राजस्थान
चंबल से भी नाकाफी पानी मिला...घना पर फिर गहराया जल संकट
Gulabi Jagat
21 July 2022 5:39 AM GMT
x
तीनों स्रोतों से नहीं मिल पा रहा पानी
भरतपुर. केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान पानी की किल्लत झेल रहा है (Water Shortage In Keoladeo). हालात यह है कि चंबल से भरा को मिलने वाले 62.5 एमसीएफटी पानी में से भी अभी तक सिर्फ 8.5 एमसीएफटी पानी मिल पाया है, जो कि नाकाफी है. ऐसे में घना पर फिर से जल संकट गहराने लगा है. अगर यही हालात रहे तो घना में नेस्टिंग कर रहे सैकड़ों पक्षियों को रोके रखना मुश्किल हो जाएगा.
तीनों स्रोतों से नहीं मिल पा रहा पानी:असल में केवलादेव उद्यान को पानी उपलब्ध कराने के लिए तीन स्रोतों का इस्तेमाल किया जाता है. चंबल का पानी, गोवर्धन ड्रेन और करौली का पांचना बांध का पानी. इस बार अभी तक पांचना और गोवर्धन से तो बिलकुल भी पानी नहीं मिल पाया है और चंबल से भी बहुत कम पानी मिला है.
ओवरफ्लो होने पर ही मिलेगा पानी: केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान के निदेशक अभिमन्यु सहारण ने बताया कि कम बरसात की वजह से अभी तक पांचना बांध और गोवर्धन ड्रेन से घना को पानी नहीं मिल पाया है. अधिक बरसात होने पर पांचना बांध ओवरफ्लो होगा, तो ही घना को पानी मिल पाएगा. निदेशक अभिमन्यु सहारण ने बताया कि वो लगातार करौली जिले के कलेक्टर से संपर्क में हैं जबकि कम बरसात की वजह से गोवर्धन ड्रेन के माध्यम से भी बरसात का पानी घना तक नहीं पहुंच पाया है.
62.5 में से सिर्फ 8.5 एमसीएफटी मिला: निदेशक अभिमन्यु सहारण ने बताया कि केवलादेव उद्यान के लिए चंबल परियोजना से 62.5 एमसीएफटी पानी मिलना होता है. लेकिन अभी तक सिर्फ 8.5 एमसीएफटी पानी ही मिल पाया है. बीते दिनों 3 दिन शहर की पेयजल आपूर्ति रोक कर घना को चंबल का पानी दिया गया था लेकिन वह नाकाफी साबित हो रहा है. अब फिर से जिला कलेक्टर ने 21 जुलाई को शहर की पेयजल आपूर्ति रोक कर घना को पानी देने का निर्णय लिया है.
निदेशक अभिमन्यु सहारण ने बताया कि पानी की कमी के इन हालात में हम चंबल से मिलने वाले 62.5 एमसीएफटी पानी को लेने की कोशिश करेंगे, ताकि पानी की कमी से कुछ राहत मिल सके.
पक्षियों को रोककर रखना चुनौती: पक्षी विशेषज्ञों का मानना है कि यदि केवलादेव उद्यान में पानी का संकट इसी तरह गहराया रहा तो यहां पर पक्षियों का रुकना मुश्किल हो जाएगा. उद्यान में फिलहाल करीब 400 ओपन बिल स्टॉर्क ने नेस्टिंग कर रखी है. पक्षियों ने अंडे भी दे दिए हैं. ऐसे में इन पक्षियों को रोककर रखना सबसे बड़ी चुनौती है. वहीं झीलों में भी पानी सिमटता जा रहा है, जिसकी वजह से यहां और पक्षियों का आना थम सा गया है.
Next Story