मनरेगा में बुजुर्ग मजदूर गैंती-फावड़ा लेकर भी काम कर रहे
उदयपुर न्यूज़: न उम्र की सीमा है, न काम का है बंधन...। बात महात्मा गांधी नरेगा (मनरेगा) याेजना की है। इसमें काम पाने के लिए तो न्यूनतम उम्र 18 साल तय है लेकिन अधिकतम की कोई सीमा नहीं। 80 पार बुजुर्ग भी काम कर सकते हैं। साठ साल की उम्र में अफसर-कर्मचारी रिटायर हो जाते हैं। सामाजिक न्याय विभाग वृद्धजन दिवस पर 60 या इससे ज्यादा उम्र वालों को सम्मानित करता है।
वरिष्ठ नागरिकों को पेंशन दी जा रही है। जबकि 60 पार बुजुर्ग मनरेगा में काम कर रहे हैं। इसके लिए बाकायदा 18 से 80 ही नहीं बल्कि 80 साल से अधिक उम्र के श्रमिकों की 6 कैटेगरी तय हैं। योजना को लागू हुए 17 साल हो गए, लेकिन अब तक इस ओर किसी का ध्यान नहीं गया।
मंत्री ने माना- यह बड़ी चूक
यह बड़ी चूक है। मनरेगा कानून है, जिसमें संसद में ही संशोधन हो सकता है। प्रस्ताव भेजेंगे। -रमेशचंद्र मीणा, मंत्री, ग्रामीण विकास एवं पंचायतीराज विभाग
सवाल : चुनाव में बुजुर्गों के पैर छूने वाले नेता मौन क्यों?
चुनाव में नेता बुजुर्गों के पैर छूते, आशीर्वाद लेते हैं। बाद में संसद व विधानसभा चलाते हैं। लेकिन आवाज नहीं उठाते कि इन बुजुर्गों के लिए क्या वैकल्पिक व्यवस्था हो सकती है। मनरेगा के बजाय पेंशन बढ़ाने या आसान काम सौंपने पर बात नहीं होती।