कोटा। शहर को स्मार्ट सिटी बनाने के लिए करोड़ों रूपए खर्च किए जा रहे हैं। लेकिन, जर्जर हालत में पहुंच चुके शिक्षा के मंदिरों की दिशा बदलने को बजट ही नहीं है। शहर के कुछ सरकारी स्कूलों की हालत बहुत ही डरावने हैं। कहीं जर्जर भवनों में कक्षा कक्ष चल रही हैं तो कहीं जंगलों में जहरीले जीव-जंतुओं के बीच बेटियां शिक्षा पाने को मजबूर हैं। इनमें कई स्कूल तो ऐसे हैं, जिन्हें गिराकर दोबारा ही निर्माण करवाया जाना चाहिए। हालत यह है, किसी के क्लारूम, चारदीवारी, छतों की पट्टियां तड़क चुकी है तो किसी की रसोई के कमरों में दरारें चल रही है। कुछ की दीवारें भी ढह चुकी है। ऐसे जर्जर स्कूलों में हर पल हादसे का खतरा बना रहता है। अधिकतर स्कूलों के पास खुद का भवन तक नहीं है। कोई पुरातत्व विभाग के रियासतकालीन भवनों में तो कोई अखाड़े में चल रहे हैं। रसमा अधिकारियों के अनुसार, विभाग हर साल जर्जर स्कूलों के नए भवन व मरम्मत के लिए राजस्थान स्कूल शिक्षा परिषद जयपुर को प्रस्ताव बनाकर भेजता है, लेकिन अभी तक मरम्मत के लिए कोई बजट जारी नहीं हुआ है। ऐसे माहौल में बच्चों को क्वालिटी एजुकेशन देना तो दूर उनको सुरक्षित रखना ही चुनौती है।