राजस्थान

Jaipur: निकाय चुनाव पर राजस्थान में लटक सकती है तलवार

Admindelhi1
21 Nov 2024 7:01 AM GMT
Jaipur: निकाय चुनाव पर राजस्थान में  लटक सकती है तलवार
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प्रदेश में वोटर लिस्ट को लेकर निवार्चन विभाग अपने काम में लग गया है

जयपुर: पांच नगर निगम सहित 49 नगरीय निकायों का कार्यकाल 25 नवंबर को पूरा हो रहा है। ऐसे में निकाय चुनावों को लेकर सुगबुगाहट तेज हो गई है। सूत्रों के मुताबिक नगर निगम और नगर पालिकाओं के चुनाव को लेकर निर्वाचन विभाग ने तैयारी शुरू कर दी है। प्रदेश में वोटर लिस्ट को लेकर निवार्चन विभाग अपने काम में लग गया है। हांलाकि चुनाव कब होंगे इसको लेकर सरकार की तरफ से कोई जानकारी नहीं दी गई है।

इधर, चुनाव की तैयारियों के मद्देनजर चुनाव आयोग ने 10 फीसदी अतिरिक्त कर्मचारियों की सूची तैयार करने का भी निर्देश दिया है, ताकि जरूरत पड़ने पर उन्हें रिजर्व में रखा जा सके और इस काम में लगाया जा सके. इस बीच राजस्थान सरकार के यूडीएच मंत्री झाबर सिंह खर्रा ने एक कार्यक्रम में निकाय चुनाव को लेकर बड़ा बयान दिया है. झाबर सिंह खर्रा ने कहा कि उनकी और सरकार की सोच है कि 'एक राज्य एक चुनाव' के तहत सभी निकायों में एक साथ चुनाव हों. इससे पहले भी मंत्री झाबर सिंह खर्रा कह चुके हैं कि राजस्थान में वन स्टेट वन इलेक्शन लागू किया जाएगा.

निकायों में प्रशासक की नियुक्ति संभव: आपको बता दें कि संविधान के अनुच्छेद 243 में नगर पालिकाओं का कार्यकाल 5 साल है. इसी प्रकार राजस्थान नगर पालिका अधिनियम की धारा 7 में स्पष्ट प्रावधान है कि नगर पालिका का कार्यकाल 5 वर्ष से अधिक नहीं होना चाहिए। ऐसे में यह तय है कि राज्य के 49 शहरी नगर निकायों का कार्यकाल इसी महीने पूरा हो रहा है, अगर चुनाव नहीं हुए तो कमान प्रशासक को सौंपी जाएगी.इसलिए, यदि किसी नगर पालिका में 5 वर्ष का कार्यकाल पूरा होने से पहले चुनाव नहीं होते हैं, तो बोर्ड स्वतः ही भंग हो जाता है और चुनाव न होने की स्थिति में सरकार इन सभी निकायों में प्रशासक नियुक्त कर सकती है। प्रशासक नियुक्त होने की संभावना इसलिए भी ज्यादा है क्योंकि यूडीएच मंत्री झाबर सिंह खर्रा पिछले दिनों 'एक राज्य एक चुनाव' की बात कह चुके हैं.

यह घोषणा वित्त मंत्री ने बजट में की थी: गौरतलब है कि वित्त मंत्री दीया कुमारी ने इस साल के बजट में 'एक राज्य एक चुनाव' की घोषणा की थी. इसके पीछे तर्क यह था कि बार-बार चुनाव कराने से आचार संहिता लगने से सरकार का कामकाज प्रभावित होता है और सरकारी खजाने पर बोझ बढ़ता है.

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