जयपुर: राजस्थान की 7 सीटों पर हुए उपचुनाव के नतीजे शनिवार को सबके सामने आएंगे जिनको लेकर सियासी गलियारों में लगातार हलचल मची हुई है इस बार उपचुनाव में जीत-हार की परंपरा बदल सकती है। प्रदेश में हुए पिछले 16 उपचुनाव के नतीजों पर गौर करें तो ये परंपरा रही है कि बीजेपी उपचुनाव में हमेशा बैकफुट पर रहती है और मतदान घटने पर कांग्रेस को फायदा होता है।
विधानसभा चुनाव की जगह उपचुनाव में वोटिंग हुई: 2023 के विधानसभा चुनाव में 7 सीटों पर उपचुनाव के साथ कांग्रेस ने 4 सीटें और बीजेपी, आरएलपी और बीएपी ने 1-1 सीट जीतीं। इस बार हुए इन सीटों के मतदान प्रतिशत पर नजर डालें तो खींवसर सीट को छोड़कर बाकी सभी सीटों पर मतदान का आंकड़ा मुख्य चुनाव की तुलना में गिरा है।
2013 के बाद से हुए उप-चुनावों में कुछ उदाहरणों को छोड़कर, मुख्य चुनावों की तुलना में लगभग हर सीट पर मतदान प्रतिशत गिरा है। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि राजस्थान के उपचुनावों में एक बार भी सरकार बनाने और बिगाड़ने का समीकरण नहीं बना. ऐसे समीकरण बनने पर मतदाताओं में अलग ही उत्साह देखने को मिलता है. राजनीतिक विशेषज्ञ नारायण बारेठ के मुताबिक, आमतौर पर मतदाता उदासीन हो जाते हैं क्योंकि सरकार को कोई फर्क नहीं पड़ता। ऐसी ही स्थिति 7 सीटों पर हुए मतदान में देखने को मिली है. सिर्फ एक सीट खींवसर को छोड़कर बाकी 6 सीटों पर वोटिंग प्रतिशत मुख्य चुनाव से कम है.
राजनीतिक विशेषज्ञ नारायण बारेठ के मुताबिक, 7 में से 6 सीटों पर मुख्य चुनाव की तुलना में कम वोटिंग हुई है. माना जाता है कि कम वोटिंग का फायदा कांग्रेस को मिलता है, लेकिन इस बार समीकरण इतना उलझा हुआ है कि यह सच होता नहीं दिख रहा है. वहीं, वरिष्ठ राजनीतिक विशेषज्ञ महेश शर्मा ने कहा कि यह कहना भी मुश्किल है कि इस उपचुनाव में भी कांग्रेस का पिछले उपचुनावों की तरह एकतरफा प्रदर्शन रहेगा. इस उपचुनाव में बीजेपी का प्रदर्शन बेहतर होने की संभावना है और कांग्रेस को कुछ सीटों का नुकसान हो सकता है.