राजस्थान

17 साल में साइबर क्राइम का गढ़ कैसे बना झारखंड का यह जिला, 70 से 80 के दशक में लूटी जाती थी ट्रेनें

Bhumika Sahu
4 Aug 2022 4:44 AM GMT
17 साल में साइबर क्राइम का गढ़ कैसे बना झारखंड का यह जिला, 70 से 80 के दशक में लूटी जाती थी ट्रेनें
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70 से 80 के दशक में लूटी जाती थी ट्रेनें

जामताड़ा. झारखंड का जामताड़ा जिला का नाम आज देश के हर कोने के लोग जानते हैं। देश में कहीं भी साइबर ठगी हुई तो ठगी का शिकार इंसान और पुलिस के जुबां पर सबसे पहला नाम जामताड़ा का ही आता है। क्योंकि जामताड़ा जिला को साइबर ठगों का गढ़ कहा जाता है। वर्ष 1970-80 में दिल्ली-हावड़ा मेन लाइन पर स्थित जामताड़ा जिले का करमाटांड़ इलाका ट्रेन लूट, छिनतई और नशाखुरानी के लिए कुख्यात हुआ करता था। लेकिन अब यह इलाका डिजिटल लुटेरों का गढ़ बन गया है। जामताड़ा से करीब 17 किलो मीटर दूरी पर स्थित करमाटांड़ का लगभग हर युवा आज साइबर ठगी कर रहा है। आश्चर्य की बात ये है कि यहां के युवा ज्यादा पढ़े लिखे नहीं है। फिर भी पलक झपकते ही लोगों के अकाउंट खाली कर देते हैं।

कम पढ़े लिखे युवा अपराधी इतने सलीके से बात करते हैं कि ठगी के शिकार लोग इन्हें पहचान भी नहीं पाते और ठगी का शिकार हो जाते हैं। जामताड़ा का करमाटांड़ इलाका बैगन ब्रेकिंग स्टेशन के नाम से जाना जाता था। लेकिन जैसे ही स्मार्ट फोन का दौर आया यह इलाका डिजिटल लुटेरों के नाम से कुख्यात होने लगा। अब देश के कोने-कोने के लोग जामताड़ा नाम से वाफिक हैं।
जैसे-जेसे समय बदला ठगी का तरीका भी बदलते गए
2004-2005 में स्मार्ट फोन आने के बाद करमाटांड़ इलाके में अपराध करने का तरीका बदल गया। अब यहां के युवा घर बैठे-बैठेऑनलाइन लूट कर रहे हैं। यहां के कुछ लोग देश के बड़े-बड़े शहरों में जाकर साइबर क्राइम करने का तरीका सीखा। वापस लौट कर यहां पूरा गैंग बना लिया। समय बीतने के साथ-साथ यहां साइबर अपराधियों का कई गिरोह खड़ा हो गया। कई महिलाओं का भी गिरोह यहां साइबर ठगी का काम करता है। पहले यहां के ठग लकी ड्रा, इनाम निकलने के नाम पर लोगों से साइबर ठगी करते थे। तो कभी बैंक अधिकारी बन कई लोगों को चूना लगाया। अब ठग फर्जी सोशल मीडिया आइडी बना, सोशल मीडिया आईडी हैक कर, एटीएम क्लोनिंग कर, ऑनलाइन शॉपिंग, बिजली बिल जमा समेत अन्य नए-नए तरीकों से साइबर ठगी का शिकार लोगों को बना रहे हैं। पुलिस ने यहां से 200 से भी अधिक महिला और पुरुष साइबर ठगों को गिरफ्तार किया लेकिन साइबर अपराधियों को जड़ से खत्म नहीं कर पाई है। क्योंकि यहां का लगभग हर इंसान साइबर ठगी कर रहा है। कई घरों के तो सभी लोग इसमें संलिप्त हैं।
यहां कई लोगों ने करोड़ों की संपत्ति बनाई
जामताड़ा के कई लोगों ने साइबर ठगी के मदद से घर बैठे-बैठे करोड़ों की संपत्ति बना ली। जंगलों और पहाड़ों से घिरा करमाटांड़ इलाके के 100 से अधिक गांव (आबादी लगभग डेढ लाख) ऐसे है जो अपने विकास कि कहानी खुद कहती है। यहां के लोगों का को कोई बड़ा बिजनेस या नौकरी नहीं है लेकिन इन गावों-टोलों में कई आलीशान मकान है। जिसके सामने महंगी-महंगी गाड़ियां लगी रहती है। कईयों ने यहां साइबर ठगी कर करोड़ों की संपत्ति बना ली। रियल स्टेट व जमीन जैसी प्रॉपर्टी के अलावा कई धंधों में भी यहां के लोगों ने करोड़ों रुपए निवेश कर रखा है। कईयों ने विदेश में भी प्रॉपर्टी खरीद रखी है।
जेल से छूटने के बाद फिर धंधे में लग जाते है लोग
ठगी के लागातार मामले आने के बाद जनवरी 2018 में जामताड़ा में साइबर थाना बनाया गया। कई मामले दर्ज कर पुलिस ने 200 से अधिक साइबर अपराधियों को गिरफ्तार कर जेल भेजा। लेकिन कुछ ही दिनों में जेल से छूटने के बाद लोग फिर से साइबर अपराध की दुनिया से जुड़ जाते थे। धीरे-धीरे जामताड़ा पूर्ण रुप से साइबर अपराधियों का गढ़ बन गया। देश के सभी राज्यों की पुलिस का हमेशा यहां आना-जाना लगा रहता है। क्योंकि देश में जितने भी साइभर ठगी होते हैं उसमें लगभग 80 प्रतिशत मामलों में साइबर ठगों का लोकेशन जामताड़ा ही मिलता है।
हाई प्रोफाइल लोगों के यहां के ठग बना चुके हैं शिकार
जामताड़ा के साइबर ठग देश के कई हाई प्रोफाइल लोगों को भी साइबर ठगी का शिकार बना चुके हैं। कई राजनेता, अधिकारी, व्यवसाई, फिल्म कलाकार इनके शिकार बन चुके हैं। घर बैठे-बैठे सिर्फ एक स्मार्ट फोन और लैपटॉप से देश के कोने-कोने के लोगों को ठगी का शिकार बना रहे हैं। झारखंड क्या पूरे देश की पुलिस यहां से साइबर अपराध खत्म नहीं कर पा रही है। देश के हर दूसरे साइबर क्राइम का लोकेशन जामताड़ा ही होता है।


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