राजस्थान

केंद्र में अटका गहलोत सरकार राज्य में विधान परिषद के गठन का प्रस्ताव, जानिए वजह

Renuka Sahu
16 Jan 2022 4:15 AM GMT
केंद्र में अटका गहलोत सरकार राज्य में विधान परिषद के गठन का प्रस्ताव, जानिए वजह
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फाइल फोटो 

गहलोत सरकार राज्य में विधान परिषद के गठन का प्रस्ताव भेजकर भूल गई है।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। गहलोत सरकार राज्य में विधान परिषद के गठन का प्रस्ताव भेजकर भूल गई है। गहलोत कैबिनेट ने जुलाई 2021 को तीसरी बार विधान परिषद के गठन का प्रस्ताव पारित किया था। इसके बाद राज्य के संसदीय कार्य एवं विधि विभाग ने केंद्र सरकार को चिट्टी लिखी थी। करीब 9 साल बाद राज्य सरकार ने केंद्र को अपनी राय से अवगत कराया था, लेकिन इसके बाद राज्य सरकार की तरफ से किसी तरह की ठोस पैरवी नहीं की गई। इससे एक बार फिर गहलोत सरकार का प्रस्ताव केंद्र में अटक गया है। गहलोत सरकार के विधान परिषद गठन करने के प्रस्ताव की हालत जस की तस है। एनडीए की सरकार में प्रस्ताव आगे बढ़ना बेहद मुश्किल है। गहलोत सरकार के प्रस्ताव पर मोदी सरकार ने कोई रूचि नहीं दिखाई है। राज्य में विधान परिषद गठित करने का मामला फिर ठंडे बस्ते में चला गया है। संसदीय कार्य एवं विधि विभाग के अधिकारियों के अनुसार राज्य सरकार के प्रस्ताव पर केंद्र सरकार ने फिर कोई रूचि नहीं दिखाई है।

यूपीए सरकार में भी अटक गया था प्रस्ताव
गहलोत सरकार से पहले 2008 में वसुंधरा सरकार ने विधान परिषद गठन करने का प्रस्ताव केंद्र को भेजा था। इसके बाद 2012 में भेजा गया। गहलोत कैबिनेट ने जुलाई 2021 में एक बार फिर विधान परिषद गठित करने का प्रस्ताव पारित कर केंद्र सरकार को भेजा। वसुंधरा और गहलोत सरकार के प्रस्ताव पर केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्रालय द्वारा 18 अप्रैल 2012 को संसद की स्टैडिंग कमेटी द्वारा दिए गए सुझावों के संदर्भ में राज्य सरकार की राय मांगी गई। उस समय केंद्र में मनमोहन सिंह के नेतृत्व में यूपीए की सरकार थी। अब एनडीए की सरकार है। मौजूदा राजनीतिक हालत को देखते हुए राजस्थान में विधान परिषद के गठन को मंजूरी मिलने की संभावनाएं बेहद मुश्किल है।
विधान परिषद गठन करने की प्रक्रिया बेहद जटिल
संसदीय मामलों के जानकारों के अनुसार किसी भी राज्य में विधान परिषद के गठन की प्रक्रिया बेहद जटिल है। जानकारों के अनुसार विधान परिषद के गठन के लिए विधानसभा से संकल्प पारित करके केंद्र सरकार को भेजा जाता है। इसके बाद केंद्र सरकार बिल लेकर आती है। बिल को संसद के दोनों सदनों से दो तिहाई के बहुमत से पारित करवाना होता है। उसके बाद ही विधान परिषद के गठन को मंजूरी मिलती है। गहलोत सरकार सरकार के प्रस्ताव पर यूपीए सरकार ने कोई रूचि नहीं दिखाई थी। केंद्र में विरोधी दल की सरकार है। ऐसे में गहलोत सरकार के प्रस्ताव को मंजूरी मिलना मुश्किल है। पहले से ही एक दर्जन राज्यों के प्रस्ताव लंबित चल रहे हैं। आंध्रप्रदेश, बिहार, कर्नाटक, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश में विधान परिषद है।
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