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सचिन पायलट की नई पार्टी बनाने से क्या है नफा-नुकसान

mukeshwari
10 Jun 2023 3:43 PM GMT
सचिन पायलट की नई पार्टी बनाने से क्या है नफा-नुकसान
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राजस्थान: राजस्थान में इस साल विधानसभा का चुनाव है। ऐसे में चुनाव से पहले सचिन पायटल और कांग्रेस के बीच में टकराव बढ़ता ही जा रहा है। वहीं बताया यह भी जा रहा है कि पायलट 11 जून को नई पार्टी बनाने की घोषणा भी कर सकते हैं। पिछले कुछ दिनों से न्यूज चैनल और सूत्रों ने हवाले से लगातार इसकी जानकारी मिल रही है। वहीं अब हर व्यक्ति यह जानना चाहता है कि क्या पायलट हकीकत में एक अलग राह चुनने वाले हैं या फिर पार्टी से समझौता करके विधानसभा का चुनाव प्रचार करेंगे। ऐसे में अगर देखा जाए तो सचिन पायलट के लिए नई पार्टी बनाकर विधानसभा चुनाव में उतरना बहुत ही बड़ा टास्क है। आखिर इसके कारण क्या है आइए आज हम आपको बारीकी से समझाते हैं।

अभी तक पार्टी के नाम का नहीं हुआ है आवेदन

आपको बता दें कि किसी भी पार्टी को बनाने के लिए हमें सबसे पहले उसके लिए नाम का चुनाव करना पड़ता है उसके बाद आवेदन करना पड़ता है। वहीं देखा जाए तो आवेदन करने के बाद चुनाव आयोग 3 से 4 महीने का समय लेकर रजिस्ट्रेशन करता है। रजिस्ट्रेशन के एक साल के बाद में उनकी ऑडिट रिपोर्ट चुनाव आयोग संबंधित राज्य से लेता है।

पार्टी से देना होगा इस्तीफा

वहीं बताया जाता है कि किसी भी नए संगठन को बनने के लिए आपके पास में कम से कम 100 सदस्य होना जरुरी है। जो व्यक्ति पार्टी बना रहा है उसके पास एक शपथ पत्र होना जरुरी है। वहीं सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि उस व्यक्ति को किसी अन्य दल का सदस्य नहीं होना चाहिए। ऐसे में सचिन पायलट की तरफ से या फिर उनके समर्थकों की तरफ से अभी तक कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा नहीं दिया है और न ही इस तरह की कोई घोषणा की गई है।

12 महीने तक का लगता है समय

किसी भी नई पार्टी को बनाने में कम से कम 4 और अधिकतम 12 महीने तक का समय लग सकता है। वहीं राजस्थान के विधानसभा चुनाव को होने में केवल 3 महीने का समय है जबकि साल 2024 के लोकसभा चुनाव को होने में भी कुछ समय ही बाकि है। ऐसे में पायलट किसी भी तरह का जोखिम नहीं उठाना चाहेंगे जिससे उनके राजनीतिक छवि में कमी आए।

कांग्रेस के नेताओं का विदेश में होना

जानकारी ये मिल रही है कि सचिन पायलट रविवार को अपने पिता के पुण्यतिथि के अवसर पर नई पार्टी का ऐलान करेंगे। वहीं प्रियंका और सोनिया फिलहाल इस समय विदेश में हैं। ऐसे में ये माना जा रहा है कि उनके न रहने पर पायलट ये फैसला नहीं लेंगे।

कांग्रेस महासचिव ने दी ये जानकारी

कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने ये जानकारी दिया कि मुझे नहीं लगता है कि पायलट इस तरह का कोई ठोस कदम उठाने जा रहे हैं। पायलट से मैंने बात की है उन्होंने मुझे नई पार्टी बनाने के बारे में कोई जानकारी नहीं दी है। राजस्थान कांग्रेस के लोग एकजुट होकर चुनाव लड़ेंगे।

आखिर क्यों लगता है पायलट बनाएंगे पार्टी

अगर हम बात करें सचिन पायलट के पार्टी बनने की तो पिछले काफी समय से वह गहलोत सरकार पर निशाना साध रहे हैं। उन्होंने कई बार कहा है कि भ्रष्टाचार और उनके राज्य के नौजवानों के मुद्दे को लेकर हम किसी भी तरह से समझौता नहीं करेंगे। हालंकि कांग्रेस आलाकमान की तरफ से सीएम गहलोत और सचिन पायलट को समझाने की कोशिश की गई है लेकिन इसके बाद भी बात बनती हुई नजर नहीं आ रही है।


