राजस्थान

ज्वैल ऑफ इंडियाः कैप्सटन मीटर्स ने सरकार को दान कर दी सरकार की ही जमीन

Ashwandewangan
15 Jun 2023 6:06 AM GMT
ज्वैल ऑफ इंडियाः कैप्सटन मीटर्स ने सरकार को दान कर दी सरकार की ही जमीन
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जयपुर। हिंदुस्तान की ब्यूरोक्रेसी में आईएएस अफसर वो चीज है जो राई का पहाड़ और पहाड़ की राई बना सकता है। राजधानी जयपुर में जवाहर लाल नेहरू मार्ग और टोंक रोड के बीच स्थित प्राइम लोकेशन पर करीब 8000 करोड़ रुपए कीमत की बेशकीमती जमीन को हथियाने के लिए कैप्स्टन मीटर्स इंडिया के मालिकों ने आईएएस अफसरों से मिलकर ऐसा खेल खेला कि बिना कुछ किए पूरी जमीन मुफ्त में ले ली।

जमीनों का खेल कुछ ऐसा हुआ कि पहले सरकार ने औद्योगिक प्रयोजन के लिए 132 बीघा जमीन की लीज डीड की। फिर इस जमीन को पहले सीलिंग एक्ट से निकाला। जब सांगानेर एयरपोर्ट योजना के लिए जमीन अवाप्त की गई तो कब्जा लेने के बावजूद धर्मार्थ और समाजसेवा के नाम पर कुछ जमीन दान लेकर बाकी जमीन अवाप्ति से मुक्त कर दी।

कैप्सटन मीटर्स के संचालकों ने समाजसेवा के नाम पर दान की गई जमीन पर बने अस्पताल और स्कूल पर अपने पूर्वजों का नाम कर दिया। मजे की बात देखिए कि नगरीय विकास विभाग ने सरकारी जमीन दान में लेने के आदेश 14 अप्रैल, 1986 को जारी कर दिए। दरअसल, जमीन को हड़पने का खेल वर्ष 1965 में ही शुरू हो गया था।

रोचक तथ्य यह है कि दूरगामी सोच के तहत अफसर कैप्सटन मीटर्स पर इतने मेहरबान थे कि औद्योगिक प्रयोजन के लिए दी गई 132 बीघा भूमि के साथ ही 73 बीघा सरकारी जमीन की भी लीज उद्योग लगाने के लिए इनके नाम करवा दी। इस तरह करीब 205 बीघा भूमि कैप्सटन मीटर्स को मिल गई। यह भूमि सीलिंग एक्ट के दायरे में आई। लेकिन, कैप्सटन मीटर्स इंडिया के संचालक इतने प्रभावशाली थे कि उन्होंने इससे भी बचने का रास्ता निकाल लिया।

जय ड्रिंक्स प्रा. लि. के नाम से दूसरी कंपनी बनाकर उद्योग लगाने के लिए कुछ जमीन की सब लीज उसके नाम कर दी। बताते हैं कि इसके लिए राज्य सरकार ने अनुमति दी थी। फिर इसमें से काफी जमीन एयरपोर्ट योजना के लिए अवाप्ति में आ गई। इस पर पुष्पा जयपुरिया फाउंडेशन बनाकर अस्पताल, स्कूल, वृद्धाश्रम और अनाथालय आदि खोलने के नाम पर जमीन को अवाप्ति से मुक्त करवा लिया।

अस्पताल, स्कूल, वृद्धाश्रम आदि बनाए तो सही, लेकिन उन पर अपने पूर्वजों का नाम अंकित कर समाजसेवा का पूरा श्रेय ले लिया। औद्योगिक प्रयोजन वाली इसी जमीन पर अब बेशकीमती फ्लैट वाला ज्वैल ऑफ इंडिया प्रोजेक्ट खड़ा हो गया है।

