ज्वैल ऑफ इंडियाः इस घोटाले की सरकार ईडी-सीबीआई से जांच कराए, नहीं तो हम कराएंगेः राजेंद्र राठौड़
जयपुर। पूर्व मंत्री और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने कहा है कि जेएलएन मार्ग स्थित कैप्सटन मीटर्स इंडिया, जय ड्रिंक्स और सनसिटी प्रोजेक्ट्स द्वारा बनाए गए ज्वैल ऑफ इंडिया घोटाले की सरकार ईडी अथवा सीबीआई से जांच कराए। क्योंकि इस मामले में जेडीए के डायरेक्टर लॉ ने तथ्यों के आधार पर अपनी कानूनी राय दी है। अगर ऐसे घोटालों में भी अधिकारियों की तथ्यात्मक टिप्पणी पर जांच नहीं करवाती है तो सत्ता में आने के बाद भाजपा (हम) इसकी जांच कराएंगे और घोटाला करने वालों पर कार्रवाई करेंगे।
राठौड़ मंगलवार को यहां भाजपा प्रदेश मुख्यालय में लंपी रोग और किसानों की कर्जमाफी को लेकर बुलाई गई प्रेस कांफ्रेंस में पत्रकारों के सवालों का जवाब दे रहे थे। बता दें कि इस ज्वैल ऑफ इंडिया प्रोजेक्ट वाली इस जमीन का पट्टा 1 जुलाई, 2008 को जारी किया गया था। जबकि इसकी बाकी कार्यवाही भाजपा सरकार के ही कार्यकाल यानि वर्ष 2006 से 2008 के बीच हुई।
उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार ने वर्ष 1965 में टोंक रोड औऱ जवाहर लाल नेहरू मार्ग के बीच की 132 बीघा जमीन की औद्योगिक प्रयोजन के लिए मैसर्स कैप्सटन मीटर्स को 99 साल की लीज की थी। इसके कुछ समय बाद 73 बीघा जमीन और औद्योगिक प्रयोजन के लिए ही कैप्सटन मीटर्स को 99 साल की लीज पर दी गई। यह दोनों जमीनें राजस्व ग्राम झालाना डूंगर और मानपुर देवरी में आती हैं।
इसमें यह शर्त थी कि औद्योगिक प्रयोजन खत्म होने पर यह जमीनें पुनः सरकार की हो जाएंगी। लेकिन, बाद में यह जमीनें सीलिंग एक्ट औऱ सांगानेर एयरपोर्ट प्रोजेक्ट में आ गईं। लेकिन, तब तक कैप्सटन मीटर्स कंपनी के संचालकों की नीयत खराब हो चुकी थी। इसलिए अफसरों से मिलकर पूरी जमीन हथियाने के साजिश रची गई।
पहले दूसरी फर्म मैसर्स जय ड्रिंक्स कंपनी बनाकर उसे कुछ जमीन सब लीज पर दी गई ताकि सीलिंग एक्ट से बच सके। फिर स्कूल, अस्पताल और अनाथालय जैसे सामाजिक कार्यों के नाम पर कुछ जमीन को अवाप्ति से मुक्त कराया। बदले में सरकार को करीब 27.5 एकड़ जमीन दान भी दी। लेकिन, दान की जमीन पर बनी बिल्डिंगों पर अपने पूर्वजों का नाम अंकित करवाकर श्रेय ले लिया। जबकि ये जमीनें सरकारी ही थीं।
बची जमीन पर ज्वैल ऑफ इंडिया के नाम से आवासीय कम व्यावसायिक प्रोजेक्ट बनाकर करोड़ों रुपए के फ्लैट बेच दिए। वर्तमान में इसका दूसरे फेज का निर्माण कार्य चल रहा है। यहां 7 करोड़ रुपए तक का फ्लैट बिक रहा है।
सरकारी नाले और सड़क तक को खा गएः
कैप्सटन मीटर्स, जय ड्रिंक्स और सन सिटी प्रोजेक्ट संचालकों का इतनी बेशकीमती जमीन हथियाने से ही काम नहीं चला। बल्कि सामने आ रहे बरसाती नाले पर जेडीए अधिकारियों की मिलीभगत से कब्जा करके उससे ज्वैल ऑफ इंडिया और जयपुरिया विद्यालय ने गेट निकाल लिए। जबकि बिल्डिंग प्लान में ज्वैल ऑफ इंडिया को 9 मीटर का जो सैटबैक दिया गया वह नाले से पीछे तक ही है। इतना ही नहीं मालवीय नगर आरओबी के नीचे की जो सड़क चौड़ी होनी थी। वहां तक स्ट्रीट लाइट के खंभे गाड़कर कब्जा कर लिया। इससे यहां ट्रैफिक की भारी समस्या पैदा होने लगी है। यह स्थिति तो तब है जबकि हाईकोर्ट ने नदी, नाले, तालाब और जलश्रोतों की 15 अगस्त 1947 से पहले की स्थिति बहाल करने औऱ जन सुविधाओं वाली जमीनों का भू-उपयोग परिवर्तन नहीं करने के आदेश दिए हुए हैं।
खासखबर डॉट कॉम की खबरों पर जेडीए के लॉ डायरेक्टर ने लगाई मुहरः
उल्लेखनीय है कि खासखबर डॉट कॉम की ओऱ से उठाए गए इस घोटाले पर जेडीए के डायरेक्टर लॉ दिनेश गुप्ता ने भी मुहर लगा दी है। उन्होंने एक मामले में दी कानूनी राय में इस मामले की ईडी, सीबीआई अथवा भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो से जांच करवाए जाने और दोषियों पर कार्रवाई किए जाने की सिफारिश की है। उन्होंने यह भी कहा है कि इस प्रकरण की कुछ फाइलें गायब हैं, जिनकी एफआईआर दर्ज कराई जानी चाहिए।
गुप्ता ने हैरानी जताते हुए कहा है कि अगर जेडीए, नगरीय विकास विभाग औऱ सरकार के अफसर ही जेडीए औऱ आम जनता के हितों की निगरानी नहीं करेंगे तो कौन करेगा। उन्होंने इस प्रोजेक्ट में 500 करोड़ रुपए से ऊपर का घोटाला माना है। वैसे जिस बरसाती नाले की जमीन हथियाई गई है, उसकी कीमत ही आज के बाजार भाव से 250 करोड़ रुपए से ज्यादा होती है।
Ashwandewangan
प्रकाश सिंह पिछले 3 सालों से पत्रकारिता में हैं। साल 2019 में उन्होंने मीडिया जगत में कदम रखा। फिलहाल, प्रकाश जनता से रिश्ता वेब साइट में बतौर content writer काम कर रहे हैं। उन्होंने श्री राम स्वरूप मेमोरियल यूनिवर्सिटी लखनऊ से हिंदी पत्रकारिता में मास्टर्स किया है। प्रकाश खेल के अलावा राजनीति और मनोरंजन की खबर लिखते हैं।