राजस्थान

फ्यूल सरचार्ज के नाम पर अवैध वसूली, व्यापारिक संगठनों के किया प्रदर्शन

Shantanu Roy
21 July 2023 1:24 PM GMT
फ्यूल सरचार्ज के नाम पर अवैध वसूली, व्यापारिक संगठनों के किया प्रदर्शन
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हनुमानगढ़। हनुमानगढ़ औद्योगिक एवं व्यापारिक संगठनों के सदस्यों ने गुरुवार को कलक्ट्रेट के सामने धरना देकर मुख्यमंत्री, ऊर्जा मंत्री एवं उद्योग मंत्री के नाम जिला कलक्टर को ज्ञापन सौंपकर फ्यूल सरचार्ज के नाम पर वसूली बंद करने की मांग की। लघु उद्योग भारती ने सरकार से उद्योगों, वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों और आम उपभोक्ताओं से ईंधन अधिभार, विशेष ईंधन अधिभार, सौर अधिभार और अन्य शुल्क वसूलने के निर्णय को वापस लेने की मांग की है। उद्योग व्यापार संगठन विद्युत उपभोक्ता संघर्ष समिति के बैनर तले औद्योगिक एवं व्यापारिक संगठनों के सदस्यों ने कलक्ट्रेट के सामने धरना देकर मुख्यमंत्री, ऊर्जा मंत्री एवं उद्योग मंत्री के नाम जिला कलक्टर को ज्ञापन सौंपा।
लघु उद्योग भारती जिला इकाई के प्रभारी रामकुमार सहारण ने कहा कि राजस्थान राज्य देश में सबसे अधिक दरों पर उद्योगों एवं व्यापारिक संस्थानों को महंगी बिजली उपलब्ध कराने वाले राज्यों में से एक है। इस कारण नये उद्योग एवं व्यापारिक संस्थान राजस्थान में निवेश करने से कतराते हैं। कुछ क्षेत्रों को दी जाने वाली सस्ती और मुफ्त बिजली की भरपाई उद्योगों को ऊंची दर पर बिजली की आपूर्ति करके की जाती है। अब स्पेशल फ्यूल सरचार्ज के नाम पर कोयला खरीद की अव्यवस्था और लापरवाही का ठीकरा भी उद्योगों पर फोड़ा जा रहा है. उन्होंने मांग की कि फ्यूल सरचार्ज के नाम पर उद्योग-व्यापार का शोषण तुरंत बंद किया जाए।
फ्यूल सरचार्ज एवं स्पेशल फ्यूल सरचार्ज के नाम पर हो रही अवैध वसूली को तत्काल रोका जाए तथा जिन लोगों ने अब तक इस मद में राशि जमा कर दी है उन्हें समायोजित या वापस किया जाए। राजस्थान में विद्युत उत्पादन केन्द्रों की कोयला खरीद की प्रक्रिया को राज्य हित में कुशल वैज्ञानिक प्रबंधन के माध्यम से सुदृढ़ किया जाना चाहिए ताकि उत्पादन केन्द्रों पर उच्च गुणवत्ता वाले कोयले का पर्याप्त भण्डार सदैव उपलब्ध रहे। आयातित कोयले की गुणवत्ता के अनुसार कीमत का भुगतान किया जाना चाहिए। कोयला कंपनियों को समय पर भुगतान किया जाना चाहिए ताकि उत्पादन कंपनियों पर ब्याज की मार न पड़े और ऐसे घाटे की भरपाई के लिए कोई आसान तरीका बनाने और विशेष ईंधन अधिभार के नाम पर उद्योग और व्यापारियों पर थोपने की आवश्यकता नहीं है। मांग पत्र में चेतावनी दी गई कि यदि मांगों को गंभीरता से लेते हुए शीघ्र निर्णय नहीं लिया गया तो संघर्ष समिति लोकतांत्रिक तरीके से अपना आंदोलन तेज करने को बाध्य होगी।
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