अलवर: नीमराना रिसॉर्ट फ्रॉड केस में एक और नया मोड आया है। बिना जीएसटी रजिस्ट्रेशन कराए विभिन्न कंपनियों में करोड़ों रुपए का कारोबार करने के लिए सेंट्रल और जीएसटी हेराफेरी की जांच हो सकती है। इस संबंध में ठगी के शिकार निवेशकों ने केंद्र और राज्य सरकार को शिकायत भेजी है।
बता दें कि राजकिशोर मोदी, सुजाता मोदी, सिद्धार्थ जयपुरिया, संजय पसारी और राजीव पसारी के खिलाफ शाहजहांपुर थाने में पहले ही एक एफआईआर दर्ज है। इसमें इन पर धारा 406, 420, 467, 468, 471 और 120बी के तहत आपराधिक षड़यंत्र रचकर कूटरचित दस्तावेज तैयार करने औऱ उनसे धोखाधड़ी करने के आरोप हैं। इसकी जांच के लिए पुलिस द्वारा इन्हें दो बार धारा 41 के नोटिस दिए गए थे। लेकिन, जांच में थाने पर हाजिर नहीं होने के कारण स्थानीय कोर्ट ने इन सभी शातिर निदेशकों के गिरफ्तारी वारंट जारी किए हुए हैं। अब ये पुलिस और राजस्थान के निवेशकों से भागते फिर रहे हैं।
इधऱ, निवेशकों ने पुलिस से शेयर प्लेज एग्रीमेंट पर दस्तखत करने वाली ऑथराइज्ड सिग्नेटरी अवंतिका पसारी और अन्य लोगों को भी मुल्जिम बनाए जाने की गुहार लगाई है। निवेशकों का कहना है कि ये सभी निदेशक कोलकाता में ही छिपे बैठे हैं। लेकिन, स्थानीय पुलिस का सहयोग नहीं मिलने के कारण राजस्थान पुलिस इन्हें गिरफ्तार नहीं कर पा रही है। वहीं केस की गंभीरता को देखते हुए राजस्थान हाईकोर्ट ने भी अभी इन शातिर निदेशकों को कोई राहत नही दी है।
इधर, निवेशकों का दावा है कि मोदी और पसारी ग्रुप की 30-40 शैल कंपनियां हैं। इन कंपनियों में ये लोग पिछले 30 साल से ठगी का पैसा इधर-उधर दिखाकर कोलकाता, दिल्ली, झारखंड, राजस्थान समेत कई राज्यों में निवेशकों के करोड़ों रुपए हड़प चुके हैं। इनके वकील भी क्रिमिनल मैटर को सिविल औऱ सिविल मैटर को क्रिमिनल बनाने में माहिर हैं। फर्जी कंपनियों के नाम से आवंटन, दूसरे लोगों की जमीनों का बेचान, बिना सरकारी अनुमति के प्लॉट की बिक्री, वर्षो पहले बंद हो चुकी कंपनियों की फर्जी बोर्ड मीटिंगें करना, फिर कंपनी छोड़ देना इनकी फितरत बन चुका है।
निवेशकों का कहना है कि राजकिशोर मोदी, सुजाता मोदी और उदय मोदी ने एक ही पते 1/1B अपर स्ट्रीट वुड कोलकाता पर बिना जीएसटी रजिस्ट्रेशन के कई कंपनियां चला रखी हैं। यहां मोदी ने 5-6 गार्ड बिठा रखे हैं। कई इन्वेस्टर्स यहां रोजाना अपना पैसा डूबने का रोना रोने आते हैं। लेकिन, गार्ड उन्हेंं मिलने तक नहीं देते। मोदी-पसारी ग्रुप की इन शैल कंपनियों को बैंक आखिर बिना जांच-पड़ताल कैसे लोन दे रहे हैं? राजस्थान के निवेशक SARFSAI Act 2002 के अंतर्गत इसकी जांच के लिए शिकायत कर रहे हैं।
निवेशकों का दावा है कि मोदी बंधुओं की तरह ही सिद्धार्थ जयपुरिया भी बिना जीएसटी रजिस्ट्रेशन के अपना धंधा कर रहा है। इसमें जीएसटी टैक्स चोरी की आशंका है। जयपुरिया द्वारा जीएसटी की यह हेराफेरी बिना उच्च स्तरीय संरक्षण के संभव नहीं है। लेकिन, इस बार निवेशकों ने भी ठान रखा है कि राजकिशोर मोदी, सुजाता मोदी, उदय मोदी और सिद्धार्थ जयपुरिया द्वारा फर्जी कंपनियां खोलकर आपस में किए जा रहे लेन-देन, धोखाधड़ी की ईडी, एनसीएलटी, SARFSAI Act, लोन देने वाली वित्तीय बैंकों से जांच करवाकर ही छोड़ेंगे। इन कंपनियों की बैलेंसशीट तैयार करने और ऑडिट करने वाली चार्टर्ड अकाउटेंट फर्में भी जांच के दायरे में आ सकती हैं।
शेयर प्लेज एग्रीमेंट के मामले में भी सामने आ रहा झोलः
इधर, शेयर प्लेज एग्रीमेंट मामले में भी झोल सामने आ रहा है। निवेशकों की पड़ताल के मुताबिक अंवतिका पसारी ने क्रिस्टोफर एस्टेट प्रा. लि. की ओर से इस शेयर प्लेज एग्रीमेंट पर बतौर ऑथऱाइज्ड सिग्नेटरी साइन किए थे। जबकि वर्ष 2016-17 की ऑडिट रिपोर्ट में मैसर्स वेदिका संजीवनी प्रोजेक्ट प्रा. लि. के 100 प्रतिशत शेयर, डिबेंचर, निवेशकों के प्लॉट सहित दूसरी कंपनियों को बेच दिए थे। अब राजकिशोर मोदी कह रहा है कि मैंने तो वर्ष 2014 में प्लॉट बेचे थे। उसके बाद जो फर्जीवाड़ा हुआ है, उसके लिए राजीव पसारी, संजय पसारी, अवंतिका पसारी, अविनाश और आदर्श लोहिया जिम्मेदार हैं।