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Jaipur जयपुर । वन,पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री संजय शर्मा ने कहा कि कहा कि आर्द्रभूमि संरक्षण जल संरक्षण के लिए बेहद महत्वपूर्ण है, उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री श्री भजनलाल शर्मा के निर्देशन में राज्य को हरित प्रदेश स्थापित करने एवं पर्यावरण संरक्षण की दिशा में नवाचार कर राज्य को पर्यावरण संरक्षण एवं संवर्धन के क्षेत्र में आदर्श राज्य स्थापित करने के हर संभव प्रयास किये जा रहे है। उन्होंने कहा कि राजस्थान प्राकृतिक स्रोतों से संपन्न राज्य है ऐसे में प्राकृतिक स्रोतों का संरक्षण एवं संवर्धन को प्राथमिक जिम्मेदारी मानते हुए कर्तव्यों का निर्वहन किया जाना चाहिए।
वन,पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री संजय शर्मा गुरुवार को शासन सचिवालय में राज्य आर्द्रभूमि प्राधिकरण की सातवीं बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे।
इस दौरान उन्होंने राज्य में आर्द्रभूमिसंरक्षण एवं संवर्धन के सामान्य आगामी कार्ययोजना पर विस्तार से चर्चा कर कहा कि राज्य प्राकृतिक संसाधनों से सम्पन्न है जिसको मध्यनजर रखते हुए प्रकृति के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए कार्ययोजना तैयार की जानी चाहिए। बैठक के दौरान मौजूद वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव श्रीमती अपर्णा अरोड़ा ने कहा कि आगामी समय में आने वाले जल संकट की समस्या से निपटने के लिए राज्य के वेटलैंड्स एवं अन्य जल स्रोतों को प्रदूषण मुक्त कर संरक्षण एवं संवर्धन करना होगा।
-आनासागर झील, लूणकरणसर, खींचन में लेक मैनेजमेंट सिस्टम का चलाया जाएगा पायलट प्रोजेक्ट
बैठक के दौरान राज्य आर्द्रभूमि प्राधिकरण की सदस्य सचिव श्रीमती मोनाली सेन ने पीपीटी प्रस्तुतीकरण के माध्यम से आगामी कार्ययोजना से विस्तार से चर्चा कर समिति सदस्यों से विचार विमर्श किया। इस दौरान उन्होंने अधिक जानकारी देते हुए बताया कि राज्य आर्द्रभूमि प्राधिकरण आर्द्रभूमि संरक्षण के लिए प्रतिबद्धता के साथ कार्य कर रहा है। इसी दिशा में राज्य में अधिसूचित झीलों का निदान, वैज्ञानिक विश्लेषण, डिजाइन, पुनर्स्थापन जोखिम की जांच, विस्तृत वैज्ञानिक विश्लेषण, प्रकृति आधारित समाधानों को डिजाइन करना, प्रकृति आधारित समाधानों द्वारा पुनर्स्थापन और निरंतर निगरानी करने के लिए लेक मैनेजमेंट सिस्टम विकसित किया जायेगा। जिसके तहत आनासागर (अजमेर), लूणकरणसर (बीकानेर), खींचन (फलोदी-जोधपुर) और चांदलाई (जयपुर) हेतु एक पायलट प्रोजेक्ट चलाया जायेगा।
-सिलीसेढ झील,अलवर को अंतरराष्ट्रीय महत्व के रामसर स्थल के रूप में नामित करने हेतु चर्चा की गई।
सदस्य सचिव ने बताया कि वर्तमान में राज्य में दो रामसर स्थल है जिनके अंतर्गत सांभर झील एवं केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान शामिल है। उन्होंने कहा कि प्राधिकरण द्वारा राज्य के मुख्य वेटलैंड्स को भी रामसर साइट के रूप में नामित करने का प्रयास चल रहा है जिसके तहत अब सिलीसेढ झील,अलवर को अंतरराष्ट्रीय महत्व के रामसर स्थल के रूप में नामित करने हेतु प्रस्ताव तैयार किया जायेगा। ताकि झील को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर संरक्षण प्राप्त हो सके साथ ही राज्य रामसर साइट्स के मानचित्र पर एक विशेष स्थान हासिल कर सके।
-सांभर झील एवं केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए इंटीग्रेटेड मैनेजमेंट प्लान
सदस्य सचिव ने अधिक जानकारी देते हुए बताया कि सांभर झील एवं केवलादेव राष्ट्रिय उद्यान ने राज्य को न केवल पर्यटन के क्षेत्र में बल्कि वन्यजीव संरक्षण के क्षेत्र में भी एक विशेष पहचान दिलवाई है, उन्होंने कहा कि सांभर झील एवं केवलादेव राष्ट्रिय उद्यान संरक्षण एवं संवर्धन के लिए इंटीग्रेटेड मैनेजमेंट प्लान तैयार किया गया है जिसके तहत आगामी समय में पर्यटन के साथ संरक्षण को भी बढ़ावा मिल सकेगा।
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Tara Tandi
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