मगर राजस्थान सरकार बिना भारत सरकार से प्रस्ताव पास कराए, पैसे का बंदरबांट कर रही है।
इस दौरान यह भी सामने आया कि कई परियोजनाओं को पूरा करने की निर्धारित समय सीमा साल 2025 तक है, जो कि जल जीवन मिशन के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन है। क्योंकि समय सीमा के समाप्त होने के बाद परियोजनाओं को केंद्र से मिलने वाला अंश नहीं मिलेगा। परियोजनाओं का पूरा खर्च राज्य सरकार द्वारा ही वहन किया जाएगा। इन सभी के चलते परियोजनाओं के पूर्ण होने में अनावश्यक देरी हो रही है, जिससे कि जल जीवन मिशन के उद्देश्यों की पूर्ति नहीं हो पा रही है। प्रदेश की आठ करोड़ जनता को उसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। मंगलवार को किरोड़ीलाल मीणा CVC के राज्य के प्रतिनिधि को शिकायत सौंपेंगे और इस भ्रष्टाचार के खिलाफ थाने में शिकायत दर्ज कराएंगे।