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श्रीगंगानगर राजस्थान हाई कोर्ट ने फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी में लंबित जांचों की समय पर रिपोर्ट तैयार करने के निर्देश दिए हैं. कोर्ट ने जयपुर सहित अन्य जिलों में कम से कम छह और क्षेत्रीय फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशालाएं शुरू करने के लिए विशेष कदम उठाने को कहा है. मुख्य न्यायाधीश पंकज मित्तल और न्यायमूर्ति शुभा मेहता ने वर्तमान में कार्यरत सभी छह फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशालाओं में डीएनए और साइबर फोरेंसिक परीक्षण सुविधाएं शुरू करने के लिए ठोस कदम उठाने का निर्देश दिया और कहा कि तीन महीने में इन प्रयोगशालाओं में शुरू होने की उम्मीद है। करते हैं प्रयास गौरतलब है कि जयपुर में एक राज्य स्तरीय फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला है, न्यायालय ने जयपुर में भी एक अलग जिला स्तरीय प्रयोगशाला स्थापित करने की आवश्यकता को स्वीकार किया है।
स्वत: संज्ञान याचिका पर सुनवाई करते हुए महाधिवक्ता एमएस सिंघवी ने पालना रिपोर्ट पेश की और कहा कि भरतपुर में एफएसएल केंद्र किराए के भवन में चल रहा है. केंद्र के निर्माण के लिए जमीन आवंटित कर दी गई है और निर्माण के लिए टेंडर भी जारी कर दिए गए हैं। महाधिवक्ता ने वर्ष 2020-21 की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि लंबित मामलों की संख्या बढ़ी है लेकिन इसका कारण जांच में देरी नहीं है. प्रयोगशाला जांच के नमूनों की संख्या बढ़ने से लंबित मामलों की संख्या बढ़ रही है। महाधिवक्ता ने कहा कि पुलिस या अदालत में किसी मामले की जांच रिपोर्ट पेश करने की सही समय सीमा तय नहीं की जा सकती, लेकिन जांच में एक महीने तक का समय लग जाता है. सरकार ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि राज्य में छह क्षेत्रीय प्रयोगशालाएं जोधपुर, उदयपुर, कोटा, बीकानेर, अजमेर और भरतपुर में काम कर रही हैं। प्रयोगशालाओं में 104 पद रिक्त चल रहे हैं। इन्हें भरने के लिए आरपीएससी और कर्मचारी चयन बोर्ड को कहा गया है। जिस पर कोर्ट ने कहा कि जांच पूरी करने में लगने वाले समय को कम करने के लिए नई प्रयोगशालाएं खोलने पर फैसला लिया जाए.

Rounak Dey
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