धड़ल्ले से बिक रही गंदे पानी से बनी बर्फ, पानी के सैंपल की नहीं हो रही पर्याप्त जांच
कोटा: गर्मी शुरू होते ही शीतलपेय पर्दार्थो की मांग में 60 से 70 फीसदी इजाफा हो गया है। वहीं बाजार में ठंडे के नाम पर अमानक बर्फ की कुल्फी, आइसक्रीम, और जूस बिक्री धडल्ले से हो रही है। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की टीम की ओर से नमूने तो लिए जा रहे है लेकिन 19 लाख की आबादी वाले कोटा में मामूली नमूने सेहत बंद रखने में नाकाफी साबित हो रहे है। मार्च से कोटा में बर्फ, आइसक्रीम, जूस और डिब्बा बंद पेय पदार्थो की मांग बढ़ी हुई है। लेकिन इनकी गुणवत्ता की जांच के लिए पर्याप्त नमूने नहीं लिए जाने से बाजार धड़ल्ले अमानक खाद्य पदार्थो की बिक्री हो रही है। बर्फ गोला और आइसक्रीम खाने से बच्चों के गले खराब हो रहे है। अस्पताल में उल्टी, दस्त, पेट दर्द और गला खराब होने की शिकायत लेकर प्रतिदिन 60 से 70 बच्चे अस्पताल में आ रहे है। इन दिनों बाजार में धड़ल्ले से मिलावटीखोरी चल रही है। मिलावटी सामग्री में अब आइसक्रिम भी शामिल हो गई है। गर्मी का फायदा उठाकर बाजार में मिलावटी आइसक्रीम बेची जा रही है। जो स्वास्थ्य के लिए खतरनाक और जानलेवा तक साबित हो सकती है। रविवार को नागौर में तीन बच्चों द्वारा अमानक स्तर की आइसक्रीम खाने से सोमवार को अजमेर में तीनों बच्चों की इलाज के दौरान मौत हो गई। ऐसे कोटा में बिक रही दो रुपए पांच रुपए वाली चुस्की और आइसक्रीम बच्चों की सेहत ना बिगाड़ दे। बर्फ फैक्ट्रियों के पानी की जांच भी मार्च के बाद नहीं हुई है। पिछले साल भी 70 से अधिक बच्चे दूषित पानी पीने से बीमार हो गए थे और एक बच्चे की मौत हो गई थी।
रंगीन शरबत लीवर के लिए घातक
डॉ. ओपी मीणा ने बताया कि बर्फ के गोले में मिलाया जाने वाला रंगीन शरबत लीवर के लिए घातक होता है। सिर्फ ब्रांडेड आइसक्रीम ही खाएं। खुले में बिकने वाले शीतलपेय बच्चों के लिए खतरनाक हो सकते हैं। बहुत अधिक बर्फ के उपयोग से गले में इंफेक्शन हो जाता है। आइसक्रीम में मिलावट हो तो पेट में दर्द होने लगता है। इसलिए अपने बच्चों को ऐसे खाद्य पदार्थों से दूर ही रखना चाहिए।
सेहत पर पड़ रही भारी
बर्फ की शुद्धता की जांच नहीं होती। इसलिए यह पता नहीं चल पाता कि बर्फ में किस प्रकार का बैक्टीरिया है और यह कितने गंदे पानी से बनाई जाती है। कोई मानक तय नहीं होने के कारण बर्फ किसी भी पानी से बना दी जाती है। रख-रखाव में भी कोई साफ-सफाई नहीं बरती जाती। जिससे गर्मी में पेट दर्द, पीलिया, उल्टी दस्त के मरीजों की संख्या में इजाफा हो रहा है। जूस, गन्ने के जूस में बर्फ मिलाई जाती है लेकिन मानक स्तरीय बर्फ नहीं होने से ये लोगों की सेहत खराब कर रही है।
रंग बिरंगे बर्फ के गोले बच्चों की सेहत के लिए हानिकारक