समझिए नई पार्टी बनाने के नियम

अगर हम नई पार्टी के बनने के नियम की बात करें तो इसके लिए चुनाव आयोग के दिल्ली कार्यालय में आवेदन करना पड़ता है। चुनाव आयोग की यह स्वीकृति देता है कि पार्टी का नाम और सिंबल क्या होगा। आवेदन करते समय 10000 रुपए का एक डिमांड ड्राफ्ट होना जरुरी है। इस ड्राफ्ट को आयोग के सचिव के पास में जमा करना होता है। उसके बाद भारतीय संविधान के अनुसार 4 -5 महीने का समय इसमें लग जाता है। राजनीतिक पार्टी घोषित करने से पहले मान्यता प्राप्त समाचार पत्रों में आयोग की ओर से विज्ञापन दिए जाते हैं कि किसी को संबंधित संगठन के राजनीतिक पार्टी बनने, नामकरण या किसी अन्य बिन्दु पर कोई आपत्ति हो तो वो दर्ज करवा सके। वहीँ अगर प्रदेश में आचार संहिता लग गई तो आप पार्टी का पंजीकरण नहीं करवा सकते हैं।

कांग्रेस का एक बड़ा वोट बैंक है

जानकार लोग यह बताते हैं कि कांग्रेस के पास में एक बहुत ही बड़ा वोट बैंक है। ऐसे में पायलट इस वोटबैंक को छोड़कर नहीं जाना चाहेंगे। अगर वह नई पार्टी का गठन करते हैं तो उसकी वैल्यू भी बहुत कम रहेगी। ऐसे में पायलट समर्थक यह नहीं चाहेंगे कि उनके नेता के पार्टी की और नेता की ब्रांड वैल्यू कम हो। अगर पायलट नई पार्टी बनाते हैं तो कांग्रेस जैसी पार्टी के सामने चुनाव जितना भी आसान नहीं है। ऐसे में यह नहीं लग रहा है कि पायलट कोई नई पार्टी बनाएंगे।

गुलाम नबी आज़ाद ने की थी बगावत

गुलाम नबी आजाद ने भी कांग्रेस से बगावत करके नई पार्टी बनाई लेकिन उनकी यह पार्टी कुछ खास तरीके से प्रदर्शन नहीं कर पा रही है। जनवरी में इनके पार्टी के तीन दर्जन से अधिक लोगों ने पार्टी को छोड़कर कांग्रेस का दामन थाम लिया था। नेताओं के पार्टी छोड़ने पर गुलाम नबी आजाद ने कहा था, "मुझे चिंता नहीं है कि 10 या 12 नेता दिल्ली चले गए. जब तक मतदाता मेरे साथ हैं, मुझे नेताओं की चिंता नहीं है."कांग्रेस के सबसे वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आज़ाद जिन्होंने कांग्रेस का साथ छोड़कर कश्मीर में अपनी एक अलग पार्टी का बनाई। जिसके बाद आज उनके पार्टी का हश्र भी सचिन पायलट को देखना चाहिए और उसका अध्यन करना चाहिए।

सुलह की बैठक के बाद पायलट का बगावती चेहरा

सचिन पायलट ने कुछ हफ्ते पहले ही कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेताओं और कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, राहुल गांधी, के.सी. वेणुगोपाल के सामने सुलह करने के लिए बैठक की थी जिसमें राजस्थान के वर्तमान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी शामिल हुए थे इस मामलें में उस वक़्त सुलह हो गयी थी मगर उसके बाद सचिन पायलट ने पार्टी में फिर बगावत की शुरुआत की।

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प्रकाश सिंह पिछले 3 सालों से पत्रकारिता में हैं। साल 2019 में उन्होंने मीडिया जगत में कदम रखा। फिलहाल, प्रकाश जनता से रिश्ता वेब साइट में बतौर content writer काम कर रहे हैं। उन्होंने श्री राम स्वरूप मेमोरियल यूनिवर्सिटी लखनऊ से हिंदी पत्रकारिता में मास्टर्स किया है। प्रकाश खेल के अलावा राजनीति और मनोरंजन की खबर लिखते हैं।

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