धारा 48 के तहत कब्जा लेने के बाद भी छोड़ी जमीनः

राज्य सरकार ने पहले 205 बीघा भूमि को सांगानेर एयरपोर्ट योजना के लिए अवाप्त कर कब्जा ले लिया था। राजस्थान भूमि अवाप्ति अधिनियम, 1953 (राजस्थान अधिनियम संख्या 24 एवं अधिनियम 1953 की धारा 48 निष्प्रभावी हो जाती है। फिर भी, अफसरों ने गलत तरीके से भूमि को अवाप्ति से मुक्त कर दिया। बात यहीं नहीं रुकी। अप्रैल, 1986 के आदेश में सेठों की मंशा के मुताबिक 205 बीघा भूमि में से अधिकांश भूमि (करीब 160 बीघा) का भू-उपयोग परिवर्तन भी कर दिया। जबकि अवाप्तशुदा 205 बीघा में 75 बीघा तो खुद सरकार की ही थी। 14 अप्रैल, 1986 को जारी आदेश में लिखा है कि सांगानेर के ग्राम झालाना डूंगर में खसरा नंबर 525, 526, 527 एवं 528 की 7.5 एकड़ भूमि अस्पताल के लिए चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग को दान में दी जाएगी।

इसके अलावा ग्राम मानपुर देवरी के खसरा नंबर 115 एवं 115/195, 14, 15 और 16 की 20 एकड़ भूमि जयपुर विकास प्राधिकरण (जेडीए) को दान में दी जाएगी। जेडीए इस जमीन पर भूखंड विकसित करेगा। उन्हें नीलामी से बेचकर जो राशि मिलेगी। उसमें से भूखंड डवलपमेंट का पैसा काटकर बाकी पैसा अस्पताल के निर्माण पर खर्च किया जाएगा।

खास बात यह है कि राजस्व रिकॉर्ड में ख नं. 14 की भूमि गैर मुमकिन नाला, खसरा नंबर 15 की भूमि बंजर और खसरा नं. 16 की भूमि फॉरेस्ट लैंड दर्ज है। खसरा नंबर 115 और 115/195 की जमीन की किस्म बंजर दर्ज है।

दान की गई भूमि में ऐसे हुआ खेलः

20 एकड़ जमीन जेडीए को दान में मिलना। देखने औऱ सुनने में तो बहुत अच्छा लगता है। लेकिन, इसके पीछे खेल यह हुआ कि कैप्स्टन मीटर्स प्रा. लि. के संचालकों ने जेडीए को खाली पड़ी भूमि के बजाय ऐसी जमीन दान में देना दी, जिस पर पहले से ही कब्जे थे अथवा कॉलोनियां बस चुकी थीं। इनमें इंदिरा नगर और नारायण नगर आदि कॉलोनियां बसी हुई हैं।

जेडीए ने ना सड़क चौड़ी कराई, ना ही नाले का अतिक्रमण हटवायाः

जेडीए के मौजूदा अफसर भी कैप्सटन मीटर्स, जय ड्रिंक्स और ज्वैल ऑफ इंडिया के संचालकों पर मेहरबान हैं। आयुक्त से लेकर जोन उपायुक्त तक इनके आगे किस कदर नतमस्तक हैं। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि निदेशक (विधि) की लिखित कानूनी राय के बावजूद ना तो समर्पित कराई गई जमीन पर मालवीय नगर आरओबी के नीचे वाली सड़क चौड़ी कराई है और ना ही सरकारी नाले से अतिक्रमण हटाया है।

यहां तक कि तमाम अनियमितताओं और गैरकानूनी कार्रवाइयों के बावजूद ज्वैल ऑफ इंडिया की ओर से सैकंड फेज के लिए की जा रही मार्केटिंग पर रोक लगा रहे हैं। बताते हैं कि नगरीय विकास, आवासन एवं स्वायत्त शासन मंत्री शांति धारीवाल ने इस मामले में अफसरों पर कुछ ना करने का दबाव बनाया हुआ है।

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प्रकाश सिंह पिछले 3 सालों से पत्रकारिता में हैं। साल 2019 में उन्होंने मीडिया जगत में कदम रखा। फिलहाल, प्रकाश जनता से रिश्ता वेब साइट में बतौर content writer काम कर रहे हैं। उन्होंने श्री राम स्वरूप मेमोरियल यूनिवर्सिटी लखनऊ से हिंदी पत्रकारिता में मास्टर्स किया है। प्रकाश खेल के अलावा राजनीति और मनोरंजन की खबर लिखते हैं।

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