जयपुर: राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन एडहॉक के लगाए गए आरोपों पर आरसीए के पूर्व सचिव भवानी सामोता ने पलटवार किया है। मंगलवार को जयपुर में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सामोता ने कहा कि एडहॉक कमेटी द्वारा जिन मामलों को लेकर मेरे खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई गई है। उनमें से ज्यादातर मामले उस वक्त के हैं, जब मैं राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन का सचिव ही नहीं था।
उन्होंने कहा- आरपीएल में भ्रष्टाचार के आरोप. उसमें भी नियमों के तहत टेंडर जारी किये गये थे. जो कार्य उस समय कार्यपालिका द्वारा 33 करोड़ रुपये के बजट में करना तय किया गया था। हमने सिर्फ 25 करोड़ में काम कर दिया. फिर भी कुछ लोग अनावश्यक विवाद पैदा करने के लिए बेबुनियाद आरोप लगा रहे हैं। जो कि पूर्णतया झूठ एवं निराधार हैं।
क्रिकेट एसोसिएशन के चुनाव के लिए कोई कदम नहीं उठाया गया
सामोता ने कहा- राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन की तदर्थ कमेटी बने 100 दिन से ज्यादा बीत चुके हैं। लेकिन अभी तक राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन के चुनाव के लिए तदर्थ समिति ने कोई कदम नहीं उठाया है. जो कि राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन एवं खेल अधिनियम का उल्लंघन है।
इसके साथ ही रजिस्ट्रार के समक्ष समस्याओं को लेकर हमारे कार्यपालक की भी शिकायत की गयी. एडहॉक कमेटी द्वारा दर्ज एफआईआर में भी उनका जिक्र नहीं है। बल्कि एफआईआर में जिन 6 मामलों का जिक्र है. उनमें से पांच घटनाएं मेरे कार्यकाल के दौरान नहीं हुईं। फिर भी मुझे बेवजह परेशान करने की साजिश रची जा रही है. सामोता ने कहा- स्टेडियम के एमओयू को लेकर एडहॉक कमेटी ने अब तक कोई प्रयास नहीं किया है। बल्कि सवाई मानसिंह स्टेडियम को एक निजी एजेंसी को देने की तैयारी की जा रही है. जिसका सबसे ज्यादा असर खेल गतिविधियों और क्रिकेट पर पड़ेगा. ऐसे में तदर्थ समिति अपने काम में पूरी तरह से फैल गयी है.
राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन के पूर्व संयुक्त सचिव राजेश भढ़ाना ने कहा कि पूर्व कार्यकारिणी पर लगाए गए सभी आरोप निराधार हैं. जिस उद्देश्य से तदर्थ समिति का गठन किया गया था, वर्तमान समिति उस उद्देश्य से कार्य नहीं कर रही है. बल्कि इससे राजस्थान के खिलाड़ियों और क्रिकेट का भविष्य बर्बाद हो रहा है. तदर्थ समिति के कार्यकाल में राज्य में एक भी टूर्नामेंट का आयोजन नहीं हो सका. जिससे पिछले कई सालों से तैयारी कर रहे हजारों खिलाड़ियों का भविष्य बर्बाद हो रहा है. लेकिन न जाने क्यों सरकार और प्रशासन ने इस पूरे मामले पर अपनी आंखें बंद कर रखी हैं.
एडहॉक कमेटी से भवानी सामोता ने पूछे 7 सवाल
28 मार्च से आज तक चुनाव सम्पन्न कराने हेतु तदर्थ समिति द्वारा क्या कार्यवाही की गयी?
खेल अधिनियम 2005 और आरसीए संविधान के प्रावधानों के विपरीत तदर्थ समिति द्वारा यह कार्रवाई क्यों की गई।
क्या तदर्थ समिति को माननीय उच्च न्यायालय के न्यायाधीश से अधिक पुलिस पर भरोसा है?
एफआईआर में दर्ज 6 में से 5 घटनाएं हमारे कार्यकाल में नहीं हुईं। फिर भी सारे आरोप हमारे ऊपर ही क्यों लगाए गए जबकि जानबूझ कर पूर्व कार्यकारिणी पर कोई आरोप नहीं लगाया गया।
रजिस्ट्रार द्वारा सभी पहलुओं की जांच के बाद ही हमें अयोग्य ठहराया गया है. जबकि उनमें इन बिंदुओं का कोई जिक्र नहीं है.
एमओयू के नवीनीकरण के लिए तदर्थ क्या किया गया है. क्या यह सीधे तौर पर खेल और खिलाड़ियों के हित को नुकसान नहीं पहुंचा रहा है.
एक तदर्थ समिति वर्षों से आरसीए द्वारा संचालित स्टेडियम को एक निजी संस्था को सौंपने की तैयारी कर रही है।