राजस्थान

आचार संहिता से पहले गहलोत का चुनावी दांव; राजस्थान में जातिगत सर्वे के आदेश जारी

Tara Tandi
8 Oct 2023 11:07 AM GMT
आचार संहिता से पहले गहलोत का चुनावी दांव; राजस्थान में जातिगत सर्वे के आदेश जारी
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विधानसभा चुनाव से पहले जाति आधारित सर्वे को लेकर छिड़ी बहस पर विराम लगाते हुए गहलोत सरकार ने मास्टर स्ट्रोक चल दिया है। शनिवार देर शाम को राजस्थान सरकार ने घोषणा करते हुए जातिगत सर्वेक्षण का आदेश जारी कर दिया है। अब देखना ये है चुनाव से ठीक पहले गहलोत के इस चुनावी दांव का सरकार को कितना फायदा मिलेगा।
अपने संसाधनों से जाति आधारित सर्वेक्षण कराएगी सरकार
सामाजिक न्याय और अधिकारिता विभाग की ओर से जारी आदेश में बताया गया है कि राज्य सरकार अपने संसाधनों से जाति आधारित सर्वेक्षण कराएगी। सर्वे में नागरिकों के सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक स्तर के संबंध में जानकारी व आंकड़े एकत्रित किए जाएंगे। आंकड़ों के आधार पर वर्गों के पिछड़ेपन की स्थिति में सुधार लाने के लिए विशेष कल्याणकारी उपाय और योजनाएं लागू की जाएंगी।
अपने संकल्प पर काम कर रही सरकार
'एक्स' एकाउंट पर कांग्रेस पार्टी की ओर से इस आदेश को साझा किया गया। बताया गया कि राजस्थान की कांग्रेस सरकार ने जाति आधारित सर्वेक्षण कराने का फैसला लिया है। कांग्रेस 'जिसकी जितनी भागीदारी-उसकी उतनी हिस्सेदारी' के अपने संकल्प पर काम कर रही है।
यह केवल परिवारों का सर्वेक्षण है
बता दें कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पत्रकार वार्ता के दौरान कहा था कि राज्य सरकार बिहार के मॉडल को अपनाते हुए राज्य में जातिगत सर्वेक्षण करवा सकती है। जनगणना तो भारत सरकार ही करवाती है, यह केवल परिवारों का सर्वेक्षण है, ताकि उनकी आर्थिक स्थिति का पता चल सके। मैं समझता हूं कि ये बड़ा निर्णय है। हमारी पार्टी की प्रतिबद्धता है, हम इसे आगे बढ़ाएंगे।
जिसकी जितनी संख्या भारी, उसकी उतनी हिस्सेदारी
शुक्रवार को कांग्रेस की कोर कमेटी की पीसीसी के वॉर रूम में लंबी बैठक हुई थी। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा था कि राजस्थान में भी बिहार पैटर्न पर जातिगत योजना जनगणना करवाई जाएगी। उसके बाद मीडिया से बातचीत में सीएम ने कहा कि राहुल गांधी ने जिसकी जितनी संख्या भारी, उसकी उतनी हिस्सेदारी की बात कही है। जिस तरह सुप्रीम कोर्ट ने बिहार में कराई गई जाति जनगणना को रोका नहीं है, अब सरकार यहां भी जातिगत जनगणना के आदेश जारी करेगी। इस बारे में संविधान की भावना और सुप्रीम कोर्ट के आदेश को भी ध्यान में रखा जाएगा।
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