जयपुर: मुगल टैंट में हुए सत्र 'लिगेसी आफ वॉयलेंस' में सांसद शशि थरूर के साथ बातचीत में पुलित्जर विजेता प्रोफेसर कैरोलीन एल्किंस ने अपनी नई किताब 'लिगेसी आफ वॉयलेंस: ए हिस्ट्री आफ द ब्रिटिश एम्पायर' के बारे में बात की। पुस्तक के माध्यम से एल्किन्स कहती हैं उन्होंने 1857 भारत और 1954 केन्या में हिंसा की उपनिवेशिक घटनाओं में जो कुछ हुआ, उसके बिंदुओं को जोड़ने की कोशिश की। थरूर ने कहा कि ब्रिटिश काल के दौरान अंग्रेजों ने भारत में माफिया राज शुरू किया था। उस वक्त अंग्रेजों ने जलियांवाला बाग जैसे कांड को अंजाम दिया था, जिसे कभी भुलाया नहीं जा सकता। शशि थरूर ने कहा कि ब्रिटेन के राजनीतिज्ञों को समझ आया कि वर्तमान हालात में कोई 'ब्राउन मैन' ही उन्हें आर्थिक संकट से बाहर निकाल सकता है। यही कारण है कि ऋषि वहां प्रधानमंत्री बन गए, लेकिन इससे यह साबित नहीं होता कि ब्रिटेन में नस्लभेद खत्म हो गया है।
हिन्दू महासभा और अकाली दल को खतरनाक मानते थे अम्बेडकर: फ्रंट लॉन में हुए सत्र 'बीआर अम्बेडकर: लाइफ एंड टाइम्स' में शशि थरूर और एंटी कास्ट स्कॉलर सुमित समोस ने हिंदुत्व के मुद्दे पर बात की। दोनों ने अम्बेडकर के देश में लाए गए सोशल रिफॉर्म पर अपनी बात रखी। इस दौरान हिंदुत्व का मुद्दा भी उठा। शशि थरूर ने सोशल रिफॉर्म को लेकर खुलकर बात की। वहीं अम्बेडकर और नेहरू की ओर से लाए गए हिंदू बिल कोड के पीछे उनकी क्या मंशा थी? यह भी बताने का प्रयास किया। थरूर ने कहा कि देश में 'वन पर्सन वन वोट' का अधिकार तो मिल गया, लेकिन नेहरू और अम्बेडकर चाहते थे कि 'वन पर्सन वन वैल्यू' की अवधारणा भी मजबूत हो। देश में समानता के अधिकार को मजबूत बनाने के लिए ही जवाहर लाल नेहरू और भीमराव अम्बेडकर हिंदू कोड बिल लेकर आए थे। उनका मानना था कि देश में सभी को समान अधिकार मिले। समोस ने कहा कि अम्बेडकर सिर्फ एक विचार को मानने वाले संगठन को सही नहीं मानते थे। सन 1950 में अम्बेडकर ने अकाली दल, आरएसएस और हिंदू महासभा जैसे संगठनों को लेकर बड़ी बात कही थी। इन संगठनों को अम्बेडकर खतरनाक आर्गनाइजेशन मानते थे।