जीएसटी की स्लैब भी हो समान: मंडी व्यापारियों व एफएमसीजी को बजट से उम्मीद
कोटा: आम आदमी के लिए खाने-पीने और रोजमर्रा उपयोग में आने वाली वस्तुओं के दामों में इतनी अधिक बढ़ोतरी हो गई है कि गरीब आदमी के लिए महगाई भारी पड़ रही है। ऐसे में अगले महीने पेश होने वाले बजट से मंडी व्यापारियों व एफएमसीजी ( फास्ट मूविंग कन्ज्यूमर गुड्स) के व्यापारियों को राहत की उम्मीद है। आगामी वित्त वर्ष 2023-24 के लिए अगले महीने फरवरी में बजट पेश किया जाएगा। राज्य और केन्द्र सरकार द्वारा बजट में कई क्षेत्रों के लिए प्रावधान किए जाएंगे। जिससे हर वर्ग के लोगों को कुछ न कुछ राहत व रियायत की उम्मीद सरकारों से है। ऐसे में मंडी व्यापारियों व रोज मर्रा के उपयोग में आने वाली वस्तुओं के व्यापारियों को भी राहत की उम्मीद है। व्यापारियों का कहना है कि जीएसटी व टैक्स को कम किया जाना चाहिए।
तेल पर टैक्स हो कम
खाद्य तेल आम आदमी की जरूरत की वस्तु है। गरीब से गरीब व्यक्त भी परिवार में इसका उपयोग करता है। तेल के दाम अधिक होने से कोई कम तो कोई अधिक मात्रा में उपयोग करता है। तेल पर साढ़े पांच फीसदी जीएसटी लगाया जा रहा है। जिससे तेल के दाम आसमान छू रहे हैं। हालांकि अन्य वस्तुओं की तुलना में तेल पर टैक्स अपेक्षाकृत कम है। फिर से सरकार को चाहिए कि बजट में तेल पर जितना संभव हो सके टैक्स कम किया जाए। सरकार पर निर्भर करेगा कि बजट में किस तरह के प्रावधान करेगी। व्यापारियों को तो हर बार बजट में राहत की ही उम्मीद रहती है। इस बार भी टैक्स में छूट की ही उम्मीद है।
-दीपक दलाल, व्यापारी
कम हो एग्रो कमोडिटी टैक्स
सरकार को एग्रो कमोडिटी पर लगने वाले टैक्स को कम करना चाहिए। आॅयल सीड्स व किराने के सामन पर 5 फीसदी जीएसटी लगाया जा रहा है। जिससे महगाई बढ़ रही है। किसानों के साथ ही आमजन को भी महंगाई की मार झेलनी पड़ रही है। टैक्स कम होने से महंगाई कम होगी तो य्यापारी, किसान व आमजन को भी राहत मिलेगी। कोरोना काल के समय में धान समेत मसालों के निर्यात पर रोक लगा दी गई थी। उसे तो फिर से चालू कर दिया है। निर्यात को बढ़ावा देने के प्रावधान किए जाने चाहिए।
-महेश खंडेलवाल, व्यापारी, भामाशाह मंडी
सभी सूखे मेवे पर एक समान हो टैक्स का स्लैब
सूखा मेवा (ड्राय फूड्स) आम आदमी की जरूरत की वस्तु है। हालांकि वैसे ही ये महंगे होने से अधिकतर लोग कम मात्रा में और जरूरत होने पर ही इसे खरीद रहे हैÞं। ड्राय फूड्स में भी जीएसटी की स्लैप अलग-अलग है। काजू व 5 फीसदी और बादाम पर 12 फीसदी टैक्स लग रहा है। जिससे इनक दाम बढ़ रहे हैं। ऐसे में सभी ड्राय फूड्स की टैक्स स्लैप एक समान होनीे चाहिए। वहीं पैकिग वाले खाद्य पदार्थ जिनमें मैदा, सूजी, आटा, दाल व चावल समेत सभी खाद्य पदार्थ शामिल हैं उन पर भी 5 फीसद जीएसटी लगाई जा रही है। जबकि पहले नहीं लगती थी। इससे महंगाई बढ़ी है। इसे समाप्त या कम किया जाए।
-राजकुमार जैन, व्यापारी