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बाड़मेर। बाड़मेर स्कूल से लौटे भाई-बहन खेल-खेल में घर में रखे एक बक्से में घुस गए। इसका ढक्कन अचानक बंद हो गया और वे इसी में फंस गए। दम घुटने से रविंद्र (11) मोनिका (8) की मौत हो गई। परिजन बाहर गए थे और लौटे तो वे कहीं नहीं दिखे, अचानक बक्से पर नजर पड़ी और खोलकर देखा तो परिजनों के होश उड़ गए। दोनों मासूम बेसुध होकर बक्से में पड़े थे। उपचार के लिए गडरारोड हॉस्पिटल लेकर गए। वहां पर दोनों मासूम बच्चों को डॉक्टर ने मृत घोषित कर दिया। घटना बाड़मेर जिले के गडरारोड थाना इलाके मेघवालों की बस्ती पनेला गांव शुक्रवार शाम की है।
पड़ोस में रहने वाले रोशन ने बताया कि मेघवालों की बस्ती पनेला निवासी चौखाराम के पुत्र रविंद्र कुमार (11) पुत्री मोनिका (8) शुक्रवार दोपहर 2 बजे स्कूल से लौटे थे। बच्चों के माता-पिता खेत मे काम करने के लिए गए हुए थे। इसके बाद रविंद्र और मोनिका घर में ही खेलने लगे। चोखाराम बुधवार को ही एक बकरी बेच कर बड़ा बक्सा लाया था। खेलते-खेलते दोनों मासूम बक्से के अंदर घुस गए। इसका ढक्कन अचानक बंद हो गया और दोनों अंदर ही फंस गए। शाम को करीब 6 बजे चोखाराम और उसकी पत्नी अपने बेटे हितेश के साथ घर पर पहुंचे तो बच्चे नहीं दिखे। आसपास मालूम किया लेकिन कुछ पता नहीं चला। अचानक चोखाराम की नजर बक्से पर पड़ी। उसने ढक्कन उठा कर देखा तो उसकी चीख निकल गई। दोनों मासूम बक्से में बेसुध पड़े थे। बैग घर पर ही थे तो उनके आस पास होने का शक था लेकिन, ये नहीं मालूम था कि वे इस तरह बक्से में पड़े मिलेंगे। इसके बाद परिजन रविंद्र और मोनिका को गडरारोड हॉस्पिटल लेकर गए। वहां पर दोनों मासूम बच्चों को डॉक्टर ने मृत घोषित कर दिया।
पड़ोसी रोशन के मुताबिक बच्चे लगभग 3 घंटे बक्से के अंदर रहे। इस बक्से का ढक्कन बंद होने जाने से उनके चीखने या बक्से को खटखटाने की आवाज बाहर सुनाई नहीं दी। अभी पुलिस को सूचना नहीं दी गई है। फिलहाल दोनों मासूम बच्चों के शव घर के आंगन में पड़े है। इधर, गडरारोड थानाधिकारी सलीम मोहम्मद के मुताबिक परिजनों और ग्रामीणों की ओर से हमें सूचना नहीं दी गई। लेकिन, सोशल मीडिया के जरिए जानकारी मिलने पर हमने ग्रामीण व परिजनों से पता किया। जानकारी के अनुसार, बक्से में बंद हुए बच्चों का दम घुटने से उनकी मौत हुई है।
डॉ. अजमल हुसैन ने बताया कि शाम को करीब 7 बजे दोनों मासूम बच्चों के शव को हॉस्पिटल लेकर आए थे। दोनों के शव अकड़े हुए थे। जांच में सामने आया कि हॉस्पिटल लाने से करीब 3 घंटे पहले ही उनकी मौत हो चुकी थी। परिजनों ने बताया कि बच्चे बक्से में फंस गए और उससे दम घुट गया। डॉ. अजमल हुसैन ने बताया कि बक्से में छेद नहीं होने पर एयर पास नहीं होती है। एक बार बक्से के अंदर फंसने और ढक्कन बंद होने के बाद 5-10 मिनट में दम घुट जाता है। अगर एयर पास होने की जगह होती तो उनकी जान बचाई जा सकती थी। मृतक मासूम बच्चों के पिता खेती करते हैं। उनके परिवार में दो बेटे और एक बेटी थी। शुक्रवार को रविंद्र कुमार व मोनिका स्कूल गई थी। वहीं तीसरा बच्चा हितेश स्कूल नहीं गया था। वह माता-पिता के साथ खेत पर चला गया था।
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