राजस्थान

दोहरे मानसून में अधूरी रही उम्मीद, जलसेन में नहीं हुआ पर्याप्त जलभराव

Shantanu Roy
31 Aug 2023 11:17 AM GMT
दोहरे मानसून में अधूरी रही उम्मीद, जलसेन में नहीं हुआ पर्याप्त जलभराव
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करौली। करौली वर्षों बाद आए दोहरे सावन में भी जलसेन तालब में अपेक्षित जलभराव नहीं हुआ है। ऐसे में शहर की पुरानी आबादी क्षेत्र के लिए कभी प्रमुख जलस्त्रोत रहे जलसेन तालाब में केवल घाटों के पास ही कुछ मात्रा में बारिश का जल भराव हुआ है, जबकि दूर तक तालाब अधिकांश पेटा सूखा पड़ा है। पुरानी आबादी क्षेत्र के बुजुर्गों ने बताया कि पहले सावन माह में जलसेन तालाब पूरा भर जाता है। हवा के झोकों से पानी की सतह पर इठलाती जल तरंगें घाटों की सीढिय़ों को छूकर मनोरम दृश्य बनाती थी। काफी लोग नहाने आते थे, लेकिन करीब डेढ़ दशक से जलसेन तालाब में बारिश के दौर में पानी की आवक थम गई है। कैचमेंट एरिया में नालों व पानी आने के रास्तों के अवरुद्ध होने से अब केवल जलसेन आस-पास से बह कर आया जल ही एकत्र होता है। ऐसे में गोमती आश्रम के पिछवाड़े से लेकर छत्तू घाट, राम घाट मसान घाट, पीरिया की कोठी व पंचायती मंदिर के घाटों के पास छोटे से क्षेत्र में पानी जमा होता है।
जलसेन का जल आवक क्षेत्र (कैचमेंट एरिया) - 6.73 वर्ग किलोमीटर जलभराव क्षेत्र - 125 एकडभराव क्षमता - 15 एमसीएफटी (5 फीट) पाल की लंबाई - 105 चैन (10500 फीट) घाटों की संख्या - 20जल आवक स्त्रोत - तीन नालेपूर्ण भराव - 1972, 1995 व 2005वर्तमान हाल - पेटेमें घाटों के पास जल भराव, झाडी और कचरे से अटे घाट जससेन तालाब से शहर की धार्मिक आस्थाएं भी जुड़ी हैं। कृष्ण जन्माष्टमी के बाद जलझूलनी एकादशी पर पुरानी आबादी क्षेत्र के पांच प्राचीन मंदिरों से कृष्ण विग्रह प्रतिमाओं को डोलों में विराजित कर नगर भ्रमण करवा जलसेन के छत्तूघाट पर लाया जाता है।
सभी पांच डोलों में सजी झांकियों को सामूहिक आरती के बाद ब्रज परम्परा के अनुसार जलसेन के जल से प्रतीकात्मक स्नान कराया जाता है। इस वर्ष दोहरा सावन होने से अच्छी बारिश व जलसेन में पूरा जल भराव की उम्मीद थी। अधिक मास के बाद सावन माह भी चार दिन में बीतने को है, लेकिन जलसेन में सीमित क्षेत्र में एकाध सीढ़ी ही जलभराव हो सका है। तहसील कार्यालय सूत्रों के अनुसार इस वर्ष 15 जून से अब तक शहरी क्षेत्र में मात्र 374 एमएम बारिश दर्ज की गई है। जबकि गत वर्ष में मानसून सीजन में 573 एमएम बारिश हुई थी। बीते पांच साल से क्षेत्र में कम बारिश होने से जलसेन में पानी की आवक कम है। अमृत योजना के तहत जलसेन तालाब की सार संभाल की जा रही है। सिटी पर्यटक स्थल के रूप में विकसित कर तालाब के स्वरूप को फिर से जीवंत किया जा रहा है।
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