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Jaipur जयपर । राजस्व मण्डल अध्यक्ष राजेश्वर सिंह भारतीय प्रशासनिक सेवा में 35 वर्षों का सुदीर्घ सेवाकाल पूर्ण कर मंगलवार को सेवानिवृत्त हो गये। उत्तर प्रदेश के चन्दौली जिले में जन्में राजेश्वर सिंह भारतीय प्रशासनिक सेवा के 1989 बैच के अधिकारी हैं। उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से एम.ए.(आधुनिक इतिहास) की उपाधि प्राप्त की है।
सिंह पूर्व में उपखण्ड अधिकारी माउण्ट आबू, जिला कलक्टर जालोर एवं जयपुर, संभागीय आयुक्त उदयपुर, भरतपुर एवं जयपुर, प्रमुख शासन सचिव लघु उद्योग, पर्यटन, परिवहन, पशुपालन, अतिरिक्त मुख्य सचिव, ग्रामीण विकास एवं पंचायतीराज विभाग तथा अध्यक्ष, राजस्थान राज्य पथ परिवहन निगम का पदभार सम्भाल चुके हैं। सेवानिवृति के समय श्री सिंह के पास राजस्थान टैक्स बोर्ड एवं राजस्थान गैर कृषि विकास अभिकरण के अध्यक्ष पद का अतिरिक्त कार्यभार भी था।
अपनी विस्तृत सेवा अवधि में श्री सिंह ने गांधी ग्राम योजना, सहकार ग्राम योजना तथा एक ग्राम चार काम योजनाओं के माध्यम से सर्वतोमुखी ग्रामीण विकास को नवीन जनोन्मुखी आयाम प्रदान किया। एक ग्राम चार काम योजना में राज्य के 13000 गांवों में आदर्श तालाब, चरागाह विकास, श्मशान/कब्रिस्तान विकास एवं खेल मैदान विकास के कार्य स्वीकृत किए गये। इसी प्रकार जयपुर जिले में ग्राम बन्धु योजना तथा जालोर में सम्पूर्ण साक्षरता अभियान का सफलतापूर्वक संचालन किया गया।
राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर एवं सुखाड़िया विश्वविद्यालय, उदयपुर के कुलपति पद का अतिरिक्त कार्यभार वहन करते हुए श्री सिंह ने आइ.ए.एस., आर.ए.एस. एवं आर.जे.एस. अधिकारियों से विद्याार्थियों का संवाद कार्यक्रम, विभिन्न व्याख्यान मालाओं के आयोजन तथा पुस्तक विमर्श एवं शिखरों से साक्षात्कार जैसे नवाचार कर शैक्षणिक समुदाय में अभूतपूर्व लोकप्रियता हासिल की।
राजस्व मण्डल अध्यक्ष के रूप श्री सिंह के कार्यकाल में कोरोना काल की चुनौतियों एवं दो आम चुनावों के बावजूद राजस्व मंडल सहित राज्य के अधीनस्थ राजस्व न्यायालयों में 4 लाख से अधिक मुकदमों का निस्तारण हुआ। इसके अलावा अतिरिक्त संभागीय आयुक्त, राजस्व अपील अधिकारी, अतिरिक्त जिला कलक्टर एवं उपखण्ड अधिकारियों की निर्णय लेखन कार्यशालाओं का आयोजन कर राजस्व न्यायालयों में निर्णय लेखन में गुणवत्ता, त्रुटिहीनता एवं वैधानिकता को सुनिश्चित किया गया। राज्य स्तरीय सर्वश्रेष्ठ निर्णय एवं निबन्ध लेखन प्रतियोगिताओं का भी आयोजन किया जिसमें आई.ए.एस., आर.ए.एस., अन्य राजस्व अधिकारी, अधिवक्ताओं एवं आम नागरिकों ने भाग लिया।
सिंह की नवाचारी पहल के तहत राजस्व न्यायालयों की कार्यप्रणाली को बेहतर बनाने के लिये अन्य राज्यों के राजस्व मंडलों का अध्ययन करवा कर राज्य में श्रेष्ठ माॅडल लागू करने के प्रस्ताव सरकार को भिजवाये गये। इस दौरान राजस्थान तहसीलदार सेवा के दो बैच के 240 अधिकारियों को नियुक्ति एवं प्रशिक्षण प्रदान किया गया , साथ ही 5600 पटवारियों को भी नियुक्त व प्रशिक्षित कर जिलों में पदस्थापित किया गया।
डीआईएलआरएमपी (डिजिटल इंडिया लैण्ड रिकाॅर्ड्स माडर्नाइजेशन प्रोग्राम) के तहत जमाबंदी का सेग्रीगेशन (पृथक्करण), खसरा नक्शों का डिजिटलाइजेशन करवाते हुए राज्य की 426 में से 420 तहसीलों को ऑनलाइन किया गया।
सिंह के कार्यकाल में राजस्व मण्डल में प्रशासनिक कार्यों के शीघ्र सम्पादन के मद्देनजर ई-फाइल कार्य को पूर्ण प्राथमिकता से लागू किया गया। मंडल में अब तक 30 हजार से अधिक फाइल्स ऑनलाइन होने से कार्य पारदर्शिता एवं समयबद्ध रूप से संपादित हो रहे हैं।
श्री सिंह साहित्य, इतिहास, राजनीति शास्त्र, दर्शन शास्त्र एवं लोक प्रशासन में गहन रूचि रखते हैं तथा उनके लेख, कविताएं एवं कहानियां विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए हैं।
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Tara Tandi
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