राजस्थान

घाणी के जुगाड़ ने बदली तकदीर

Admin4
22 Nov 2022 3:00 PM GMT
घाणी के जुगाड़ ने बदली तकदीर
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नैनवां। मन में कुछ करने का जज्बा हो तो रास्ते अपने आप मिल जाया करते है। भीलवाड़ा जिले के मांडलगढ़ निवासी राजूलाल ने अपनी गरीबी को दूर करने के लिए कुछ नया करने का सोचा। 10 वीं कक्षा तक पढ़ा हुआ राजू ने कुछ नया हुनर सीख कर काम करना शुरू किया तो आज उसके पास दो-दो जुगाड़़ मौजूद है। जिससे वह स्वयं भी काम कर रहा है और परिवार भी काम में लगा हुआ है। कोल्हू का बैल नहीं बाइक की घाणी- आपने और हमने तिलों का तेल निकालने के लिए घाणी (कोल्हू) में बैलों को जोतते देखा है। तेल निकालने की इस परपंरा के चलते एक कहावत कोल्हू का बैल भी सदियों से चली आ रही है। लेकिन अब आप यह जानकार हैरान हो जाएंगे कि यहां बैल की जगह मोटरसाइकिल ले ले।
जी हां नैनवां पंचायत समिति के सामने सड़क किनारे लगी घाणी (कोल्हू) में लोगों के सामने इन दिनों हैरान कर देने वाला कारनामा हो रहा है। यहां घाणी का एक मालिक राजू बैल की जगह बाइक के जरिए घाणी का तेल निकाल रहा है। भीलवाड़ा जिले के मांडलगढ़ निवासी राजू का कहना है कि भीलवाड़ा से नैनवां तक बैल को लाने में हजारों मुश्किलात होती थी, इसलिए बैल की जगह मोटरसाइकिल ही कोल्हू को जोत दिया है। बाइक को बैल की तरह जोता जाता है। बाइक को शुरू करके घाणी में से तिल्ली का तेल निकालना हो अथवा जांघम जो एक प्रकार का गुड़,तिल्ली,बदाम,काजू का एक मिश्रण होता है। जिसको जांघम कहा जाता है।
सर्दी के दिनो में जांघम खाने से सर्दी का असर कम हो जाता है। जिसकी किमत 300 रुपए किलो है। लोग सर्दी से बचाव को लेकर खरीद कर ले जाते है। वैसे ही तिल्ली का तेल भी सर्दी में काफी फायदेमंद होता है। जिसको 350 किलो बेचा जाता है। तेल में किसी प्रकार की मिलावट नहीं होने एवं आंखों के सामने तेल निकालने से ग्राहकों का विश्वास भी हो रहा है। उन्होंने बताया कि इस धंधे में लागत कम है। फायदा अधिक है। ऐसा जुगाड़ उसके पास दो है। एक जुगाड़ मांडलगढ़ में दूसरा जुगाड़ नैनवां में लगाया है।
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