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जयपुर। भारतीय मुस्लिम महिला आंदोलन (बीएमएमए) ने मुस्लिम महिलाओं पर किए गए एक सर्वे में कहा है कि अगर पति की एक से ज्यादा शादियां होती हैं तो पत्नी का मानसिक स्वास्थ्य बुरी तरह प्रभावित होता है। सर्वे में 289 महिलाओं से बात की गई। इनमें से 84 फीसदी महिलाओं ने कहा कि एक से ज्यादा शादी को अवैध घोषित किया जाना चाहिए। रिपोर्ट में कहा गया कि पति की दूसरी शादी के बाद पत्नी इस स्थिति में नहीं है कि वह आवाज उठा सके और न्याय मांग सके। ऐसी महिलाओं को लगता है कि उनके जीवित रहते पति ने दूसरी महिला से शादी कर उन्हें धोखा दिया है।
'बहुविवाह में महिलाओं की स्थिति और कानूनी सुरक्षा की आवश्यकता' शीर्षक वाली रिपोर्ट को बीएमएमए की नूरजहां सफिया नियाज और जकिया सोम ने लिखा है। यह सर्वे दिल्ली, राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल आदि में किया गया। स्पेशल मैरिज एक्ट 1954 के तहत एक मुस्लिम पुरुष अधिकतम चार पत्नियां रख सकता है। वहीं आईपीसी की धारा 494 के तहत पत्नी के जीवित होने पर बिना तलाक के दूसरी शादी अपराध है। कानून तोड़ने वाले को 7 साल तक की जेल हो सकती है। हिंदू मैरिज एक्ट भी बहुविवाह के खिलाफ है। यह कानून सिखों, जैनियों और बौद्धों पर भी लागू होता है।
सर्वे में कई महिलाएं ऐसी भी थीं जिन्हें पड़ोसियों या दोस्तों से अपने पति की दूसरी शादी के बारे में पता चला। कुछ पत्नियां अपने बच्चों की खातिर अपने दूसरी शादी करने वाले पतियों के साथ एक ही छत के नीचे रहने को मजबूर हैं, जबकि कई महिलाएं अपने पतियों को छोड़कर अपने मायके चली जाती हैं। सुप्रीम कोर्ट में एक से ज्यादा शादी के मुद्दे को चुनौती देने वाली दलीलों के पक्ष में यह रिपोर्ट अहम साबित हो सकती है।
Admin4
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