सफेद हाथी साबित हो रहा हाउसिंग बोर्ड, संभाग भर में कोई काम नहीं चल रहा
कोटा: आमजन को सस्ते आवास बनाकर देने वाला हाउसिंग बोर्ड कोटा में सफेद हाथी साबित हो रहा है। यहां जमीन के अभाव में कोई नया निर्माण कार्य नहीं हो रहा है। सिर्फ एक चौपाटी का काम चल रहा है। कोटा, बूंदी, बारां और झालावाड़ में पहले सरकारी स्तर पर आमजन को सस्ते मकान बनाकर देने का काम राजस्थान आवासन मंडल(हाउसिंग बोर्ड) करता था। बोर्ड ने शहर में कई कॉलोनियों का निर्माण कराया भी है। लेकिन वर्तमान में सभी कॉलोनियां नगर निगम व नगर विकास न्यास को हस्तांतरित कर दी गई है। हालत यह है कि कोटा में हाउसिंग बोर्ड के पास जमीन तक नहीं है। जिससे करीब 22 साल से अधिक समय से बोर्ड ने कोटा में कोई नई कॉलोनी व मकानों का निर्माण तक नहीं कराया है। हालांकि कई लोगों ने बोर्ड में मकानों के लिए कई साल पहले आवेदन भी किए थे। उनका अभी तक कोई निस्तारण तक नहीं किया गया है। कोटा शहर में सीएडी रोड पर हाउसिंग बोर्ड का उप आवासन आयुक्त कार्यालय है। जहां उपायुक्त समेत इंजीनियर और कर्मचारी काम कर रहे हैं। इस कार्यालय से कोटा के अलावा बूंदी,बारां और झालावाड़ तक की मॉनिटरिंग की जा रही है। हाउसिंग बोर्ड में अधिकारियों से लेकर कर्मचारियों तक के वेतन पर हर महीने लाखों रुपए खर्च हो रहे हैं। जबकि यहां काम के नाम पर कुछ भी नहीं हो रहा है।
बोर्ड के पास मात्र दो कॉलोनियां: हाउसिंग बोर्ड ने कोटा के हर क्षेत्र में करीब डेढ़ दर्जन से अधिक कॉलोनियों में सैकड़ों मकानों का निर्माण कराया है। महावीर नगर, दादाबाड़ी, दादाबाड़ी विस्तार, कुन्हाड़ी, टीचर्स कॉलोनी और स्वामी विवेकानंद नगर समेत कई कॉलोनियों का निर्माण कराया था। उनमें से सिर्फ कुन्हाड़ी और स्वामी विवेकानंद नगर स्थित कॉलोनियां ही बोर्ड के अधीन हैं। जबकि इनके अलावा अन्य सभी कॉलोनियां नगर निगम व नगर विकास न्यास को हस्तांतरित हो चुकी हैं। उन कॉलोनियों की देखभाल व सार संभाल तक निगम व न्यास द्वारा ही की जा रही है। वहीं संभाग के तीन अन्य जिलों बूंदी, बारां और झालावाड़ में भी पुराने मकानों की नीलामी ही की जा रही है।
एक मात्र चौपाटी का निर्माण: हाउसिंग बोर्ड कोटा में सिर्फ नाम का रह गया है। विभाग द्वारा कोटा के कुन्हाड़ी स्थित हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी में एक मात्र चौपाटी का निर्माण कराया जा रहा है। पिछले काफी समय से इसका निर्माण कार्य चल रहा है। करीब 6 करोड़ 13 लाख रुपए की लागत से 17 दुकानें व 4 कियोस्क का निर्माण कराया जा रहा है। जिनमें एक साथ 150 लोगों के बैठने की व्यवस्था रहेगी। इस चौपाटी का निमाण कार्य इसी माह पूरा होने की संभावना है।
स्थायी उप आवासन आयुक्त तक नहीं: कोटा संभाग मुख्यालय होने और यहां से चारों जिलों का काम होने के बावजूद भी हालत यह है कि यहां जमीन तो है ही नहीं। उप आवासन आयुक्त तक स्थायी नहीं मिल पा रहा है। यहां पिछले कई साल तक उप आवासन आयुक्त का पद रिक्त रहा। उस समय भी कार्यवाहक उपायुक्त के भरोसे ही काम चल रहा था। एक्सईएन आर.के. जैन ने लम्बे समय तक चार्ज संभाला। उनका स्थानांतरण नगर निगम कोटा दक्षिण में होने से वह पद फिर से रिक्त हो गया था। यहां कुछ समय के लिए अनिल सक्सेना को उप आवासन आयुक्त के पद पर लगाया गया था। उन्हें भी बीच में निलम्बित कर दिया गया था। दोबारा पद संभालने के बाद वे भी 30 अप्रैल को सेवानिवृत्त हो गए। जिससे एक बार फिर से उप आवासन आयुक्त का चार्ज एक्सईन हेमंत नामदेव को दिया गया है।
इनका कहना है: कोटा में हाउसिंग बोर्ड के पास जमीन नहीं होने से यहां पिछले कई सालों से कोई नए मकान नहीं बने हैं। सिर्फ कुन्हाड़ी में चौपाटी का निर्माण चल रहा है। उसके इस महीने पूरा होने की संभावना है। कोटा में कुन्हाड़ी व स्वामी विवेकानंद नगर बोर्ड के अधीन है जबकि शेष सभी कॉलोनियां हस्तांतरित हो गई हैं। लाखेरी में 317 नए मकान बनाए जाने हैं। जिनके लिए आवेदन लिए जा रहे हैं।
- हेमंत नामदेव, कार्यवाहक उप आवासन आयुक्त, राजस्थान हाउसिंग बोर्ड कोटा