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राजस्थान | जेल आईजी रामानुज शर्मा को राजस्थान हाईकोर्ट से मौत के करीब 13 साल बाद न्याय मिला हैं। जस्टिस अनूप ढंड की अदालत ने दिवंगत रामानुज शर्मा के बेटे और अन्य परिजनों की याचिका को स्वीकार करते हुए उनके रिटायरमेंट से एक दिन पहले उन्हें दी गई चार्जशीट और सजा को निरस्त कर दिया है।
कोर्ट ने सरकार को आदेश दिए हैं कि दिवंगत आईजी की सजा के रूप में काटी गई पेंशन की राशि को उनके वारिसों को 9 प्रतिशत ब्याज के साथ लौटाई जाए। रामानुज शर्मा ने 1999 में सरकार के आदेश के खिलाफ अपील दायर की थी। 10 अप्रैल 2010 को उनकी मौत हो गई थी।
रिटायरमेंट से एक दिन पहले थमा दी चार्जशीट
दिवंगत रामानुज शर्मा जेल आईजी के पद से 30 जून 1991 को रिटायर हुए थे। इसके एक दिन पहले उनको 1977 के 14 साल पुराने एक मामले में चार्जशीट थमाकर उनके खिलाफ अनुशानात्मक कार्रवाई शुरू कर दी गई थी।
चार्जशीट के अनुसार जेल के दो गार्ड को 1976 में मजिस्ट्रेट कोर्ट ने दोषी मानकर प्रोबेशन का लाभ दे दिया था। इस आदेश को डीजे कोर्ट ने भी बहाल रखा था। इस दौरान दोनों ही गार्ड निलंबित चल रहे थे। जेल आईजी ने दोनों का निलंबन समाप्त कर दोनों को नौकरी से बर्खास्त करने के संबंध में निर्णय करने के लिए मामला सक्षम अधिकारी को भेज दिया था।
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Harrison
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