जयपुर: जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल के 16वें संस्करण का आगाज गुरुवार को सुबह कर्नाटिक संगीत की पुरस्कृत गायिका सुषमा सोमा के सुमधुर स्वरों से हुआ। सर्द सुबह सुषमा ने अपने सुरों से शास्त्री संगीत का मानो जादू ही चला दिया। उन्होंने कन्नड़, तमिल और बांग्ला कवियों की कुछ यादगार कविताओं को अपने सुरों में पिरोकर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। वहीं नाथूलाल ने अपने नगाडेÞ की थाप से मानो लोगों के मन की गांठों को खोल दिया। ओपनिंग सेरेमनी को आगे बढ़ाते हुए फेस्टिवल के प्रोडूसर संजॉय के.रॉय ने कहा कि आज से 16 साल पहले जब डिग्गी पैलेस के दरबार हॉल में हमने इस सपने की शुरुआत की थी। तब सोचा भी नहीं था कि एक दिन यह फेस्टिवल दुनिया का सबसे बड़ा साहित्यिक शो बनेगा। वास्तव में हम चाहते थे कि एक ऐसे माहौल को गढ़ा जाए, जहां युवा और छात्र खुद साहित्यकारों से संवाद कर सकें। फेस्टिवल की को-डायरेक्टर और लेखिका नमिता गोखले ने कहा कि माघ का महीना है। रंगों और पतंगों का मौसम है, और आपका चहेता जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल सजधज कर फिर से हाजिर है। लेखक व इतिहासकार विलियम डेलरिम्पल ने कहा कि हमारे पास दुनिया के सारे प्रमुख पुरस्कारों से सम्मानित लेखक हैं फिर वो चाहे नोबेल प्राइज हो, बुकर हो, इंटरनेशनल बुकर हो, साहित्य अकादमी हो, पुलित्जर, डीएससी.. हमारे इस साहित्य के कुम्भ में आपको सब मिलेंगे।
जयपुर म्युजिक स्टेज पर पहले दिन 'लिफाफा' और 'पक्षी' ने जमाया रंग
होटल क्लार्क्स आमेर में जयपुर म्यूजिक स्टेज ने पहले दिन की शुरुआत जबरदस्त प्रस्तुतियों से की। जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल के समानांतर चलने वाले इस म्यूजिकल फेस्टिवल में फ्यूजन बैंड, पक्षी और कंटेम्पररी इलेक्ट्रॉनिक म्यूजिक प्रोडक्शन हाउस, लिफाफा ने अपने सुरों से श्रोताओं को झूमने पर मजबूर कर दिया। अपने 16वें संस्करण में फेस्टिवल नामी सितारों के साथ-साथ उभरते कलाकारों को भी शो में अपनी बात रखने का मौका दे रहा है। परफॉरमेंस पर बात करते हुए पक्षी ने कहा कि जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में प्रस्तुति देना हमारे लिए गर्व की बात है। दुनिया के बेहतरीन कलाकारों और साहित्यकारों के बीच प्रस्तुति का अवसर मिलना एक खवाब के सच होने जैसा है। वहीं लिफाफा यानी सूर्यकांत साहनी ने कहा कि जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल ने आखिरकार 21वीं सदी के रोमांच को साझा किया है।
पतंग उड़ाते ही मैंने ठान लिया था मुझे 'फ्लाई हाई' पर फोकस करना है : उषा उथुप
पहले दिन भारतीय पॉप गायिका उषा उथुप ने भी शिरकत की। पत्रकार विकास झा की लिखी उथुप की जीवनी 'उल्लास की नाव' का अंग्रेजी अनुवाद सृष्टि झा ने 'द क्वीन आॅफ इंडियन पॉप' शीर्षक से किया है। किताब की चर्चा पर हुए सत्र में लेखिका सत्या सरन ने उषा उथुप और सृष्टि झा से संवाद किया। किताब के माध्यम से उषा ने अपने बचपन की कई सुहानी यादों को साझा किया, जिनमें उनके द्वारा की गई पतंगबाजी भी अहम थी। उन्होंने बताया कि शायद पतंग उड़ाते हुए ही मैंने ठान लिया था कि मुझे 'फ्लाई हाई' पर ही फोकस करना है। मैं संगीत से ही अपनी बात को अच्छी तरह व्यक्त कर पाई। सत्र समाप्ति पर उषा उथुप ने कुछ रोमांचक गीत गाकर श्रोताओं को झूमने पर मजबूर कर दिया। लोगों का कहना था कि उथुप ये 'पावर पैक्ड' परफोर्मेंस थी।