राजसमंद न्यूज़: तेरापंथ धर्म संघ के शासन मुनि रवींद्रकुमार एवं मुनि अतुलकुमार धोईंदा विराज रहे हैं। रात्रिकालीन प्रवचन माला में मुनि अतुलकुमार ने कहा कि किसी भी परिवार को स्वर्ग और मंदिर जैसा बनाया जा सकता है, बस आवश्यकता होती है तो उस मंदिर का पुजारी बनने की। स्वर्ग सा सुंदर घर होने से तात्पर्य परिवार में सुख, शांति, समृद्धि, परिवार के सदस्यों ने आपसी प्रेमभाव होने से है।
जिस घर में नब्बे वर्ष से अधिक उम्र का बुजुर्ग भी भगवान से यही प्रार्थना करे कि कुछ दिनों के लिए और जीवन मिल जाए तो समझें वह स्वर्ग है और जिस घर में अशांति, क्लेश हो और जिस घर में बीस वर्ष का युवा भी आत्महत्या की कोशिश करने लगता है उस घर को नर्क बताया जाए तो कोई अतिशयोक्ति नहीं। बस यही फर्क होता है स्वर्ग और नर्क जैसे परिवार का। परिवार के सदस्य और उनकी सोच ही किसी परिवार को स्वर्ग और नर्क बनाती है।घर स्वर्ग तभी बन सकता है, जब वहां रहने वाले लोग देवता हों। समय के साथ परिवारों में कुछ बदलाव आया है। मानो परिवार को किसी की नज़र लग गई हो ।वर्तमान परिपेक्ष में परिवार में सुख शांति कहीं गुम हो गई।