राजस्थान
खुशखबरी: IIT गुवाहाटी ने विकसित किया प्रोस्थेटिक लेग, भारतीय जरूरतों के लिए उपयोगी
Bhumika Sahu
14 Jun 2022 5:40 AM GMT
x
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) गुवाहाटी के शोधकर्ताओं ने दावा किया
जनता से से रिश्ता वेबडेस्क। दिल्ली. भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) गुवाहाटी के शोधकर्ताओं ने दावा किया है कि उन्होंने एक किफायती कृत्रिम पैर विकसित किया है। जिसे विशेष रूप से भारतीय परिस्थितियों जैसे कि असमान इलाके और भारतीय जरूरतों के हिसाब से तैयार किया गया है। यह कृत्रिम पैर क्रॉस-लेग्ड सिटिंग और डीप स्क्वाटिंग के लिए भी डिजाइन किया गया है। शोधकर्ताओं ने कहा कि कम वजन वाला कृत्रिम पैर विभिन्न आयु समूहों और कृत्रिम अंग के उपयोग के कई चरणों के लिए भी उपयोगी है। टीम द्वारा विकसित मॉडल के प्रोटोटाइप का अभी परीक्षण चल रहा है।
दिव्यांगों के लिए बेहद फायदेमंद
आईआईटी गुवाहाटी में मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर एस कनकराज ने कहा कि भारत में कृत्रिम अंग का विकास कई चुनौतियों का सामना करता है। दिव्यांग लोगों को अपनी कार्यक्षमता बढ़ाने के लिए ऐसे उपकरणों पर काफी खर्च करना पड़ता है। पश्चिमी तकनीक से तैयार उत्पाद भारतीयों की जरूरतों की अनदेखी करते हैं। जैसे क्रॉस-लेग्ड बैठना, शौचालय के उपयोग के लिए नीचे बैठना और योग व्यायाम मुद्राओं के लिए लचीलापन होना आदि। लेकिन इस कृत्रिम पैर में इन सभी जरूरतों का ध्यान रखा गया है।
बीमार लोगों के लिए भी उपयोगी
प्रोफेसर कनकराज ने कहा कि हमारी टीम द्वारा विकसित घुटने के जोड़ में एक स्प्रिंग-असिस्टेड डीप स्क्वाट तंत्र है। जो भारतीय शौचालय प्रणाली के उपयोग को अधिक आरामदायक बनाता है। घुटने को घुमाने वाला तंत्र क्रॉस-लेग्ड बैठने में मदद करता है। लॉकिंग तंत्र रोगियों में गिरने का डर कम करने में मदद करता है। उन्होंने यह भी कहा कि रोगियों की उम्र और आवश्यकता के आधार पर इसे स्थिर और फ्लेक्सिंग बनाया गया है। कुल मिलाकर यह कह सकते हैं कि घुटने के जोड़ को भारतीय जीवन शैली को पूरा करने के लिए डिजाइन किया गया है।
100 किलो वजनी व्यक्ति भी करेंगे उपयोग
उन्होंने कहा कि उनकी टीम द्वारा बनाए गए प्रोस्थेटिक का अंतरराष्ट्रीय मानक के अनुसार परीक्षण किया जाता है। यह शरीर के 100 किलो वजन तक का भार उठा सकता है। इस कृत्रिम पैर की कीमत 25,000 रुपये होगी। उन्होंने कहा कि विभिन्न घटकों के लिए उपयुक्त पॉलिमर, एल्यूमीनियम मिश्र धातु और स्टेनलेस स्टील का चयन करके कृत्रिम पैर का वजन कम किया जाता है। शोधकर्ताओं ने कहा कि उपयोगकर्ताओं के चाल पैटर्न में किसी भी असामान्यता का पता लगाने के लिए गति विश्लेषण किया गया ताकि अलग घुटने के डिजाइन का उपयोग करके इसे सुधारा जा सके।
Next Story