जेकेलोन उपअधीक्षक व शिशुरोग विशेषज्ञ डॉ. गोपीकिशन शर्मा ने बताया कि गर्मी आते ही बाजार में कई तरह के आइसक्रीम बिक रही है। ये बच्चों के साथ-साथ बड़ों को भी खाना खूब पसंद आती है। गर्मियों में बच्चों को रंगीन बर्फ का गोला बहुत पसंद आता है लेकिन ये रंग-बिरंगे आकर्षक दिखने वाले गोले बच्चों को बीमार कर सकते हैं। रंग-बिरंगे बर्फ के गोले में कई तरह के केमिकल युक्त रंग डाले जाते है। इस रंग को तैयार करके महीनों इस्तेमाल किया जाता है। ऐसे में इससे पेट और लीवर को नुकसान पहुंच सकता है। आंतों में संक्रमण हो सकता है। बर्फ का गोला बेचने वाले कई बार दूषित पानी का उपयोग करते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हो सकता है। इससे उल्टी, दस्त, इंफेक्शन होने का खतरा बढ़ जाता है। इन दिनों अस्पताल में उल्टी, दस्त पेट में दर्द की शिकायत लेकर आने वाले बच्चों की संख्या लगातार बढ़ रही है। गर्मियों के मौसम में वैसे भी संक्रमण का खतरा ज्यादा रहता है। ऐसे में ये कलरफुल गोला खाने से हानिकारक केमिकल एलर्जी का मुख्य कारण बन जाता है। बर्फ का गोला खाने से सर्दी जुखाम हो सकता है। बाहर तेज धूप में बर्फ खाने से बच्चों को सर्दी जुखाम होने की संभावना बढ़ जाती है। इससे कंजेशन हो जाता है जिससे सांस लेने में परेशानी हो सकती है। बर्फ गोला,पेप्सी, चुस्की बच्चों के गले में इंफेक्शन का मुख्य कारण बन रहे है। इससे बच्चों के गले में दर्द और सूजन की समस्याा होती है। कई बार बर्फ का गोला निमोनिया और टाइफाइड का भी कारण बन सकता है। बर्फ के गोले में केमिकल के साथ-साथ चीनी की भी बहुत ज्यादा मात्रा होती है। ऐसे में इसे खाने से दांतों में कैविटी का भी खतरा हो जाता है।
तीन माह में विभाग ने इनके लिए नमूने
चिकित्सा एवं स्वास्थ विभाग की खाद्य सुरक्षा टीम की ओर से मार्च माह में 109 सैंपल लिए है। जिसमें मिल्क के 16, मिल्क से बनने वाले खाद्य पदार्थो के 22 सैंपल, घी आॅयल के 15 सैंपल, बैकरी आइटम, केक, पेस्टी 2 नमूने और अन्य खाद्य पदार्थो के22 नमूने लिए। वहीं बर्फ के 6 नमूने, आइसक्रीम 8, पानी के 8, जूस के 5 नमूने लिए। वहीं अप्रैल माह में 69 नमूने लिए गए जिसमें मिल्क 1, मिल्क से बने पदार्थो के लिए 6, घी तेल के 7 नमूने, आइसक्रीम 6 नमूने, जूस के 14 नमूने, बेकरी के 7 , अन्य 20 नमूने लिए। मिठाई और खाद्य पदार्थ8 नमूने लिए। मई माह में कुल 33 नमूने अभी तक लिए जा चुके है जिसमें दूध का एक, घी तेल के सात, जूस 2,बेकरी 6 नमूने, साल्ट के तीन, अन्य के 11 नमूने लिए गए है।
इनका कहना है
गर्मी बढ़ने के साथ ही खाद्य सुरक्षा की टीम की और से अनवरत नमूने लिए जा रहे है। शहर में पानी, बर्फ, आइसक्रीम, जूस के लिए नमूने लेकर लैब में भेज गए है। टीम की और से हॉस्टल के पानी के सैंपल लगतार लेकर जांच रही है।
-संदीप अग्रवाल, खाद्य सुरक्षा अधिकारी, कोटा