पीजी-हाईकोर्ट के अगले सत्र में ग्रामीण क्षेत्र में कार्यरत चिकित्सक को प्रवेश दें
जयपुर न्यूज: हाईकोर्ट ने ग्रामीण क्षेत्र में काम कर चुके डॉक्टर को बोनस अंक का लाभ नहीं देने के मामले में प्रार्थी डॉक्टर को पीजी कोर्स के अगले सत्र में प्रवेश देने का निर्देश दिया है। एक्टिंग सीजे एमएम श्रीवास्तव व जस्टिस अनिल कुमार उपमन की खंडपीठ ने यह आदेश डॉ. स्नेहा तिवाड़ी की अपील पर दिया। अदालत ने कहा कि अपीलार्थी को बिना किसी गलती पीजी कोर्स में प्रवेश से वंचित किया है।
हालांकि वर्तमान सत्र में प्रवेश की अंतिम तिथि निकल चुकी है और अपीलार्थी कोर्स में प्रवेश लेने की हकदार थी। ऐसे में अब उसे अगले सत्र में प्रवेश दिया जाए। अधिवक्ता विज्ञान शाह ने बताया कि अपीलार्थी साल 2015 में डेंटल ऑफिसर के पद पर नियुक्त हुई थीं। वहीं साल 2018 में उसे अलवर की मंडावर सीएचसी में नियुक्ति दी। इसके बाद कोरोना काल में उसे अलवर के ग्रामीण क्षेत्र में नियुक्ति दी गई। वहां उसने 750 दिन काम किया। अपील में कहा कि पिछले साल की नीट पीजी परीक्षा में उसे नियमानुसार बीस बोनस अंक दिए जाने थे, लेकिन इसका लाभ नहीं दिया। इसके विरोध में राज्य सरकार व अन्य ने कहा कि अपीलार्थी की मूल नियुक्ति शहरी क्षेत्र में थी और उसे कार्य व्यवस्था के लिए ग्रामीण क्षेत्र में लगाया था। जहां उसे ग्रामीण भत्ता भी नहीं दिया गया था, इसलिए उसकी सेवाओं को ग्रामीण क्षेत्र की सेवा के तौर पर नहीं गिना जा सकता। इसी आधार पर एकलपीठ ने भी उसकी याचिका खारिज कर दी थी। खंडपीठ ने दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद माना कि अपीलार्थी को बिना किसी गलती के पीजी कोर्स में प्रवेश से वंचित किया है।